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ISIS में शामिल होने के लिए भागी लड़की के पिता ने SC में लगाई वापसी की गुहार - आईएसआईएस

आईएसआईएस (ISIS) में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भागी लड़की आयशा के पिता वीजे सेबेस्टियन फ्रांसिस ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी बेटी को अपनी 7 साल की बेटी के साथ लौटने की अनुमति देने की मांग की है.

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Published : Aug 2, 2021, 10:42 PM IST

तिरुवनंतपुरम : आईएसआईएस (ISIS) में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भागी लड़की आयशा के पिता वीजे सेबेस्टियन ने बेटी की वापसी की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. आयशा पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी है. उसे वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जा रही है क्योंकि उसे देश के लिए खतरा माना जाता है.

पिता का तर्क है कि विदेशी आतंकवादी लड़ाकों में शामिल होने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए उदार दृष्टिकोण अपनाया जाता है. यह देशों द्वारा उठाए गए रुख के कारण है कि महिलाओं ने केवल सहायक भूमिका निभाई है और इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई महत्वपूर्ण खतरा नहीं हो सकती हैं. उनका कहना है कि भारत की अफगानिस्तान के साथ प्रत्यर्पण संधि है और उसके प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं देना अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

यह भी पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में बोला अल्पसंख्यक आयोग, 'हमें कमजोर वर्ग मानें, अन्यथा बहुसंख्यक दबाएगा'

इसके अलावा उनका तर्क है कि आयशा की बेटी की उम्र 10 साल से कम है और उसे एक संभावित आतंकवादी के बजाय पीड़ित माना जाना चाहिए. एक ईसाई परिवार में जन्मी आयशा अपने माता-पिता की जानकारी के बिना इस्लाम अपना लिया था और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पति अब्दुल्ला अब्दुल राशिद के साथ भारत से भाग गई थी. राशिद भी ISIS से प्रभावित था. बाद में राशिद की अफगानिस्तान में एक सैन्य अभियान के दौरान मृत्यु हो गई और अब माता-पिता चाहते हैं कि आयशा वापस लौट आए.

तिरुवनंतपुरम : आईएसआईएस (ISIS) में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भागी लड़की आयशा के पिता वीजे सेबेस्टियन ने बेटी की वापसी की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. आयशा पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी है. उसे वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जा रही है क्योंकि उसे देश के लिए खतरा माना जाता है.

पिता का तर्क है कि विदेशी आतंकवादी लड़ाकों में शामिल होने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए उदार दृष्टिकोण अपनाया जाता है. यह देशों द्वारा उठाए गए रुख के कारण है कि महिलाओं ने केवल सहायक भूमिका निभाई है और इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई महत्वपूर्ण खतरा नहीं हो सकती हैं. उनका कहना है कि भारत की अफगानिस्तान के साथ प्रत्यर्पण संधि है और उसके प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं देना अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

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इसके अलावा उनका तर्क है कि आयशा की बेटी की उम्र 10 साल से कम है और उसे एक संभावित आतंकवादी के बजाय पीड़ित माना जाना चाहिए. एक ईसाई परिवार में जन्मी आयशा अपने माता-पिता की जानकारी के बिना इस्लाम अपना लिया था और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पति अब्दुल्ला अब्दुल राशिद के साथ भारत से भाग गई थी. राशिद भी ISIS से प्रभावित था. बाद में राशिद की अफगानिस्तान में एक सैन्य अभियान के दौरान मृत्यु हो गई और अब माता-पिता चाहते हैं कि आयशा वापस लौट आए.

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