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कश्मीर घाटी में लड़कियों को फुटबॉल चैंपियन बनाने की दिशा में बड़ा कदम

कश्मीर में एक फुटबॉल अकादमी लड़कियों को फुटबॉल की दुनिया में बड़ा नाम बनाने में मदद करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण दे रही है. मैदान पर हर दिन, ये लड़कियां वार्म-अप करती हैं और बुनियादी फुटबॉल कौशल और अधिक जटिल तरकीबें सीखती हैं.

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Published : Oct 17, 2021, 10:54 PM IST

कश्मीर
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श्रीनगर : कोच और खिलाड़ी समान रूप से फुटबॉल पिच पर हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने उनके सपने हकीकत में बदल सकें.

वे हर दिन फुटबॉल खिलाड़ियों के रूप में अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, यह अकादमी इन खिलाड़ियों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने और यह साबित करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम करती है.

अकादमी की कोच नादिया ने कहा कि अकादमी ने शुरुआत में केवल लड़कों को प्रशिक्षण देना शुरू किया था.

उन्हाेंने कहा कि यह अकादमी पिछले 7 वर्षों से है और इसकी शुरुआत लड़कों को कोचिंग प्रदान करने के साथ हुई थी. शुरू में लड़कियां नहीं आ सकीं. हमने बहुत प्रतिष्ठा अर्जित की और बहुत सारे टूर्नामेंट जीते. 2018-19 में मैंने महिलाओं के लिए अकादमी शुरू की लेकिन COVID-19 महामारी के कारण योजनाओं को रोक दिया गया था. लेकिन अब पिछले तीन महीनों से मैं लड़कियों को प्रशिक्षण दे रही हूं. मुझे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.

28-30 लड़कियां आ रही हैं. मेरा उद्देश्य कश्मीर के फुटबॉल परिदृश्य को विकसित करना है. लड़कियों के पास बहुत प्रतिभा है लेकिन कोई मंच नहीं है. खिलाड़ी भी अकादमी और खेल का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं.

खिलाड़ी हानिया ने कहा कि मुझे फ़ुटबॉल खेलने का शौक था. मैं अकादमियों में खेलने वाले लड़कों को देखती थी और सोचता थी कि लड़कियां इस खेल को क्यों नहीं खेल सकतीं और लड़कियों के कोच क्यों नहीं थे? यह मंच हमें दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने में मदद कर सकता है.हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.

एक अन्य खिलाड़ी ज़ैनब ने कहा कि हम हमेशा फुटबॉल में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच चाहते थे. अगर लड़के इस खेल को खेल सकते हैं तो हम लड़कियां क्यों नहीं? हम सरकार से हमें एक मंच देने का आग्रह करते हैं ताकि हम बेहतर खेल सकें. हमें उम्मीद है कि सभी लड़कियों को खेलने और भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा.

एक अन्य खिलाड़ी माफ़ीफ ने अकादमी में सिखाई जाने वाली चीजों के बारे में बात की और कहा कि अन्य महिलाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अन्य जिलों में इस तरह की और अकादमियां खोलनी चाहिए.

उसने कहा कि मैं फुटबॉल खेलकर बहुत खुश हूं क्योंकि यह हमें सिखाता है कि टीम भावना और एकता कितनी महत्वपूर्ण है. खेल ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. हमने खेल के माध्यम से बहुत अनुशासन सीखा है. पहले, केवल लड़के ही खेल खेलते थे.

श्रीनगर : कोच और खिलाड़ी समान रूप से फुटबॉल पिच पर हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने उनके सपने हकीकत में बदल सकें.

वे हर दिन फुटबॉल खिलाड़ियों के रूप में अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, यह अकादमी इन खिलाड़ियों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने और यह साबित करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम करती है.

अकादमी की कोच नादिया ने कहा कि अकादमी ने शुरुआत में केवल लड़कों को प्रशिक्षण देना शुरू किया था.

उन्हाेंने कहा कि यह अकादमी पिछले 7 वर्षों से है और इसकी शुरुआत लड़कों को कोचिंग प्रदान करने के साथ हुई थी. शुरू में लड़कियां नहीं आ सकीं. हमने बहुत प्रतिष्ठा अर्जित की और बहुत सारे टूर्नामेंट जीते. 2018-19 में मैंने महिलाओं के लिए अकादमी शुरू की लेकिन COVID-19 महामारी के कारण योजनाओं को रोक दिया गया था. लेकिन अब पिछले तीन महीनों से मैं लड़कियों को प्रशिक्षण दे रही हूं. मुझे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.

28-30 लड़कियां आ रही हैं. मेरा उद्देश्य कश्मीर के फुटबॉल परिदृश्य को विकसित करना है. लड़कियों के पास बहुत प्रतिभा है लेकिन कोई मंच नहीं है. खिलाड़ी भी अकादमी और खेल का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं.

खिलाड़ी हानिया ने कहा कि मुझे फ़ुटबॉल खेलने का शौक था. मैं अकादमियों में खेलने वाले लड़कों को देखती थी और सोचता थी कि लड़कियां इस खेल को क्यों नहीं खेल सकतीं और लड़कियों के कोच क्यों नहीं थे? यह मंच हमें दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने में मदद कर सकता है.हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.

एक अन्य खिलाड़ी ज़ैनब ने कहा कि हम हमेशा फुटबॉल में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच चाहते थे. अगर लड़के इस खेल को खेल सकते हैं तो हम लड़कियां क्यों नहीं? हम सरकार से हमें एक मंच देने का आग्रह करते हैं ताकि हम बेहतर खेल सकें. हमें उम्मीद है कि सभी लड़कियों को खेलने और भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा.

एक अन्य खिलाड़ी माफ़ीफ ने अकादमी में सिखाई जाने वाली चीजों के बारे में बात की और कहा कि अन्य महिलाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अन्य जिलों में इस तरह की और अकादमियां खोलनी चाहिए.

उसने कहा कि मैं फुटबॉल खेलकर बहुत खुश हूं क्योंकि यह हमें सिखाता है कि टीम भावना और एकता कितनी महत्वपूर्ण है. खेल ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. हमने खेल के माध्यम से बहुत अनुशासन सीखा है. पहले, केवल लड़के ही खेल खेलते थे.

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