नई दिल्ली : नेपाल के पूर्व मंत्री एकनाथ ढकाल ने भारत और नेपाल के रिश्ते को अटूट करार देते हुए कहा कि उनके देश के साथ संबंधों में कोई भी देश भारत का स्थान नहीं ले सकता है. भारत यात्रा पर आए नेपाल परिवार दल के अध्यक्ष ढकाल ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि दोनों देशों के संबंध में समय के साथ कई उतार चढ़ाव देखे हैं.
उन्होंने कहा कि लेकिन हमारे बीच खानपान, वेशभूषा, संस्कृति सहित अनेक समानताएं हैं, हमारे संबंध अटूट हैं. हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच रिश्तों में कुछ खटास आने के बारे में एक सवाल के जवाब में नेपाल के पूर्व मंत्री ने कहा कि राजनीतिक कारणों से कोई दल किसी विषयों को अपने ढंग से या अलग तरह से प्रस्तुत कर सकता है, लेकिन यह अक्सर हमारे लोगों की भावना को परिलक्षित नहीं करते.
उन्होंने कहा, भारत और नेपाल के रिश्ते अटूट हैं और इसे और मजबूत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत, नेपाल का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और उसका 70 प्रतिशत कारोबार भारत के साथ होता है. भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. ऐसे में स्वभाविक रूप से नेपाल को भारत के सहयोग से लाभ उठाना चाहिए.
नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर ढकाल ने कहा कि कुछ दलों द्वारा ऐसे प्रयास हुए हैं, जिसमें भारत की बजाय नेपाल की चीन से निकटता दर्शाई गई है, लेकिन यह जन भावना को प्रदर्शित नहीं करती है. उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि नेपाल में पिछले समय में चीन का प्रभाव बढ़ा है. उन्होंने नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस गठबंधन से इतर तीसरे मोर्चे की वकालत की जो 'नए नेपाल' का निर्माण कर सके.
ढकाल ने यूनिवर्सल पीस फेडेरेशन के तत्वावधान में कोरोना योद्धाओं के रूप में यहां डाक्टरों को शांति दूत पुरस्कार प्रदान किया. इस अवसर पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे.