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Positive Bharat Podcast: चाय बेचने वाले 'IAS' की कहानी, जिसने तीन बार क्रैक की UPSC की परीक्षा

'पिता चाय की दुकान चलाया करते थे, परिवार में आर्थिक तंगी भी काफी थी, जिसके चलते मैं खुद मेरे पिता की चाय की दुकान पर उनकी सहायता किया करता था, मैने अपनी बुनियादी शिक्षा उत्तर प्रदेश स्थित बरेली जिले के सिरौली में की, जहां मुझे स्कूल आने-जाने के लिए 70 किमी का सफर तय करना पड़ता था'. यह शब्द है तीन बार UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले उत्तराखंड के हिमांशु गुप्ता की.

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Positive Bharat Podcast चाय बेचने वाले 'IAS' की कहानी, जिसने तीन बार क्रैक की UPSC की परीक्षा
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Published : Dec 20, 2021, 12:00 PM IST

नई दिल्ली: हिमांशु गुप्ता का जन्म उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में हुआ था, उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. हिमांशु ने गरीबी को करीब से देखा था, वो लाचारी और आर्थिक तंगी को अच्छे से समझते थे, लेकिन वह अपनी इस हालात पर निराश नहीं थे, बल्कि उन्हें इन हालातों से एक नई सकारात्मक उर्जा मिलती थी, जो उन्हें सिखाती थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, इन हालातों को बदलना है.

हिमांशु को लगता था कि ऐसा करने का सबसे अच्छा माध्यम शिक्षा है, लेकिन अक्सर अच्छी शिक्षा (ias himanshu gupta story) आर्थिक समृद्धि के साथ ही आती है. इस कारण हिमांशु को बुनियादी शिक्षा हासिल करने के लिए भी काफी जतन करना पड़ा था. हिमांशु उस दौर को याद करते हैं कि वे बहुत कम अपने पिता से मिल पाते थे, आर्थिक कठिनाई के चलते उनके पिता अक्सर अलग-अलग जगह काम की तलाश किया करते थे.

इसी तलाश के चलते उनका परिवार (ias himanshu gupta story struggle ) उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित शिवपुरी चला गया, जहां उन्होंने अपने शिक्षा की (ias himanshu gupta story) शुरुआत की, लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए उन्हें 35 किमी का फासला तय करना पड़ता था (ias himanshu gupta story schooling ) जो काफी मुश्किल था, लेकिन हिमांशु ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. हिमांशु इस वक्त तक यूपीएससी से बेखबर थे.

वह अपने कॉलेज के दिनों में लोगों को देखकर, मिलकर और उनसे बात करके सीखा करते. हिमांशु विभिन्न क्षेत्रों में और जमीनी स्तर पर लोगों के लिए काम करना चाहते थे, जिसके चलते अपनी ख्वाहिश का आकलन करने के बाद हिमांशु ने 2016 में यूपीएससी क्रैक करने का फैसला किया(ias himanshu gupta story coaching ).

चाय बेचने वाले 'IAS' की कहानी

फिर साल 2018 में हिमांशु ने यूपीएससी के लिए अपना पहला प्रयास किया और भारतीय रेलवे यातायात सेवा में प्रवेश करने में सफल रहे, लेकिन अभी भी उन्होंने कुछ और सोच रखा था. इसके बाद साल 2019 में हिमांशु ने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा में प्रवेश करने में सफल रहे, लेकिन अब एक और कोशिश की बारी थी. इसके बाद हिमांशु ने बिना ज्यादा वक्त गवांए साल 2020 में अपना अंतिम प्रयास किया और इस बार वह अपना नाम भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी IAS में शुमार करने में कामयाब रहे.

ये भी पढ़ें- हल्द्वानी में जापान के सहयोग से लगाई गई बायोडायवर्सिटी गैलरी, ये है खासियत

आज हिमांशु के माता-पिता उनकी वजह से जाने जाते हैं, एक माता-पिता के लिए इससे बड़ी खुशी और कोई हो ही नहीं सकती. हिमांशु कहते हैं कि उनके माता-पिता आईएएस के काम को नहीं समझते, वे बस इतना जानते हैं कि उनके बेटे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

यह कहानी थी हिमांशु गुप्ता की, जिसने अपने परिवार की आर्थिक बदहाली के बावजूद (positive bharat podcast motivation) वह मुकाम हासिल किया, जिसके हम केवल सपने देखा करते हैं. हिमांशु गुप्ता के संघर्ष और सफलता पर आधारित आज के इस पॅाडकास्ट. हमें यह सीखाता है कि चाहे दौर कैसा भी आए, चाहे जीवन का इम्तिहान कितना भी मुश्किल हो, हमें संघर्षों के इस समुंद्रों को लांघ कर अपने जीवन की सफलता को छूना है.

