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राजस्थान में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान चार मजदूरों की दम घुटने से मौत

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Published : Mar 27, 2022, 8:34 PM IST

राजस्थान के बीकानेर में एक वुलेन फैक्ट्री में बड़ा हादसा (Accident in Bikaner) हो गया. यहां सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरे चार मजदूरों की दम घुटने (four laborers died in Septic tank) से मौत हो गई. घटना की जानकारी पर सीएम गहलोत ने दुख व्यक्त किया है.

Four laborers died of suffocation during cleaning of septic tank
सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान चार मजदूरों की दम घुटने से मौत

बीकानेर : राजस्थान जिले के बीछवाल थाना क्षेत्र में सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरे 4 मजदूरों की दम घुटने (four laborers died in Septic tank) से मौत हो गई. ऊन मिल के सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए रविवार को चार मजदूर आए थे. टैंक में सफाई के दौरान गंदगी और जहरीली गैस फैलने के कारण उनकी सांसें थम गईं. घटना जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व अन्य मंत्रियों ने मजदूरों की मौत पर दुख जताया है.

शहर के बीछवाल थाना क्षेत्र में करणी औद्योगिक क्षेत्र में रविवार को दर्दनाक हादसा (Accident in Bikaner) हो गया. घटना एक वुलेन फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए चार मजदूर उतरे थे. टैंक में गंदगी और भीषण दुर्गंध बर्दाश्त नहीं कर पाने पर सभी की दम घुटने से मौत हो गई. तीन मजदूरों ने टैंक में ही दम तोड़ दिया जबकि एक को पीबीएम रेफर किया गया. वहां इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया. घटना से फैक्ट्री में मौजूद मजदूरों में अफरातफरी का माहौल रहा.

राजस्थान के बीकानेर में बड़ा हादसा

इस संबंध में बीछवाल थानाधिकारी मनोज शर्मा ने बताया यह हादसा करणी औद्योगिक क्षेत्र में ऊन मिल में हुआ है जहां फेक्ट्री में बने गंदे पानी के वेस्ट के लिए बनाए गए सेप्टिक टैंक की सफाई करने चार मजदूर उतरे थे, गंदे पानी को मोटर से बाहर निकाल दिया था उसके बाद सतह पर जमा गंदगी व जहरीली गैस से चारों मजदूरों का दम घुटने लगा जिससे तीन मजदूरों ने मौके पर दम तोड़ दिया लेकिन अंत में उतरे मजदूर की सांसें चल रहीं थीं. उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. चारों मृतकों की पहचान कालूराम, लालचंद, चोरूलाल व नायक के रूप में हुई है. घटना को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी और गोविंद मेघवाल ने भी दुख जताया है.

राजस्थान के सीएम गहलोत ने जताया दुख
राजस्थान के सीएम गहलोत ने जताया दुख

पहले भी बेमौत मारे गए हैं लोग
गौरतलब है कि जनवरी, 2020 में भी महाराष्ट्र में सीवर सफाई के दौरान लोगों की मौत हुई थी. मुंबई के गोरेगांव में सीवर में सफाई के लिए उतरे दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इससे पहले दिसंबर, 2019 में भी सीवर सफाई करने के दौरान पांच सफाईकर्मियों की मौत हुई थी. अगस्त, 2019 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में दम घुटने के कारण पांच लोगों की मौत हुई थी. हादसा सीवर सफाई के दौरान हुआ था. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10-10 लाख रुपये मुआवजे का एलान किया था.

जून, 2019 में पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के वडोदरा में भी मैनुअल सीवर क्लीनिंग का मामला सामने आया था. एक होटल में सीवर साफ करने के दौरान दम घुटने से चार सफाईकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हुई थी. इस संबंध में अधिकारियों ने बताया था कि वड़ोदरा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर डभोई तहसील में सीवर सफाई के दौरान कई लोगों की मौत हो गई.

सीवर सफाई के कारण मौतों की खबरें-

सीवर सफाई पर भारत के कानून और सामाजिक बदलाव के प्रयास
मलत्याग को हाथ से साफ करना का एक बहुत ही अपमानजनक काम है, जो किसी व्यक्ति से उसका इंसान होने का हक छीन लेता है. इस कार्य को करने में कुछ भी पुन्यमय नहीं है. भारतीय संविधान के वास्तुकार डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर ने चेतावनी दी थी. भंगी झाड़ू छोडो का नारा देते हुए उन्होंने मैला ढोने के कार्य का तुरंत बहिष्कार करने का आह्वान किया था. उन्होंने इस वीभत्स पेशे के महिमामंडित करने की धारणा का पुरजोर खंडन किया था. दशकों बीत जाने के बाद आज भी भारत में हाथ से मैला ढोने वालों को रोजगार पर रखा जा रहा है. हाथ से मैला ढोने के खिलाफ बने कानून भी इसे खत्म करने के लिए नाकाफी साबित हुए हैं. 2013 में, केंद्र ने हाथ से मैला सफाईकर्मी कार्य का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास विधेयक के प्रारूपित किया लेकिन यह अभी भी इसे पूरी ताक़त से लागू होना बाकी है. वर्तमान में, सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के कार्य के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त करने वाला व्यक्ति या एजेंसी को 5 साल तक के कारावास या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. केंद्र नए विधेयक में इसके लिए और कठोर दंड पर विचार कर रहा है. भारत सरकार ने 1993 में सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम के खिलाफ एक कानून बनाया. राज्यों की ज़िदगी रवैये के कारण किसी भी स्तर पर कानून को ठीक से लागू नहीं किया. बीस साल बाद, 2013 में, मानव मलमूत्र को साफ करने के लिए मनुष्यों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और उनके पुनर्वास के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक और कानून पारित किया गया. लेकिन इसके बाद भी मैला ढोने वालों और सफाई कर्मचारियों के जीवन में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

