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मणिपुर हिंसा के बीच भी धड़ल्ले से चल रहा है ड्रग तस्करी का धंधा

मणिपुर हिंसा में भी यहां ड्रग्स तस्करी रुक नहीं रही है. ड्रग तस्करी को लेकर सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक तीन किलोग्राम हाई क्वालिटी ड्रग बरामद की जा चुकी है. पढ़ें इस पर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबराय की रिपोर्ट...

Drug trafficking in Manipur
मणिपुर में ड्रग्स की तस्करी
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Published : Jun 30, 2023, 10:24 PM IST

नयी दिल्ली: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष के बीच, अवैध ड्रग तस्कर सुरक्षा एजेंसियों को परेशान करते हुए अपना कारोबार बेरोकटोक चला रहे हैं. सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में ईटीवी भारत को बताया कि जारी हिंसा से ड्रग तस्करों के कारोबार में कोई बाधा नहीं आई है. अधिकारी ने कहा कि इस व्यवसाय में शामिल लोग स्थानीय आबादी की मिलीभगत से अपना व्यवसाय हमेशा की तरह चला रहे हैं.

भारत-म्यांमार सीमा का फायदा उठाते हुए, ड्रग तस्कर म्यांमार से भारत में ड्रग्स लाते हैं और फिर उनकी खेप को छोटे वाहनों में भरकर अपने गंतव्य तक पहुंचाते हैं. अधिकारी ने कहा कि वे पहले मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से ड्रग्स इकट्ठा करते हैं और फिर असम में गुवाहाटी के रास्ते अन्य भारतीय राज्यों में ले जाते हैं. अधिकारी के मुताबिक, पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला गुवाहाटी अब भी अवैध ड्रग्स कारोबार के लिए एक प्रमुख पारगमन मार्ग है.

हाल ही में असम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने दो अलग-अलग ऑपरेशन में गुवाहाटी से दो किलो हेरोइन जब्त की है. जांच में पता चला कि हेरोइन की खेप म्यांमार से मणिपुर के रास्ते आ रही थी. अधिकारी ने कहा कि यह खेप टोयोटा फॉर्च्यूनर वाहन में मणिपुर से ले जाया जा रहा था, जिसे गुवाहाटी में सुरक्षा एजेंसियों ने रोक लिया. वाहन की तलाशी के बाद, साबुन के बक्सों में नशीली दवाएं पाई गईं. उच्च गुणवत्ता वाली 1.3 किलोग्राम हेरोइन की यह पहली जब्ती थी.

उस कार्रवाई में वाहन चालक को गिरफ्तार कर लिया गया. अधिकारी ने बताया कि उससे पूछताछ के बाद गुवाहाटी में एक अलग जगह पर तलाशी ली गई, जिसमें 900 ग्राम हेरोइन बरामद हुई. भारत-म्यांमार के किनारे मणिपुर में होने वाली पोस्ता की खेती, जिसे राज्य में जारी हिंसा का एक कारण माना जाता है, सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गई है. अधिकारी ने कहा कि हालांकि, ड्रग माफिया न केवल अवैध रूप से पोस्ता की खेती करते हैं, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नशीले पदार्थ बनाने की फैक्ट्रियां भी स्थापित की हैं.

भारत और म्यांमार 1,600 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं और इसका अधिकांश क्षेत्र पोरस है. अधिकारी ने कहा कि ड्रग तस्कर भारत में ड्रग्स की तस्करी के लिए ऐसी पोरस सीमा का फायदा उठाते हैं. रिपोर्टों का हवाला देते हुए, अधिकारी ने कहा कि हेरोइन, याबा टैबलेट जैसी प्रतिबंधित वस्तुएं ज्यादातर भारत-म्यांमार सीमा के माध्यम से असम और अन्य राज्यों में भेजी जाती हैं. याबा टैबलेट का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश में तस्करी कर लाया जाता है.

नयी दिल्ली: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष के बीच, अवैध ड्रग तस्कर सुरक्षा एजेंसियों को परेशान करते हुए अपना कारोबार बेरोकटोक चला रहे हैं. सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में ईटीवी भारत को बताया कि जारी हिंसा से ड्रग तस्करों के कारोबार में कोई बाधा नहीं आई है. अधिकारी ने कहा कि इस व्यवसाय में शामिल लोग स्थानीय आबादी की मिलीभगत से अपना व्यवसाय हमेशा की तरह चला रहे हैं.

भारत-म्यांमार सीमा का फायदा उठाते हुए, ड्रग तस्कर म्यांमार से भारत में ड्रग्स लाते हैं और फिर उनकी खेप को छोटे वाहनों में भरकर अपने गंतव्य तक पहुंचाते हैं. अधिकारी ने कहा कि वे पहले मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से ड्रग्स इकट्ठा करते हैं और फिर असम में गुवाहाटी के रास्ते अन्य भारतीय राज्यों में ले जाते हैं. अधिकारी के मुताबिक, पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला गुवाहाटी अब भी अवैध ड्रग्स कारोबार के लिए एक प्रमुख पारगमन मार्ग है.

हाल ही में असम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने दो अलग-अलग ऑपरेशन में गुवाहाटी से दो किलो हेरोइन जब्त की है. जांच में पता चला कि हेरोइन की खेप म्यांमार से मणिपुर के रास्ते आ रही थी. अधिकारी ने कहा कि यह खेप टोयोटा फॉर्च्यूनर वाहन में मणिपुर से ले जाया जा रहा था, जिसे गुवाहाटी में सुरक्षा एजेंसियों ने रोक लिया. वाहन की तलाशी के बाद, साबुन के बक्सों में नशीली दवाएं पाई गईं. उच्च गुणवत्ता वाली 1.3 किलोग्राम हेरोइन की यह पहली जब्ती थी.

उस कार्रवाई में वाहन चालक को गिरफ्तार कर लिया गया. अधिकारी ने बताया कि उससे पूछताछ के बाद गुवाहाटी में एक अलग जगह पर तलाशी ली गई, जिसमें 900 ग्राम हेरोइन बरामद हुई. भारत-म्यांमार के किनारे मणिपुर में होने वाली पोस्ता की खेती, जिसे राज्य में जारी हिंसा का एक कारण माना जाता है, सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गई है. अधिकारी ने कहा कि हालांकि, ड्रग माफिया न केवल अवैध रूप से पोस्ता की खेती करते हैं, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नशीले पदार्थ बनाने की फैक्ट्रियां भी स्थापित की हैं.

भारत और म्यांमार 1,600 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं और इसका अधिकांश क्षेत्र पोरस है. अधिकारी ने कहा कि ड्रग तस्कर भारत में ड्रग्स की तस्करी के लिए ऐसी पोरस सीमा का फायदा उठाते हैं. रिपोर्टों का हवाला देते हुए, अधिकारी ने कहा कि हेरोइन, याबा टैबलेट जैसी प्रतिबंधित वस्तुएं ज्यादातर भारत-म्यांमार सीमा के माध्यम से असम और अन्य राज्यों में भेजी जाती हैं. याबा टैबलेट का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश में तस्करी कर लाया जाता है.

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