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चुनाव और कश्मीर की राजनीति दो अलग-अलग मुद्दे : अल्ताफ बुखारी - पीपल्स एलायंस नेशनल कॉन्फ्रेंस

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा यहां के लोग समझ चुके हैं कि चुनाव और कश्मीर का राजनीतिकरण दो अलग-अलग चीजें हैं. इस दौरान उन्होंने गुपकार अलायंस पर निशाना साधते हुए अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया.

अल्ताफ बुखारी
अल्ताफ बुखारी
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Published : Dec 15, 2020, 9:47 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि चुनाव और कश्मीर का राजनीतिकरण दो अलग-अलग मुद्दे हैं और मतदान जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मुद्दे की स्थिति को प्रभावित नहीं करता है.

जम्मू-कश्मीर में चल रहे जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे लोगों ने पहचान लिया है कि आंदोलन और चुनाव का कोई संबंध नहीं है.

बुखारी ने यहां अपनी पार्टी के एक सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि यहां के लोग समझ चुके हैं कि चुनाव और कश्मीर का राजनीतिकरण दो अलग-अलग चीजें हैं. उन्होंने कहा कि तीन महीने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे.

लोगों को संबोधित करते अल्ताफ बुखारी

गुपकार एलायंस नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित छह राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है, जो हाल ही में जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति और राज्य की बहाली के लिए लड़ने के लिए गठित किया गया है.

बता दें कि पिछले साल 5 अगस्त को धारा 370 के निरस्त होने के बाद किसी भी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित यह पहला बड़ा राजनीतिक सम्मेलन था.

इससे पहले बुखारी ने 'पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन' पर निशाना साधा और अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने कश्मीर के लोगों की, स्वायत्तता, स्व-शासन और डुअल कैरेंसी बेच डाली. इसके बाद भी अंत में लोगों के साथ धोखा हुआ.

अल्ताफ बुखारी का बयान

उन्होंने कहा कि कश्मीर की वर्तमान स्थिति के लिए भाजपा, कांग्रेस, नेकां और पीडीपी जिम्मेदार हैं. पिछले 70 वर्षों से इन दलों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं के साथ खेला है.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : डीडीसी चुनाव के सातवें चरण का मतदान कल

बुखारी ने अपनी पार्टी की प्रगति के बारे में बात करते हुए कहा कि जेकेएपी नौ महीने के बच्चे की तरह है. हम दावा नहीं करते हैं कि हम डीडीसी चुनावों में अधिकांश सीटें जीतेंगे, लेकिन हम निश्चित रूप से अपनी छाप छोड़ेंगे और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे.

इस वर्ष मार्च में अपनी पार्टी की स्थापना हुई थी और इसमें पीडीपी के पूर्व असंतुष्ट शामिल थे, जो कभी महबूबा मुफ्ती के करीबी थे.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि चुनाव और कश्मीर का राजनीतिकरण दो अलग-अलग मुद्दे हैं और मतदान जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मुद्दे की स्थिति को प्रभावित नहीं करता है.

जम्मू-कश्मीर में चल रहे जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे लोगों ने पहचान लिया है कि आंदोलन और चुनाव का कोई संबंध नहीं है.

बुखारी ने यहां अपनी पार्टी के एक सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि यहां के लोग समझ चुके हैं कि चुनाव और कश्मीर का राजनीतिकरण दो अलग-अलग चीजें हैं. उन्होंने कहा कि तीन महीने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे.

लोगों को संबोधित करते अल्ताफ बुखारी

गुपकार एलायंस नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित छह राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है, जो हाल ही में जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति और राज्य की बहाली के लिए लड़ने के लिए गठित किया गया है.

बता दें कि पिछले साल 5 अगस्त को धारा 370 के निरस्त होने के बाद किसी भी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित यह पहला बड़ा राजनीतिक सम्मेलन था.

इससे पहले बुखारी ने 'पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन' पर निशाना साधा और अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने कश्मीर के लोगों की, स्वायत्तता, स्व-शासन और डुअल कैरेंसी बेच डाली. इसके बाद भी अंत में लोगों के साथ धोखा हुआ.

अल्ताफ बुखारी का बयान

उन्होंने कहा कि कश्मीर की वर्तमान स्थिति के लिए भाजपा, कांग्रेस, नेकां और पीडीपी जिम्मेदार हैं. पिछले 70 वर्षों से इन दलों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं के साथ खेला है.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : डीडीसी चुनाव के सातवें चरण का मतदान कल

बुखारी ने अपनी पार्टी की प्रगति के बारे में बात करते हुए कहा कि जेकेएपी नौ महीने के बच्चे की तरह है. हम दावा नहीं करते हैं कि हम डीडीसी चुनावों में अधिकांश सीटें जीतेंगे, लेकिन हम निश्चित रूप से अपनी छाप छोड़ेंगे और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे.

इस वर्ष मार्च में अपनी पार्टी की स्थापना हुई थी और इसमें पीडीपी के पूर्व असंतुष्ट शामिल थे, जो कभी महबूबा मुफ्ती के करीबी थे.

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