सीवर सफाई से एक साल में 22 मौतें : संसद में मोदी सरकार
2021 में दिसंबर महीने तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 22 लोगों की मौत होने की जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी थी. लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सांसद भगीरथ चौधरी के एक प्रश्न का जवाब दिया था. सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बताया था कि कर्नाटक और तमिलनाडु में पांच-पांच, दिल्ली में चार, गुजरात में तीन, हरियाणा और तेलंगाना में दो-दो और एक की मौत हुई है.

ये भी पढ़ें - चेन्नई : सेप्टिक टैंक साफ करते समय दो मजदूरों की मौत, तीन अस्पताल में भर्ती

हाथ से मैला ढोना एक शर्मनाक प्रथा : राष्ट्रपति कोविंद
नवंबर, 2021 में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2021 प्रदान करने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि देश को पूरी तरह से स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाने के हमारे प्रयास हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि असुरक्षित सफाई कार्यों के कारण किसी भी सफाई कर्मचारी का जीवन खतरे में न पड़े. उन्होंने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की 'सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज' पहल की सराहना कर कहा था, 246 शहरों में सीवर और सेप्टिक टैंक की यांत्रिक सफाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज शुरू किया गया है. उन्होंने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को सभी शहरों में इस यांत्रिक सफाई सुविधा का विस्तार करने की सलाह दी. राष्ट्रपति ने कहा था कि हाथ से मैला ढोना एक शर्मनाक प्रथा (president kovind manual scavenging shameful practice) है. इस प्रथा का उन्मूलन न केवल सरकार की बल्कि समाज और नागरिकों की भी जिम्मेदारी है.

सीवर क्लीनिंग पर केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल
सीवर सफाई को लेकर लचर रवैये के कारण केंद्र सरकार अक्सर आलोचकों के निशाने पर रही है. जून, 2021 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Social Justice and Empowerment) के संसद में कहा था कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई (no deaths due to manual scavenging) है. इससे पहले अठावले ने संसद में ही मार्च महीने में कहा था, 'हाथ से मैला साफ करने के कारण किसी की मौत नहीं हुई. बहरहाल, शौचालय टैंक या सीवर की सफाई के दौरान लोगों की मौत की खबर है.'

बीकानेर : राजस्थान जिले के बीछवाल थाना क्षेत्र में सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरे 4 मजदूरों की दम घुटने (four laborers died in Septic tank) से मौत हो गई. ऊन मिल के सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए रविवार को चार मजदूर आए थे. टैंक में सफाई के दौरान गंदगी और जहरीली गैस फैलने के कारण उनकी सांसें थम गईं. घटना जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व अन्य मंत्रियों ने मजदूरों की मौत पर दुख जताया है.

शहर के बीछवाल थाना क्षेत्र में करणी औद्योगिक क्षेत्र में रविवार को दर्दनाक हादसा (Accident in Bikaner) हो गया. घटना एक वुलेन फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए चार मजदूर उतरे थे. टैंक में गंदगी और भीषण दुर्गंध बर्दाश्त नहीं कर पाने पर सभी की दम घुटने से मौत हो गई. तीन मजदूरों ने टैंक में ही दम तोड़ दिया जबकि एक को पीबीएम रेफर किया गया. वहां इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया. घटना से फैक्ट्री में मौजूद मजदूरों में अफरातफरी का माहौल रहा.

राजस्थान के बीकानेर में बड़ा हादसा

इस संबंध में बीछवाल थानाधिकारी मनोज शर्मा ने बताया यह हादसा करणी औद्योगिक क्षेत्र में ऊन मिल में हुआ है जहां फेक्ट्री में बने गंदे पानी के वेस्ट के लिए बनाए गए सेप्टिक टैंक की सफाई करने चार मजदूर उतरे थे, गंदे पानी को मोटर से बाहर निकाल दिया था उसके बाद सतह पर जमा गंदगी व जहरीली गैस से चारों मजदूरों का दम घुटने लगा जिससे तीन मजदूरों ने मौके पर दम तोड़ दिया लेकिन अंत में उतरे मजदूर की सांसें चल रहीं थीं. उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. चारों मृतकों की पहचान कालूराम, लालचंद, चोरूलाल व नायक के रूप में हुई है. घटना को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी और गोविंद मेघवाल ने भी दुख जताया है.

