बागेश्वर (उत्तराखंड): एक समय था जब स्कूली बच्चों के हस्तलेखन पर विशेष जोर दिया जाता था. यहां तक कि इसके लिए स्कूल, जिला और प्रदेश स्तर पर भी कई प्रतियोगिताएं आयोजित होती थी. अब भी इस तरह के आयोजन होते हैं. लेकिन सामान्य तौर पर सुलेख या बेहतर हैंडराइटिंग को लेकर प्रोत्साहन देने या इस पर विशेष जोर देने की कोशिशें करीब-करीब खत्म होती हुई दिखाई दे रही हैं. छात्र कंप्यूटर, मोबाइल और टैबलेट पर उंगलियां चलाने में ज्यादा व्यस्त दिखाई देते हैं.
जूनियर हाईस्कूल करुली के छात्रों की राइटिंग है शानदार: इस बदलते परिवेश में भी उत्तराखंड का एक ऐसा स्कूल है जो हस्त लेखन की प्राचीन विधा को संरक्षित करने में जुटा हुआ है. आधुनिक शिक्षा के साथ प्राचीन सुहस्तलेखन को भी यहां बढ़ावा दिया जा रहा है. खास बात यह है कि आज विद्यालय के शिक्षकों की बदौलत यहां के छात्रों की लिखावट पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. स्थिति यह है कि बागेश्वर स्थित राजकीय जूनियर हाईस्कूल करुली के इन छात्रों द्वारा अब मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों और अफसरों के संदेश लिखे जाने का फैसला भी कर लिया गया है. यही नहीं इन संदेशों में संदेश लिखने वाले छात्र और स्कूल का नाम भी अंकित किया जाएगा. जाहिर है कि सरकार के इस प्रयास से प्रदेश के बाकी छात्रों को भी हस्त लेखन को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
मोती जैसे अक्षर लिखते हैं ये छात्र: वैसे तो सरकारी स्कूलों को अभावहीन रूप में ही देखा जाता है. लेकिन ऐसे कई सरकारी विद्यालय हैं जो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी अपने विभिन्न क्रियाकलापों की वजह से मिसाल बनते रहे हैं. बागेश्वर का राजकीय जूनियर हाई स्कूल भी कुछ ऐसी ही मिसाल पेश कर रहा है. यहां बच्चों के हाथों में मानो कोई चमत्कारी कलम मन मोह लेने वाली हैंड राइटिंग को उकेर देती है. हिंदी ही नहीं अंग्रेजी में भी छात्र सफेद कागज पर मोती जैसे शब्दों को लिखते चले जाते हैं. छात्र-छात्राओं का कहना है कि उनकी हैंडराइटिंग में सुधार के लिए वह स्कूल में ही एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं. यहां मिलने वाले प्रशिक्षण की बदौलत वह अलग अलग तरह की राइटिंग को सीख रहे हैं.
बागेश्वर के छात्रों ने हैंडराइटिंग को दिए नए आयाम: सरकारी स्कूल में कोरे कागज और ब्लैक बोर्ड पर सुंदर हस्त लेखन के शब्द मन को मोह लेते हैं. लेकिन छात्रों के लिए इस हस्त लेखन को सीखना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए न केवल गहरी लगन बल्कि नियमित प्रशिक्षण की भी जरूरत है. इस विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र गोस्वामी ने छात्रों के हस्त लेखन में सुधार का बीड़ा उठाया है. छात्रों के साथ मिलकर नरेंद्र गोस्वामी लंबे समय से हस्त लेखन की इस प्राचीन विधा को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि विद्यालय में ऐसी सुंदर राइटिंग लिखने वाले छात्रों की संख्या इक्का-दुक्का नहीं है, बल्कि विद्यालय के अधिकतर छात्र इसी तरह के सुंदर हस्त लेखन के जरिए विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं. विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र गोस्वामी कहते हैं कि वर्तमान तकनीकी युग में हस्त लेखन की विधा लुप्त हो रही है. इसीलिए वह छात्रों के साथ मिलकर इस सुविधा को संरक्षित और संवर्धित करने के इरादे से कार्य कर रहे हैं. नरेंद्र गोस्वामी कहते हैं कि छात्र भी इस ओर बेहद लगन के साथ बेहतर हस्त लेखन कार्य को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
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आज बागेश्वर का यह विद्यालय प्रदेशभर में सुहस्त लेखन के लिए चर्चाओं में है. प्रदेशभर के सरकारी ही नहीं बल्कि निजी स्कूलों के लिए भी इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एक सबक बन गए हैं. खासतौर पर तब जब बेहतर हैंडराइटिंग को लेकर विद्यालयों में प्रयास कम हो रहे हैं और कोविड काल के बाद छात्रों के शिक्षा के स्तर से लेकर उनके हस्त लेखन तक पर गहरा प्रभाव पड़ा है.