मुंबई: जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय की मुंबई जोनल यूनिट ने मंगलवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया है. अभी तक जो खबर मिली है उसके मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों में व्यक्ति मेसर्स राणे मेगास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, एसीएस हार्डवेयर और नेटवर्किंग मैसर्स के प्रोपराइटर, मेसर्स केशरिया मेटल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और प्रमोटर शामिल हैं. इन लोगों पर आरोप है कि इनकी समूह की कंपनियों और मेसर्स शैलजा कमर्शियल ट्रेड उन्माद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने गैरकानूनी ढंग से रु 408.67 माल या सेवाओं की आपूर्ति के बिना लाभ उठाया और करोड़ों की हेराफेरी की.
अभी तक जो जांच की गई है उसके मुताबिक यह देखा गया है कि मेसर्स एसीएस हार्डवेयर और नेटवर्किंग ने लगभग रु.85.38 की धोखाधड़ी की गई है. मेसर्स राणे मेगास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड ने बिना किसी वास्तविक आपूर्ति के दूसरी कंपनी को लगभग रु 85.44 करोड़ रुपये दिए.
महानिदेशालय के बयान में कहा गया है कि इन लोगों को यह पता चलने के बाद गिरफ्तार किया गया कि इन्होंने 408.67 करोड़ रुपये का आईटीसी हासिल किया, उसका इस्तेमाल किया और इसके साथ ही फर्जी आईटीसी भी पारित किया.
महानिदेशालय ने बताया कि इन लोगों की गिरफ्तारी इस बात का राज खुलने के बाद हुई कि उन्होंने बिना किसी सामान की सप्लाई के ही फर्जी इनवॉयस जारी करते हुए 408.67 करोड़ रुपये का जारी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर लिया.
एक अन्य मामले में केसरिया मेटल, काजल ट्रेडिंग कंपनी, हाईटेक इंपेक्स, ग्रेविटी एलॉयज और सनशाइन इंपेक्स आदि कंपनियों के समूह द्वारा फर्जी तरीके से 103.78 करोड़ रुपये का आईटीसी वसूलने का मामला सामने आया. तीसरे मामले में शैलजा कामर्शियल ट्रेड फ्रेंजी के भी जाली इनवॉयस के दम पर 48.69 करोड़ रुपये का आईटीसी हासिल करने का मामला पकड़ में आया.
चारों आरोपियों को केंद्रीय वस्तु व सेवाएं अधिनियम, 2017 की 2017 की धारा 69 (1) के तहत अपराध की धारा 132 (1) (बी) और धारा 132 (1) (सी) के तहत गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद इन आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश किया गया. अदालत ने चारों आरोपियों को 24 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 के अनुसार, माल या सेवाओं की आपूर्ति के बिना एक चालान या बिल जारी करना और बिल / चालान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ उठाना या उपयोग करना, बिना किसी सामान या सेवाओं की आपूर्ति एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है.
यह भी पढ़ें- जीएसटी मुआवजा: 16 राज्यों, तीन केंद्र शासित प्रदेशों को हस्तांतरित किए 6,000 करोड़ रुपये
महानिदेशालय के मुताबिक एससीएस हार्डवेयर ने फर्जी तरीके से 85.38 करोड़ रुपये आईटीसी का दावा किया और इतनी ही रकम का आईटीसी बिना किसी सप्लाई के ही जारी की गई. 474 करोड़ रुपये की फर्जी इनवॉयस के जरिये राणा मेगास्ट्रक्चर्स को स्थानांतरित कर दिया.
राणा मेगास्ट्रक्चर्स ने करीब 85.44 करोड़ रुपये का आईटीसी बिना किसी सप्लाई के ही दूसरी कंपनी को स्थानांतरित कर दिया. यह क्रम इसी तरह चलता रहा. महानिदेशालय ने बताया कि इस मामले में पहले भी कई गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं.
उल्लेखनीय है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा उद्यमियों को उनके उत्पाद की लागत कम रखने के लिये उपलब्ध कराई जाती है. विनिर्माता कच्चे माल की खरीद पर दिये गये कर पर आगे छूट का दावा करते हैं. इससे उनके उत्पाद की लागत कम होती है क्योंकि उन्हें कर के ऊपर कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है.