राजस्थान के सीएम गहलोत ने जताया दुख
राजस्थान के सीएम गहलोत ने जताया दुख

पहले भी बेमौत मारे गए हैं लोग
गौरतलब है कि जनवरी, 2020 में भी महाराष्ट्र में सीवर सफाई के दौरान लोगों की मौत हुई थी. मुंबई के गोरेगांव में सीवर में सफाई के लिए उतरे दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इससे पहले दिसंबर, 2019 में भी सीवर सफाई करने के दौरान पांच सफाईकर्मियों की मौत हुई थी. अगस्त, 2019 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में दम घुटने के कारण पांच लोगों की मौत हुई थी. हादसा सीवर सफाई के दौरान हुआ था. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10-10 लाख रुपये मुआवजे का एलान किया था.

जून, 2019 में पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के वडोदरा में भी मैनुअल सीवर क्लीनिंग का मामला सामने आया था. एक होटल में सीवर साफ करने के दौरान दम घुटने से चार सफाईकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हुई थी. इस संबंध में अधिकारियों ने बताया था कि वड़ोदरा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर डभोई तहसील में सीवर सफाई के दौरान कई लोगों की मौत हो गई.

सीवर सफाई के कारण मौतों की खबरें-

सीवर सफाई पर भारत के कानून और सामाजिक बदलाव के प्रयास
मलत्याग को हाथ से साफ करना का एक बहुत ही अपमानजनक काम है, जो किसी व्यक्ति से उसका इंसान होने का हक छीन लेता है. इस कार्य को करने में कुछ भी पुन्यमय नहीं है. भारतीय संविधान के वास्तुकार डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर ने चेतावनी दी थी. भंगी झाड़ू छोडो का नारा देते हुए उन्होंने मैला ढोने के कार्य का तुरंत बहिष्कार करने का आह्वान किया था. उन्होंने इस वीभत्स पेशे के महिमामंडित करने की धारणा का पुरजोर खंडन किया था. दशकों बीत जाने के बाद आज भी भारत में हाथ से मैला ढोने वालों को रोजगार पर रखा जा रहा है. हाथ से मैला ढोने के खिलाफ बने कानून भी इसे खत्म करने के लिए नाकाफी साबित हुए हैं. 2013 में, केंद्र ने हाथ से मैला सफाईकर्मी कार्य का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास विधेयक के प्रारूपित किया लेकिन यह अभी भी इसे पूरी ताक़त से लागू होना बाकी है. वर्तमान में, सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के कार्य के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त करने वाला व्यक्ति या एजेंसी को 5 साल तक के कारावास या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. केंद्र नए विधेयक में इसके लिए और कठोर दंड पर विचार कर रहा है. भारत सरकार ने 1993 में सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम के खिलाफ एक कानून बनाया. राज्यों की ज़िदगी रवैये के कारण किसी भी स्तर पर कानून को ठीक से लागू नहीं किया. बीस साल बाद, 2013 में, मानव मलमूत्र को साफ करने के लिए मनुष्यों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और उनके पुनर्वास के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक और कानून पारित किया गया. लेकिन इसके बाद भी मैला ढोने वालों और सफाई कर्मचारियों के जीवन में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

सीवर सफाई से एक साल में 22 मौतें : संसद में मोदी सरकार
2021 में दिसंबर महीने तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 22 लोगों की मौत होने की जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी थी. लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सांसद भगीरथ चौधरी के एक प्रश्न का जवाब दिया था. सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बताया था कि कर्नाटक और तमिलनाडु में पांच-पांच, दिल्ली में चार, गुजरात में तीन, हरियाणा और तेलंगाना में दो-दो और एक की मौत हुई है.

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हाथ से मैला ढोना एक शर्मनाक प्रथा : राष्ट्रपति कोविंद
नवंबर, 2021 में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2021 प्रदान करने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि देश को पूरी तरह से स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाने के हमारे प्रयास हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि असुरक्षित सफाई कार्यों के कारण किसी भी सफाई कर्मचारी का जीवन खतरे में न पड़े. उन्होंने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की 'सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज' पहल की सराहना कर कहा था, 246 शहरों में सीवर और सेप्टिक टैंक की यांत्रिक सफाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज शुरू किया गया है. उन्होंने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को सभी शहरों में इस यांत्रिक सफाई सुविधा का विस्तार करने की सलाह दी. राष्ट्रपति ने कहा था कि हाथ से मैला ढोना एक शर्मनाक प्रथा (president kovind manual scavenging shameful practice) है. इस प्रथा का उन्मूलन न केवल सरकार की बल्कि समाज और नागरिकों की भी जिम्मेदारी है.

सीवर क्लीनिंग पर केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल
सीवर सफाई को लेकर लचर रवैये के कारण केंद्र सरकार अक्सर आलोचकों के निशाने पर रही है. जून, 2021 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Social Justice and Empowerment) के संसद में कहा था कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई (no deaths due to manual scavenging) है. इससे पहले अठावले ने संसद में ही मार्च महीने में कहा था, 'हाथ से मैला साफ करने के कारण किसी की मौत नहीं हुई. बहरहाल, शौचालय टैंक या सीवर की सफाई के दौरान लोगों की मौत की खबर है.'

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