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कृषि कानूनों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे किसान : शिवकुमार - Farmers will not back down

राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि किसानों के लिए कृषि कानून डेथ वारंट की तरह है. उनकी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है, जिसमें किसान कहीं भी पीछे नहीं हटेंगे.

शिवकुमार शर्मा
शिवकुमार शर्मा
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Published : Nov 29, 2020, 10:49 PM IST

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर चौथे दिन भी हाईवे जाम कर डटे हुए हैं. किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा भेजे गए सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है. राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान ईटीवी भारत से कहा कि उनकी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है, जिसमें किसान कहीं भी पीछे नहीं हटेंगे.

शिवकुमार ने कहा, किसानों के लिए यह समय नई फसल की बुआई का है, लेकिन लाखों की संख्या में किसान आंदोलित हैं और दिल्ली पहुंच रहे हैं, ऐसे में यदि सरकार को किसानों की परवाह होती, तो वह शर्तों के साथ बातचीत का प्रस्ताव नहीं रखती.

पूर्व में पंजाब के किसान संगठनों और सरकार के बीच दो वार्ताओं को राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष ने महज औपचारिकता बताते हुए कहा कि बेनतीजा बातचीत और चर्चा से केवल मुद्दे को टालने का ही प्रयास सरकार की तरफ से किया गया है.

किसान नेता शिवकुमार शर्मा से बातचीत.


900 पन्नों के ड्राफ्ट में किसानों की एक भी मांग नहीं
शिवकुमार शर्मा ने कहा कि यदि सरकार एमएसपी को संवैधानिक भी करती है, तो यह केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य ही है जिस पर किसान केवल गुजर बसर करता है.
अभी तक सरकार 24 जीन्स पर एमएसपी की घोषणा करती आई है. किसान नेता कहते हैं कि तीन कृषि कानूनों के लिए सरकार ने 900 पन्नों का ड्राफ्ट तैयार किया है, लेकिन इसमें किसान की एक लाइन की मांग को नहीं रखा गया.

पढ़ें-कृषि मंत्री ने की बातचीत की अपील, किसान बोले- सशर्त प्रस्ताव मंजूर नहीं

एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे सरकार
शिवकुमार ने कहा कि यदि सरकार उस ड्राफ्ट में एक पंक्ति लिख दे कि सरकार किसानों से एमएसपी पर खरीद की गारंटी देती है, तो पहले ड्राफ्ट में ही यह विवाद खत्म हो जाता. दूसरी समस्या किसानों को नए कानून के तहत कोर्ट में सुनवाई न होने की है. नए कानून के अनुसार किसी भी विवाद की स्थिति में एसडीएम और डीएम स्तर पर उसका निपटारा किया जाएगा. किसान संगठन मानते हैं कि उनके पास कोर्ट में अपील करने का अधिकार होना चाहिए.

पढ़ें-सरकार सत्ता के नशे में चूर, करोड़ों किसानों की नहीं सुन रही : कांग्रेस

जन आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं
हजारों की संख्या में ट्रैक्टर के साथ आज लाखों किसान सड़क पर उतर आए हैं और दिल्ली से हरियाणा और पंजाब की ओर जाने वाले मुख्य राजमार्ग (एनएच-48) को पूरी तरह जाम कर आवागमन ठप्प कर दिया है. ऐसे में आम जनता को असुविधा और राज्यों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. किसान नेता इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि लोकतंत्र में जन आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता है.

आंदोलन के कारण जनता, प्रशासन और सरकार सबको परेशानी होती है, जिसके लिए उन्हें अफसोस है, लेकिन तीन कृषि कानून अब किसानों के लिए जीवन मरण का प्रश्न है और किसान तब तक डटे रहेंगे जब तक सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर देती.

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर चौथे दिन भी हाईवे जाम कर डटे हुए हैं. किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा भेजे गए सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है. राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान ईटीवी भारत से कहा कि उनकी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है, जिसमें किसान कहीं भी पीछे नहीं हटेंगे.

शिवकुमार ने कहा, किसानों के लिए यह समय नई फसल की बुआई का है, लेकिन लाखों की संख्या में किसान आंदोलित हैं और दिल्ली पहुंच रहे हैं, ऐसे में यदि सरकार को किसानों की परवाह होती, तो वह शर्तों के साथ बातचीत का प्रस्ताव नहीं रखती.

पूर्व में पंजाब के किसान संगठनों और सरकार के बीच दो वार्ताओं को राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष ने महज औपचारिकता बताते हुए कहा कि बेनतीजा बातचीत और चर्चा से केवल मुद्दे को टालने का ही प्रयास सरकार की तरफ से किया गया है.

किसान नेता शिवकुमार शर्मा से बातचीत.


900 पन्नों के ड्राफ्ट में किसानों की एक भी मांग नहीं
शिवकुमार शर्मा ने कहा कि यदि सरकार एमएसपी को संवैधानिक भी करती है, तो यह केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य ही है जिस पर किसान केवल गुजर बसर करता है.
अभी तक सरकार 24 जीन्स पर एमएसपी की घोषणा करती आई है. किसान नेता कहते हैं कि तीन कृषि कानूनों के लिए सरकार ने 900 पन्नों का ड्राफ्ट तैयार किया है, लेकिन इसमें किसान की एक लाइन की मांग को नहीं रखा गया.

पढ़ें-कृषि मंत्री ने की बातचीत की अपील, किसान बोले- सशर्त प्रस्ताव मंजूर नहीं

एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे सरकार
शिवकुमार ने कहा कि यदि सरकार उस ड्राफ्ट में एक पंक्ति लिख दे कि सरकार किसानों से एमएसपी पर खरीद की गारंटी देती है, तो पहले ड्राफ्ट में ही यह विवाद खत्म हो जाता. दूसरी समस्या किसानों को नए कानून के तहत कोर्ट में सुनवाई न होने की है. नए कानून के अनुसार किसी भी विवाद की स्थिति में एसडीएम और डीएम स्तर पर उसका निपटारा किया जाएगा. किसान संगठन मानते हैं कि उनके पास कोर्ट में अपील करने का अधिकार होना चाहिए.

पढ़ें-सरकार सत्ता के नशे में चूर, करोड़ों किसानों की नहीं सुन रही : कांग्रेस

जन आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं
हजारों की संख्या में ट्रैक्टर के साथ आज लाखों किसान सड़क पर उतर आए हैं और दिल्ली से हरियाणा और पंजाब की ओर जाने वाले मुख्य राजमार्ग (एनएच-48) को पूरी तरह जाम कर आवागमन ठप्प कर दिया है. ऐसे में आम जनता को असुविधा और राज्यों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. किसान नेता इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि लोकतंत्र में जन आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता है.

आंदोलन के कारण जनता, प्रशासन और सरकार सबको परेशानी होती है, जिसके लिए उन्हें अफसोस है, लेकिन तीन कृषि कानून अब किसानों के लिए जीवन मरण का प्रश्न है और किसान तब तक डटे रहेंगे जब तक सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर देती.

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