नई दिल्ली: हिमांशु गुप्ता का जन्म उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में हुआ था, उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. हिमांशु ने गरीबी को करीब से देखा था, वो लाचारी और आर्थिक तंगी को अच्छे से समझते थे, लेकिन वह अपनी इस हालात पर निराश नहीं थे, बल्कि उन्हें इन हालातों से एक नई सकारात्मक उर्जा मिलती थी, जो उन्हें सिखाती थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, इन हालातों को बदलना है.

हिमांशु को लगता था कि ऐसा करने का सबसे अच्छा माध्यम शिक्षा है, लेकिन अक्सर अच्छी शिक्षा (ias himanshu gupta story) आर्थिक समृद्धि के साथ ही आती है. इस कारण हिमांशु को बुनियादी शिक्षा हासिल करने के लिए भी काफी जतन करना पड़ा था. हिमांशु उस दौर को याद करते हैं कि वे बहुत कम अपने पिता से मिल पाते थे, आर्थिक कठिनाई के चलते उनके पिता अक्सर अलग-अलग जगह काम की तलाश किया करते थे.

इसी तलाश के चलते उनका परिवार (ias himanshu gupta story struggle ) उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित शिवपुरी चला गया, जहां उन्होंने अपने शिक्षा की (ias himanshu gupta story) शुरुआत की, लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए उन्हें 35 किमी का फासला तय करना पड़ता था (ias himanshu gupta story schooling ) जो काफी मुश्किल था, लेकिन हिमांशु ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. हिमांशु इस वक्त तक यूपीएससी से बेखबर थे.

वह अपने कॉलेज के दिनों में लोगों को देखकर, मिलकर और उनसे बात करके सीखा करते. हिमांशु विभिन्न क्षेत्रों में और जमीनी स्तर पर लोगों के लिए काम करना चाहते थे, जिसके चलते अपनी ख्वाहिश का आकलन करने के बाद हिमांशु ने 2016 में यूपीएससी क्रैक करने का फैसला किया(ias himanshu gupta story coaching ).

चाय बेचने वाले 'IAS' की कहानी

फिर साल 2018 में हिमांशु ने यूपीएससी के लिए अपना पहला प्रयास किया और भारतीय रेलवे यातायात सेवा में प्रवेश करने में सफल रहे, लेकिन अभी भी उन्होंने कुछ और सोच रखा था. इसके बाद साल 2019 में हिमांशु ने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा में प्रवेश करने में सफल रहे, लेकिन अब एक और कोशिश की बारी थी. इसके बाद हिमांशु ने बिना ज्यादा वक्त गवांए साल 2020 में अपना अंतिम प्रयास किया और इस बार वह अपना नाम भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी IAS में शुमार करने में कामयाब रहे.

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आज हिमांशु के माता-पिता उनकी वजह से जाने जाते हैं, एक माता-पिता के लिए इससे बड़ी खुशी और कोई हो ही नहीं सकती. हिमांशु कहते हैं कि उनके माता-पिता आईएएस के काम को नहीं समझते, वे बस इतना जानते हैं कि उनके बेटे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

यह कहानी थी हिमांशु गुप्ता की, जिसने अपने परिवार की आर्थिक बदहाली के बावजूद (positive bharat podcast motivation) वह मुकाम हासिल किया, जिसके हम केवल सपने देखा करते हैं. हिमांशु गुप्ता के संघर्ष और सफलता पर आधारित आज के इस पॅाडकास्ट. हमें यह सीखाता है कि चाहे दौर कैसा भी आए, चाहे जीवन का इम्तिहान कितना भी मुश्किल हो, हमें संघर्षों के इस समुंद्रों को लांघ कर अपने जीवन की सफलता को छूना है.

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