नई दिल्ली: सोमवार 31 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है. सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि माघ माह की अमावस्या तिथि 31 जनवरी दोपहर 02:18 मिनट से शुरू होकर एक फरवरी सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी. अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन आती है. तब इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है.
हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का बेहद महत्व है. इस दिन व्रत, पूजन और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है. महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. पितृ दोष निवारण के लिए दिन अत्यंत शुभ माना गया है. माघ मास में तीर्थ स्नान और दान-पुण्य करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है. इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है, मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं. इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के मंदिरों के दर्शन करना चाहिए. पूजा-पाठ आदि शुभ काम करना चाहिए.
ज्योतिष के अनुसार अगर हम किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाएं और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान करें. सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें. इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और सूर्यदेव को चढ़ाएं. ऐसा करने से भी तीर्थ और नदी स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है. स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और गोशाला में धन, हरी घास का दान करें. अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें. घर में दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उसके अंगारों पर गुड़-घी डालें. पितरों का ध्यान करें. हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्घ्य अर्पित करें. किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.
सोमवती अमावस्या
31 जनवरी को दोपहर 2: 20 से शुरू
1 फरवरी को सुबह 11:16 पर समाप्त
पितरों को करें प्रसन्न: सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के नाम जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा में तर्पण करें. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. ऐसे में इस दिन तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं. मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें, दूध चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा लगाएं, पीपल के नीचे दीपक जलाएं. ऐसा करने से परिवार में खुशहाली आती है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें. इस दिन पितरों के निमित्त गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए. पितरों का ध्यान करते हुए सोमवती अमावस्या के दिन दान करें. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं. वह आर्थिक स्थिति सुधरती है.
ज्योतिष उपाय: अमावस्या के दिन तिल को आटे में मिलाकर रोटी बनाए और गाय को खिलाएं. इससे घर में सुख-शांति आएगी. अमावस्या के दिन स्नान के बाद आटे की गोलियां बनाएं. इस गोलियों को मछलियों को खिलाएं. इस उपाय से कई परेशानियां दूर होती हैं. अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए जरूरतमंद या गरीब को दान करें. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त गीता का सातवां अध्याय का पाठ करें. अमावस्या के दिन जल में तिल मिलाकर उसे दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करें. ऐसा करने से पितर आशीर्वाद देते हैं. मौनी अमावस्या के दिन दूध में अपनी छाया देखें. इस दूध को काले कुत्ते को पिलाएं. इससे मानसिक तनाव दूर होता है. अमावस्या के दिन शाम के समय ईशान कोण में दीपक जलाएं. बत्ती के लिए लाल रंग के धाते का इस्तेमाल करें. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मौनी अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं, इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.