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SFDR टेक्नोलॉजी का डीआरडीओ ने किया सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने आज ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंट्रिम टीट रेंज से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) टेक्नोलॉजी का उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया.

उड़ान परीक्षण
उड़ान परीक्षण
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Published : Mar 5, 2021, 2:28 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 7:37 PM IST

भुवनेश्वर : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने आज ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंट्रिम टीट रेंज से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) टेक्नोलॉजी का उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया.यह भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तकनीक है. यह भारत की सर्फेस टू एयर और एयर टू एयर दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और इनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगी.

डीआरडीओ ने कहा कि परीक्षण के दौरान ग्राउंड बूस्टर मोटर और नोजल-कम मोटर सहित सभी सबसिस्टम उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया. ग्राउंड बूस्टर का पृथक्करण भी एकदम सही था. परीक्षण के दौरान ठोस ईंधन आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी सहित कई नई तकनीकें साबित हुईं.

सॉलिड फ्यूल आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी के सफल प्रदर्शन ने DRDO को एक प्रौद्योगिकी लाभ प्रदान किया है, जो DRDO को लंबी दूरी की हवा से हवा में मिसाइल विकसित करने में सक्षम बनाएगा.

SFDR टेक्नोलॉजी का डीआरडीओ ने किया सफल परीक्षण

बता दें कि आज तक ऐसी तकनीक दुनिया के कुछ देशों के पास ही उपलब्ध है. परीक्षण के दौरान वायु प्रक्षेपण परिदृश्य को जमीन बूस्टर द्वारा सिम्युलेटेड किया गया था, बाद में नोजल-कम बूस्टर ने इसे रैमजेट ऑपरेशन के लिए आवश्यक मच संख्या में त्वरित किया.

ITR द्वारा तैनात इलेक्ट्रो ऑप्टिकल, रडार और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए डेटा का उपयोग करके मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी की गई और मिशन के उद्देश्यों के सफल प्रदर्शन की पुष्टि की.

पढ़ें - भारतीय वैज्ञानिक ने बनाया एशिया का सबसे बड़ा और कम लागत वाला ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ

इस प्रक्षेपण की निगरानी DRDL, RCI, हैदराबाद और HEMRL, पुणे सहित विभिन्न DRDO प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने की. डीडी आरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी सचिव ने सफल उड़ान परीक्षण में शामिल टीम को बधाई दी.

भुवनेश्वर : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने आज ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंट्रिम टीट रेंज से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) टेक्नोलॉजी का उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया.यह भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित तकनीक है. यह भारत की सर्फेस टू एयर और एयर टू एयर दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और इनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगी.

डीआरडीओ ने कहा कि परीक्षण के दौरान ग्राउंड बूस्टर मोटर और नोजल-कम मोटर सहित सभी सबसिस्टम उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया. ग्राउंड बूस्टर का पृथक्करण भी एकदम सही था. परीक्षण के दौरान ठोस ईंधन आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी सहित कई नई तकनीकें साबित हुईं.

सॉलिड फ्यूल आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी के सफल प्रदर्शन ने DRDO को एक प्रौद्योगिकी लाभ प्रदान किया है, जो DRDO को लंबी दूरी की हवा से हवा में मिसाइल विकसित करने में सक्षम बनाएगा.

SFDR टेक्नोलॉजी का डीआरडीओ ने किया सफल परीक्षण

बता दें कि आज तक ऐसी तकनीक दुनिया के कुछ देशों के पास ही उपलब्ध है. परीक्षण के दौरान वायु प्रक्षेपण परिदृश्य को जमीन बूस्टर द्वारा सिम्युलेटेड किया गया था, बाद में नोजल-कम बूस्टर ने इसे रैमजेट ऑपरेशन के लिए आवश्यक मच संख्या में त्वरित किया.

ITR द्वारा तैनात इलेक्ट्रो ऑप्टिकल, रडार और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए डेटा का उपयोग करके मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी की गई और मिशन के उद्देश्यों के सफल प्रदर्शन की पुष्टि की.

पढ़ें - भारतीय वैज्ञानिक ने बनाया एशिया का सबसे बड़ा और कम लागत वाला ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ

इस प्रक्षेपण की निगरानी DRDL, RCI, हैदराबाद और HEMRL, पुणे सहित विभिन्न DRDO प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने की. डीडी आरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी सचिव ने सफल उड़ान परीक्षण में शामिल टीम को बधाई दी.

Last Updated : Mar 5, 2021, 7:37 PM IST
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