ग्वालियर। जिले में एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. जीवाजी विश्वविद्यालय के गोपनीय टेबुलेशन चार्ट बाजार में आने की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस मामले पर तत्काल संज्ञान लिया है. जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने टेबुलेशन चार्ट के मामले में संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी किया है और एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. gwalior ju negligence, notice given to officers in tabulation chart case , effigies of ravan made from tabulation chart
![tabulation chart case](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-gwa-03-impect-news-pkg-7203562_06102022165759_0610f_1665055679_2.jpg)
जांच के दिए आदेश: जीवाजी विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार अरुण चौहान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति अविनाश तिवारी ने मामले को गंभीर मामला बताया है. उन्होंने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ी तो उस स्क्रैप व्यापारी से भी बातचीत की जाएगी. इस मामले में जो भी दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बता दें गोपनीय दस्तावेज टेबुलेशन चार्ट से रावण के पुतले बनाए जा रहे थे. इसी को लेकर यह पूरा मामला सबसे पहले ईटीवी भारत पर उजागर किया गया था.
क्या है पूरा मामला: गौरतलब है कि 2 दिन पहले ईटीवी भारत ने बताया था कि ग्वालियर के फूलबाग मैदान में बनाए जा रहे रावण के पुतलों में जीवाजी विश्वविद्यालय के गोपनीय दस्तावेज टेबुलेशन चार्ट का उपयोग किया जा रहा है. दशहरा से एक दिन पहले फूलबाग पर कारीगर रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों में टेबुलेशन चार्ट का उपयोग कर रहा था. जब इस मामले को ईटीवी भारत ने उजागर किया तो उसके बाद जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन में हड़कंप मच गया. तत्काल इस मामले को लेकर संज्ञान लिया गया. बता दे ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय अपनी कार्यप्रणाली और नकल माफियाओं के लिए हमेशा से बदनाम रहा है. ऐसे मामले जीवाजी विश्वविद्यालय में लगातार देखने को मिलते हैं. यही कारण है कि जीवाजी विश्वविद्यालय की साख लगातार गिरती जा रही है.
टेबुलेशन चार्ट गोपनीय दस्तावेज होता है: खास बात यह है जीवाजी विश्वविद्यालय इन टेबुलेशन चार्ट को न तो स्क्रैप के रूप में बेच सकता है और न ही इन्हें उजागर कर सकता है, क्योंकि यह गोपनीय मामला है. टेबुलेशन चार्ट से ही मार्कशीट तैयार होती है और छात्रों का वेरिफिकेशन होता है और यह टेबुलेशन चार्ट साल 2020 का है. मामले में जब स्क्रैप व्यापारी से बातचीत की गई तो उसका कहना है कि "यह रद्दी के रूप में टेबुलेशन चार्ट हमारे यहां से नहीं बेचे गए हैं." नियम है कि विश्वविद्यालय उत्तर पुस्तिका सहित अन्य स्टेशनरी को विशेष नियमावली के तहत ही पुराने होने पर बीच सकता है. विश्वविद्यालय परिसर में ही उत्तर पुस्तिकाओं और अन्य प्रिंटेड सामग्री को नष्ट करना होता है, लेकिन इस मामले से विश्वविद्यालय प्रबंधन और ठेकेदार की सांठ-गांठ एक बार फिर उजागर हो गई है. ( gwalior ju negligence) (notice given to officers in tabulation chart case) (effigies of ravan made from tabulation chart)