ग्वालियर : यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सकुशल वापसी का सिलसिला जारी हो चुका है. इसी कड़ी में दो छात्र हर्षाली राजे और निखिल कुरेचिया ग्वालियर पहुंचे है. दोनों छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इन दोनों का कहना है कि अचानक से यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया, जिससे वह डिप्रेशन में थे, लेकिन भारत सरकार की मदद से वह पहले ओरोमिया बॉर्डर पहुंचे. वहां से भारत पहुंचे हैं. ईटीवी भारत की खास बातचीत में उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चिंता अपने दोस्तों की हो रही है, क्योंकि वह अभी भी कई ऐसे इलाकों में फंसे हुए हैं. जहां पर कोई मदद नहीं मिल पा रही है. (gwalior student stuck in ukraine)
20 किमी पैदल चलकर बॉर्डर पर पहुंचे
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दोनों मेडिकल के छात्र हर्षाली राजे और निखिल ने बताया कि इस समय युद्ध से यूक्रेन की हालत काफी भयावह है, लगातार बारूद की वजह से यूक्रेन मलबे में तब्दील हो चुका है. दोनों छात्रों ने बताया क्यों लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पर आए और उसके बाद भारत के लिए फ्लाइट में बैठे थे, तब जाकर यहां पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि उनके कई साथी अभी भी वहां फंसे हैं, जिनके पास खाने-पीने से लेकर सर्दी से बचने का भी कोई उपाय नहीं है. उनका कहना है कि जिस तरीके से यूक्रेन के हालात और भारत के यूक्रेन के प्रति जो रवैया है, उससे अब नहीं लगता कि हम लोग यूक्रेन गए भी तो वह लोग हमको स्वीकार करेंगे या नहीं. (ukraine russia war)
अब भविष्य की हो रही चिंता
हर्षाली राजे ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि घर सुरक्षित आ गए. अब सबसे बड़ी चिंता हमारी भविष्य को लेकर है. जिस तरह से यूक्रेन के हालात काफी भयावह हो चुके हैं, अब नहीं लगता कि हम दोबारा से अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से शुरू करने के लिए वहां पहुंच पाएंगे. लगातार युद्ध के कारण हालात काफी बुरे हो चुके हैं. ऐसे में अब छात्रों को भी काफी डर लग रहा है. जिस तरीके से कहा जा रहा है कि भारत यूक्रेन की मदद नहीं कर रहा है, ऐसे में अब यूक्रेन भारतीय छात्रों के लिए सही नहीं है. अब सरकार से गुजारिश है कि जिन छात्रों की पढ़ाई पूरी नहीं हुई है, उनके लिए कुछ न कुछ ऐसी व्यवस्थाएं करें. ताकि उनकी मेडिकल की डिग्री पूरी हो सके. (medical study in ukraine)
विदिशा की बेटी की हुई घर वापसी, देखें सिंधिया ने कैसे 'हाथ थामकर' की मदद
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए छात्रा हर्षाली राजे ने बताया कि मेडिकल छात्रों का यूक्रेन में जाने का मुख्य उद्देश्य है कि छात्र नीट का एग्जाम पास करने के बाद भी उन्हें कॉलेज में सीट नहीं मिल पाती है. मेडिकल की पढ़ाई हर जगह समान है, लेकिन इंडिया में मेडिकल कॉलेज और सीट कम होने के कारण छात्रों को दूसरे देशों में डिग्रियां लेने के लिए जाना पड़ता है. इंडिया में जो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं उनकी फीस इतनी ज्यादा है कि वह अफोर्ड नहीं कर पाते हैं. इंडिया में एक साल की फीस है, जितने में छात्र विदेश से मेडिकल की पूरी डिग्री हासिल कर लेता है.
नर्मदापुरम: बेटी के वापस आने के बाद पिता को लोन की चिंता
नर्मदापुरम में आयुषी के पिता रामप्रकाश बेटी के सुरक्षित घर पहुंचने पर खुश हैं. बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए उन्होंने एजुकेशन लोन के लिए 20 लाख रुपए बैंक से लिए है. उसको लेकर वे चिंतित हो गए. बेटी के सुरक्षित घर आने पर उन्होंने मोदी सरकार की जमकर सराहना की है. बेटी के एजुकेशन लोन को लेकर वे काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. विषम परिस्थितियों में वह बैंक का लोन चुका पाएंगे या नहीं बेटी की पढ़ाई का क्या होगा. इन सब को लेकर वह चिंतित दिखाई दे रहे हैं. आयुषी टेरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही थीं. 5 वे सेमेस्टर की फीस जमा कर चुके हैं 12 सेमेस्टर होना था. इससे पहले ही वहां युद्ध छिड़ गया.