नई दिल्ली : माल ढुलाई दरों में वृद्धि और शिपिंग क्षमता की कमी के कारण दबाव से जूझ रहे निर्यातक समुदाय को बड़ी राहत दी है. सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि वह वह चालू वित्त वर्ष (current financial year) में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के सभी पिछले और वर्तमान बकाया (past and present dues) का भुगतान करेगी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce and Industries Minister Piyush Goyal) ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कुल 56,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया जाएगा क्योंकि वित्त मंत्रालय पहले ही इसके लिए प्रावधान कर चुका है. गोयल ने संवाददाताओं से कहा, '56,027 करोड़ रुपये के दावों को मंजूरी दी जाएगी इससे छोटे और मध्यम निर्यातकों की नकदी-प्रवाह की समस्या दूर हो सकेगी. इससे लगभग सभी क्षेत्रों में बहुत बड़ी राहत मिलेगी.'
मंत्री ने कहा कि यह राशि इस वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पहले ही घोषित आरओडीटीईपी स्कीम के लिए 12,454 करोड़ रुपये तथा आरओएससीटीएल ( RoSCTL) स्कीम के लिए 6,946 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है.
मंत्री ने कहा, 'वास्तव में निर्यातकों को उनके सभी पुराने बकाया और चालू वर्ष के लिए 19,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा, जिसमें से लगभग 75,000 करोड़ रुपये की तरलता हमारे निर्यातकों को उपलब्ध कराई जाएगी.' मंत्री ने कहा, यह वास्तव में हमारे निर्यातकों के नकदी प्रवाह पर परिवर्तनकारी असर डालेगा.'
56,000 करोड़ रुपये की राशि में एमईआईएस, एसईआईएस, आरओएसएल, आरओएससीटीएल से संबंधित दावों, पहले की नीतियों से संबंधित स्क्रिप आधारित योजनाओें तथा वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में निर्यात के लिए रोडटेप तथा आरओएससीटीएल के लिए छूट सहायता शामिल है. ये लाभ 45,000 से अधिक निर्यातकों के बीच वितरित किए जाएंगे, जिसमें लगभग 98 प्रतिशत एमएसएमई श्रेणी के छोटे निर्यातक हैं.
56,027 करोड़ रुपये की यह बकाया राशि विभिन्न निर्यात संवर्धनों तथा छूट स्कीमों एमईआईएस (33,010 करोड़ रुपये), एसईआईएस (10,002 करोड़ रुपये), आरओएससीटीएल (5,286 करोड़ रुपये), आरओएसएल (330 करोड़ रुपये), आरओडीटीईपी (2,568 करोड़ रुपये), टार्गेट प्लस आदि (4,831 करोड़ रुपये) जैसी अन्य लीगेसी योजनाओं के लिए हैं.
निर्यात प्रोत्साहन देय राशि का दावा करने के लिए विशेष पोर्टल
निर्यात प्रोत्साहन योजना के बकाए का दावा करने के लिए सरकार निर्यातकों के लिए एक अलग पोर्टल स्थापित करेगी. पहले के वर्षों से संबंधित निर्यात दावों को दिसंबर के अंत तक दाखिल करना होगा. उसके बाद वह समय-बाधित हो जाएंगे.
सरकार ने कहा, 'विशिष्ट आईटी पोर्टल को शीघ्र ही एमईआईएस और अन्य स्क्रिप आधारित अनुप्रयोगों को स्वीकार करने के लिए सक्षम किया जाएगा. इसके साथ ही वित्त एमईआईएस तथा अन्य स्क्रिप आधारित आवेदनों को स्वीकार करने के लिए जल्द ही ऑनलाइन आईटी पोर्टल को सक्षम बनाया जाएगा और बजटीय ढांचे के तहत निर्यात प्रोत्साहनों के प्रावधान तथा संवितरण की निगरानी करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक मजबूत तंत्र के साथ उन्हें सम्मिलित कर दिया जाएगा.' सरकार की ओर से बताया गया कि आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर होगी और सरकार का लक्ष्य अगले साल मार्च तक सभी बकाया राशि का भुगतान करना है.
वैश्विक महामारी के बीच बढ़ता निर्यात
राहत ऐसे समय में आई है जब भारतीय निर्यातक कोविड -19 वैश्विक महामारी और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. वह क्षमता की कमी के कारण शिपिंग लागत में तेज वृद्धि के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसलिए लंबित निर्यात प्रोत्साहनों की अनुमति देने के निर्णय का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के इस अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ को सही समय पर तथा निर्णायक सहायता उपलब्ध कराना है.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल-अगस्त की अवधि के लिए भारत का माल निर्यात लगभग 164 बिलियन डॉलर था, जो कि 2020-21 की तुलना में 67% और 2019-20 में 23% की वृद्धि है, जब कोविड -19 महामारी देश में नहीं आई थी.
सरकार ने कहा, 'इस वित्तीय वर्ष के भीतर सभी लंबित निर्यात प्रोत्साहनों को समाप्त करने के इस निर्णय से आने वाले महीनों में और भी तेजी से निर्यात वृद्धि होगी और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा.'