हिसार: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए गुरु पर्व के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस (Farm Laws Repealed) लेने का ऐलान किया. केंद्र के इस फैसले पर ईटीवी भारत ने भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की.
ईटीवी भारत ने गुरनाम सिंह चढूनी से सवाल किया कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं. क्या अब वो अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे. इस पर गुरनाम चढूनी ने कहा कि अभी भी काफी चीजे हैं जिन पर उन्हें आपत्ति है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने एमएसपी के मुद्दे पर बात नहीं की है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सभी किसान नेता बैठकर बातचीत करेंगे, बैठक के बाद ही फैसला लेंगे कि क्या करना है.
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वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने किसान आंदोलन के जारी रहने की घोषणा की है. उनका कहना है कि जब तक तीन कृषि कानून संसद में रद्द नहीं हो जाते हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसान आंदोलन चलता रहेगा.
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बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपने संबोधन में कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी. उन्होंने कहा कि कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरुनानक देव का पवित्र पर्व है. ये समय किसी को दोष देने का समय नहीं है. आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि तीन कृषि कानूनों का वापस लेने का फैसला (Farm Laws To Be Cancelled) किया है.
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तीन कृषि कानून क्या हैं (What is Three farm laws) जिन्हें वापस लिया गया:
1) कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020- इसके तहत किसान कृषि उपज को सरकारी मंडियों के बाहर भी बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक किसान किसी निजी खरीददार को भी ऊंचे दाम पर अपनी फसल बेच सकते थे. सरकार के मुताबिक इससे किसानों की उपज बेचने के विकल्प बढ़ सकते थे.
2) कृषि (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020- इस कानून के तहत अनुबंध खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत दिया जा सकता था. इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है.
3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया. इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी को सीमित करने और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने जैसे प्रतिबंध हटा दिए गए थे.