नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने मंगलवार को विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का विरोध किया. हैशटैग #RejectNEP का उपयोग करते हुए, शिक्षकों और छात्रों के संगठनों ने अपना विरोध व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया.
आपकाे बता दें कि विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक चल रही है जहां 2022-23 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन एजेंडे में है. 2022-23 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को पिछले सप्ताह अकादमिक मामलों की स्थायी समिति और अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया था.
इसे कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किए जाने की संभावना है, जो विश्वविद्यालय का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है.
DUTA के अध्यक्ष राजीव रे ने एक ट्वीट में कहा, NEP 2020 का एजेंडा उच्च शिक्षा क व्यावसायीकरण और निजीकरण है. उच्च शिक्षा के व्यावसायीकरण और निजीकरण काे ना कहें! डूटा कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने भी ट्वीट कर उच्च शिक्षा के व्यावसायीकरण और निजीकरण का विराेध करने की अपील की है.
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का 2022-23 से कार्यान्वयन और चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को पिछले सप्ताह अकादमिक मामलों की स्थायी समिति और अकादमिक परिषद द्वारा मंजूरी दी गई थी. वहीं दूसरी ओर दिल्ली मंत्रिमंडल ने मार्च में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कला महाविद्यालय को आंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली (एयूडी) के साथ विलय करने का निर्णय लिया था.
विश्वविद्यालय ने कहा था कि वह दिल्ली सरकार द्वारा दी गई जमीन पर नजफगढ़ के रोशनपुरा और फतेहपुर बेरी में भाटी कलां में सुविधा केंद्र स्थापित करेगा. विश्वविद्यालय की फतेहपुर बेरी में एक कॉलेज स्थापित करने की भी योजना है, जिसके लिए दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज, स्वामी विवेकानंद, वीर सावरकर और सरदार पटेल के नाम प्रस्तावित किए गए थे.
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पिछले हफ्ते मंगलवार को हुई बैठक में, अकादमिक परिषद ने डीयू के पूर्व छात्र अरुण जेटली और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित पांच और नाम सामने रखे थे.