कोल्हापुर: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने विधवा प्रथा को बंद करने का निर्णय लिया है. कोल्हापुर के शिरोल तालुका में ग्राम पंचायत ने जो फैसला किया है कि वह पूरे देश के लिए मॉडल हो सकता है. इनके इस फैसले की हर जगह चर्चा हो रही है और गांव ने विधवाओं को सम्मान देने के लिए विधवा प्रथा को बंद करने का फैसला किया है.
21वीं सदी में भी विधवाओं के साथ अक्सर अलग तरह से व्यवहार किया जाता है. उन्हें किसी भी तरह के सौंदर्य प्रसाधन या गहनों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. यह एक ऐसा निर्णय है जो लोगों की आंखें खोलने वाला है. ग्राम पंचायत के महत्वपूर्ण निर्णय में महिलाएं ग्राम पंचायत में पेश किए गए संकल्प की प्रस्तावक और अनुमोदनकर्ता थीं.
शिरोल तालुका में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने सर्वसम्मति से हाल ही में ग्राम सभा में विधवापन की प्रथा को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया. इसकी चर्चा अब हर तरफ हो रही है और ग्राम पंचायत की सराहना भी शुरू हो गई है. वास्तव में कानून के अनुसार सभी महिलाओं को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. हालांकि विधवाओं की सामाजिक तस्वीर थोड़ी अलग है. इसीलिए ग्राम सुरगोंडा पाटिल के सरपंच और ग्राम पंचायत के उप सरपंच के साथ-साथ सभी सदस्यों ने विधवा प्रथा को ग्राम सभा में बंद करने का फैसला किया.
प्रस्ताव में क्या है: संकल्प के अनुसार हमारे समाज में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को किसी भी धार्मिक या सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है. हालांकि कानून सभी को सम्मान के साथ जीने का समान अधिकार देता है. यह प्रथा महिलाओं के अधिकारों यानी कानून का उल्लंघन करती है. इसलिए विधवाओं को सम्मान के साथ जीने में सक्षम बनाने के लिए विधवा प्रथा को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है.
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सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने कहा कि राज्य सहित देश भर में कई ग्राम पंचायतों को इस तरह से पालन करना चाहिए. इतना ही नहीं सरपंच पाटिल ने यह भी मांग की है कि सभी सामाजिक संगठन, लोगों में विधवाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार के लिए जागरूकता पैदा करें. इस संबंध में विधानसभा में भी एक कानून बनाया जाए.