नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका में अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड से मुलाकात के कुछ घंटों बाद भारत में सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह बातचीत 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के भारत के प्रयास को और तेज करेगी. भारतीय जांच एजेंसियां राणा के भारत प्रत्यर्पण पर नव निर्वाचित अमेरिकी सरकार से जल्द अनुकूल निर्णय की उम्मीद कर रही हैं.
प्रसिद्ध सुरक्षा विशेषज्ञ और सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा, 'हम उम्मीद कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड के साथ बैठक निश्चित रूप से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी लाएगी.'
सिंह ने कहा कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी (मोदी की) बैठक के दौरान प्रधानमंत्री निश्चित रूप से भारत-अमेरिका संबंधों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे. सिंह ने कहा, 'इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.'
गौरतलब है कि व्हाइट हाउस में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ट्रंप सरकार ने भारत से सभी अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पारित किया. इस प्रक्रिया के तहत हाल ही में अमेरिका से 104 भारतीय नागरिक वापस आए. इस मुद्दे पर पूरे देश में व्यापक प्रतिक्रिया हुई.
पीएम मोदी ने गुरुवार सुबह वाशिंगटन डीसी पहुंचने के तुरंत बाद अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड से मुलाकात की और फिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से द्विपक्षीय बैठक करेंगे. पीएम मोदी टेक अरबपति एलन मस्क से भी मुलाकात करेंगे. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को 63 वर्षीय राणा की प्रत्यर्पण के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी. बाद में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह वर्तमान में तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के संबंध में अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहा है.
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर और लागू अमेरिकी कानून के अनुरूप, विदेश विभाग इस मामले में अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहा है. हमने मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधियों को न्याय का सामना कराने के लिए भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन किया है.'
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी राणा पर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाने का आरोप है. इसमें 20 सुरक्षाकर्मियों और 26 विदेशियों सहित 174 लोग मारे गए थे. 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकी हमलों में 300 से अधिक लोग घायल भी हुए थे.
राणा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का भी करीबी साथी था, जिसने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादियों के संभावित लक्ष्यों की टोह ली थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अमेरिका से राणा के जल्द प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है.
अमेरिकी अदालत के फैसले के बाद भारत 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के आत्मसमर्पण की व्यवस्था पर काम करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में है, क्योंकि उसने अमेरिका में 'सभी कानूनी रास्ते खत्म कर दिए हैं'.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण पर कहा, 'तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बारे में हाल के घटनाक्रमों से आपको पता होगा कि राणा ने अमेरिका में सभी कानूनी रास्ते समाप्त कर दिए हैं. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी अपील को खारिज कर दिया है. इसलिए हम अब भारतीय अधिकारियों के समक्ष उसके आत्मसमर्पण की व्यवस्था पर काम करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं.'
मिसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले ब्रीफिंग कर रहे थे. पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रतिबंधित और प्रतिनिधिमंडल स्तर दोनों प्रारूपों में द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. इस यात्रा के दौरान वरिष्ठ अमेरिकी प्रशासकों के पीएम मोदी से मिलने की उम्मीद है.
इस संवाददाता से बात करते हुए भू-राजनीतिक विशेषज्ञ चंदन नंदी ने कहा कि जहां तक भारत के सुरक्षा मुद्दों और नई अमेरिकी सरकार के बीच संबंधों का सवाल है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अमेरिका यात्रा बहुत अधिक महत्व रखती है.
नंदी ने कहा, 'इस यात्रा से निश्चित रूप से इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को बढ़ावा मिलेगा, जबकि इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मामले में दोनों देशों की राय एक जैसी है.' नंदी ने कहा कि पीएम मोदी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर सरकार समर्थित अत्याचारों का मुद्दा भी उठा सकते हैं.