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असम: राज्य में दो साल में 61 वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमण मुक्त

असम सरकार को दो साल में राज्य में 61 वर्ग किलोमीटर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने में सफलता मिली है.

Etv BharatGOVERNMENT CLEARED 61 SQUARE KILOMETERS OF FOREST LAND IN THE STATE IN TWO YEARS
Etvअसम: राज्य में दो साल में 61 वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमण मुक्त Bharat
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Published : Jul 16, 2023, 10:34 AM IST

गुवाहाटी: असम में बीजेपी की सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया. हालांकि, राज्य में विशाल वन भूमि अभी भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. बल्कि नये-नये स्थानों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अभी भी 3,775 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर अतिक्रमण है.

उल्लेखनीय है कि पिछले दो वर्षों के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार अंतिम वन क्षेत्र में केवल 60.72 वर्ग किलोमीटर भूमि ही मुक्त करा पाई है. यह याद किया जा सकता है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को राज्य में अतिक्रमित वन भूमि को पुनः प्राप्त करने का निर्देश देने के बाद भी सरकार कब्जा हटाने में विफल रही है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार के दो साल के कार्यकाल के दौरान, लुमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट में 14.50 वर्ग किलोमीटर, पाबा अभयारण्य में 17.50 वर्ग किलोमीटर, बूढ़ा चपरियान्या में 20.99 वर्ग किलोमीटर, करीमगंज में 5.88 वर्ग किलोमीटर, 0.90 वर्ग किलोमीटर डिगबोटाई में. गोलपारा में 0.70 वर्ग किमी और पश्चिम कामरूप में 0.70 वर्ग किमी वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है.

इसके विपरीत, राज्य में कई हजार वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. चिंता की बात यह है कि वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में असम देश में पहले स्थान पर है. गौरतलब है कि राज्य में राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य की जमीन भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. आंकड़ों के मुताबिक, मानस नेशनल पार्क का 28.09 वर्ग किलोमीटर, नामेरी नेशनल पार्क का 5 वर्ग किलोमीटर और डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क का 5.6121 वर्ग किलोमीटर इलाका अतिक्रमणकारियों की चपेट में है.

ये भी पढ़ें- असम परिसीमन मामला: ECI की टीम 20 जुलाई को जाएगी असम, विपक्षी नेताओं से करेगी बात

दूसरी ओर सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य का अधिकतम 85 वर्ग किलोमीटर, बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य का 4 वर्ग किलोमीटर, अमसांग वन्यजीव अभयारण्य का 2.70 वर्ग किलोमीटर और बरैल अभयारण्य का 24.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में है. इसके अलावा राज्य में आरक्षित वनों के बड़े क्षेत्र में अतिक्रमण है. राज्य सरकार इस अतिक्रमण से मुक्ति पाने के लिए समय-समय पर बेदखली अभियान चलाती रही है, लेकिन कार्रवाई सार्थक नहीं रही है. तोड़फोड़ के बाद जमीन पर फिर से कब्जा कर लिया गया. जिसके परिणामस्वरूप राज्य के विशाल हरित क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है. राज्य सरकार ने पौधारोपण पर विशेष जोर दिया है, लेकिन राज्य के समृद्ध प्राकृतिक पर्यावरण को नहीं बचा पायी है.

गुवाहाटी: असम में बीजेपी की सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया. हालांकि, राज्य में विशाल वन भूमि अभी भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. बल्कि नये-नये स्थानों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अभी भी 3,775 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर अतिक्रमण है.

उल्लेखनीय है कि पिछले दो वर्षों के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार अंतिम वन क्षेत्र में केवल 60.72 वर्ग किलोमीटर भूमि ही मुक्त करा पाई है. यह याद किया जा सकता है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को राज्य में अतिक्रमित वन भूमि को पुनः प्राप्त करने का निर्देश देने के बाद भी सरकार कब्जा हटाने में विफल रही है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार के दो साल के कार्यकाल के दौरान, लुमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट में 14.50 वर्ग किलोमीटर, पाबा अभयारण्य में 17.50 वर्ग किलोमीटर, बूढ़ा चपरियान्या में 20.99 वर्ग किलोमीटर, करीमगंज में 5.88 वर्ग किलोमीटर, 0.90 वर्ग किलोमीटर डिगबोटाई में. गोलपारा में 0.70 वर्ग किमी और पश्चिम कामरूप में 0.70 वर्ग किमी वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है.

इसके विपरीत, राज्य में कई हजार वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. चिंता की बात यह है कि वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में असम देश में पहले स्थान पर है. गौरतलब है कि राज्य में राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य की जमीन भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. आंकड़ों के मुताबिक, मानस नेशनल पार्क का 28.09 वर्ग किलोमीटर, नामेरी नेशनल पार्क का 5 वर्ग किलोमीटर और डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क का 5.6121 वर्ग किलोमीटर इलाका अतिक्रमणकारियों की चपेट में है.

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दूसरी ओर सोनाई रूपाई वन्यजीव अभयारण्य का अधिकतम 85 वर्ग किलोमीटर, बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य का 4 वर्ग किलोमीटर, अमसांग वन्यजीव अभयारण्य का 2.70 वर्ग किलोमीटर और बरैल अभयारण्य का 24.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में है. इसके अलावा राज्य में आरक्षित वनों के बड़े क्षेत्र में अतिक्रमण है. राज्य सरकार इस अतिक्रमण से मुक्ति पाने के लिए समय-समय पर बेदखली अभियान चलाती रही है, लेकिन कार्रवाई सार्थक नहीं रही है. तोड़फोड़ के बाद जमीन पर फिर से कब्जा कर लिया गया. जिसके परिणामस्वरूप राज्य के विशाल हरित क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है. राज्य सरकार ने पौधारोपण पर विशेष जोर दिया है, लेकिन राज्य के समृद्ध प्राकृतिक पर्यावरण को नहीं बचा पायी है.

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