भारत का बांग्लादेश के साथ संबंध दक्षिण एशिया के लिए बन रहा आदर्श : पूर्व राजनयिक - प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी इस समय बांग्लादेश के दौरे पर हैं. इसके कई रणनीतिक मायने हैं जिसको लेकर पूर्व राजनयिक पिनाक रंजन चक्रवर्ती से 'ईटीवी भारत' ने बातचीत की. पढ़िए पूर्व राजनयिक ने भारत-बांग्लादेश के संबंधों को लेकर क्या कहा...
![भारत का बांग्लादेश के साथ संबंध दक्षिण एशिया के लिए बन रहा आदर्श : पूर्व राजनयिक भारत-बांग्लादेश](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-11171300-thumbnail-3x2-chand.jpg?imwidth=3840)
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे जहां हवाई अड्डे पर उनका स्वागत उनकी समकक्ष शेख हसीना ने किया. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद अपनी इस पहली विदेश यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पीएम मोदी कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं.
पीएम मोदी की इस यात्रा के कई रणनीतिक मायने हैं. इस पर 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने पूर्व राजनयिक पिनाक रंजन चक्रवर्ती से बात की है.
चक्रवर्ती ने कहा कि पीएम मोदी का यह दौरा इंडिया नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी को दर्शाता है, जिसका पीएम मोदी ने जिक्र भी किया था. भारत की तरफ से बांग्लादेश को सबसे पहले कोविड वैक्सीन प्रदान की गई है. यह दर्शाता है कि भारत और बांग्लादेश के संबंध ग्रेट मैचूर्टी पर पहुंच गए हैं.
उन्होंने कहा, वर्ष 1971 दक्षिण एशियाई और वैश्विक इतिहास में एक बेंचमार्क था. हमारे पास पाकिस्तान से मुक्त हुआ एक नया देश था. ऐसा लग रहा था कि हम दक्षिण एशिया में विभाजन से गुजर रहे थे. यह शीत युद्ध की तरह एक विशाल आयाम की भूराजनीतिक घटना थी. सोवियत संघ हमारा मित्र था, जब चीन, अमरीका जैसी कुछ महान शक्तियां भारत का विरोध कर रही थीं तब सोवियत संघ मे हमारी मदद की थी.
पढ़ें :- बांग्लादेश की आजादी के लिए मैनें भी सत्याग्रह किया था : पीएम मोदी
यह एक विशाल भू-राजनीतिक घटना थी और तब से बांग्लादेश एशिया में सफल अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में से एक रहा है इसलिए भारत के साथ इसके संबंध बढ़ गए हैं.
पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए संदेश यह है कि भारत पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और स्थिर संबंध चाहता है. स्थिरता और शांति के बिना प्रगति नहीं हो सकती है और बांग्लादेश इस संदेश का 'ध्वजवाहक' साबित हो रहा है. भारत का बांग्लादेश के साथ संबंध दक्षिण एशिया के लिए एक आदर्श बन रहा है.