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विदेश मंत्री एस जयशंकर 25 से 29 दिसंबर तक करेंगे रूस की यात्रा

Foreign Minister S Jaishankar, foreign Ministry, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार से रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर जाएंगे. इस यात्रा के दौरान वह विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने यह जानकारी भी दी कि जयशंकर मॉस्को के साथ-साथ सेंट पीटर्सबर्ग भी जाएंगे.

Foreign Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर
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By PTI

Published : Dec 24, 2023, 10:49 PM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से सोमवार से रूस की पांच दिवसीय यात्रा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने यात्रा की घोषणा करते हुए रविवार को कहा कि जयशंकर मॉस्को के साथ ही सेंट पीटर्सबर्ग जाएंगे. मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री जयशंकर दोनों पक्षों के बीच चल रहे उच्च स्तरीय संवाद के तौर पर 25 से 29 दिसंबर तक रूस की यात्रा करेंगे.

मंत्रालय ने कहा कि 'समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस साझेदारी स्थिर तथा लचीली बनी हुई है और विशेष व विशेषाधिकार रणनीतिक साझेदारी की भावना के साथ इसकी खासियत बनी हुई है.' विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री तथा उद्योग व व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से मुलाकात करेंगे और आर्थिक भागीदारी से जुड़े मामलों पर चर्चा करेंगे.

उसने कहा कि जयशंकर रूस के अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव से द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. मंत्रालय ने कहा कि 'हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत परस्पर और सांस्कृतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विदेश मंत्री के कार्यक्रम में मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग भी शामिल होंगे.' ऐसी जानकारी है कि दोनों पक्ष खासतौर से व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और संपर्क के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं.

जयशंकर की यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब यह स्पष्ट हो गया है कि वार्षिक भारत-रूस नेता शिखर वार्ता इस साल भी नहीं होगी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति के बीच शिखर वार्ता रणनीतिक भागीदारी में उच्च स्तर का संवाद कार्यक्रम है. अभी तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर वार्ता हुई हैं. आखिरी शिखर वार्ता दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में हुई थी.

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बावजूद भारत और मॉस्को के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं. कई पश्चिम देशों द्वारा नाखुशी जताए जाने के बावजूद रूस के कच्चे तेल का भारत का आयात काफी बढ़ा है. भारत ने अभी तक यूक्रेन में रूस के युद्ध की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि इस संकट को कूटनीति और संवाद के जरिए हल किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से सोमवार से रूस की पांच दिवसीय यात्रा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने यात्रा की घोषणा करते हुए रविवार को कहा कि जयशंकर मॉस्को के साथ ही सेंट पीटर्सबर्ग जाएंगे. मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री जयशंकर दोनों पक्षों के बीच चल रहे उच्च स्तरीय संवाद के तौर पर 25 से 29 दिसंबर तक रूस की यात्रा करेंगे.

मंत्रालय ने कहा कि 'समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस साझेदारी स्थिर तथा लचीली बनी हुई है और विशेष व विशेषाधिकार रणनीतिक साझेदारी की भावना के साथ इसकी खासियत बनी हुई है.' विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री तथा उद्योग व व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से मुलाकात करेंगे और आर्थिक भागीदारी से जुड़े मामलों पर चर्चा करेंगे.

उसने कहा कि जयशंकर रूस के अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव से द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. मंत्रालय ने कहा कि 'हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत परस्पर और सांस्कृतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विदेश मंत्री के कार्यक्रम में मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग भी शामिल होंगे.' ऐसी जानकारी है कि दोनों पक्ष खासतौर से व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और संपर्क के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं.

जयशंकर की यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब यह स्पष्ट हो गया है कि वार्षिक भारत-रूस नेता शिखर वार्ता इस साल भी नहीं होगी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति के बीच शिखर वार्ता रणनीतिक भागीदारी में उच्च स्तर का संवाद कार्यक्रम है. अभी तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर वार्ता हुई हैं. आखिरी शिखर वार्ता दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में हुई थी.

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बावजूद भारत और मॉस्को के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं. कई पश्चिम देशों द्वारा नाखुशी जताए जाने के बावजूद रूस के कच्चे तेल का भारत का आयात काफी बढ़ा है. भारत ने अभी तक यूक्रेन में रूस के युद्ध की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि इस संकट को कूटनीति और संवाद के जरिए हल किया जाना चाहिए.

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