नई दिल्ली : शीर्ष अमेरिकी चिकित्सा सलाहकार के लॉकडाउन के सुझाव के बात यह सवाल है कि क्या हमारा देश वास्तव में एक और लॉकडाउन का सामना करने के लिए तैयार है? इस बारे में पूछे जाने पर दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि पिछली बार स्थिति पूरी तरह से अलग थी.
उन्होंने कहा कि तब भारत में कोरोनो वायरस के मामले सामने आने लगे थे और हमारी स्वास्थ्य प्रणाली उस स्थिति से निपटने के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन इस बार वायरस पूरे देश में फैल गया है और अब इसे रोकना बहुत मुश्किल है. उन्होंने सुझाव दिया मेरा मानना है कि एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू करने के बजाय इसे सीमित क्षेत्रों में करना बेहतर होगा. बाकी देश को रोकथाम, उपचार और टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यह हमारे देश के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बजाय एक बेहतर रणनीति होगी.
साक्षात्कार के दौरान डॉ एंथनी फाउची ने सुझाव दिया था कि भारत को ऑक्सीजन, दवा और पीपीई की तत्काल आपूर्ति मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि संकट की भयावहता को देखते हुए भारत को संकट समूह को एक साथ देखने पर विचार करना चाहिए. इस बीच भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी मांग की कि देश में कोविड की स्थिति को देखते हुए चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार सरकार द्वारा पर्याप्त कदम उठाए जाने चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ईटीवी भारत से कहा कि हम सत्ता में हैं या सत्ता से बाहर हैं, हमें विशेषज्ञ की सलाह पर सख्ती से चलना चाहिए. चूंकि राजनेता ऐसे सवालों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं है जिन्हें विशेषज्ञता की आवश्यकता है. विशेषज्ञ ने भारत की जमीनी हकीकत के बारे में सलाह दी और कहा कि जो भी विशेषज्ञ ने कहा है उसका पालन किया जाना चाहिए. मुझे आशा है कि हमारी सरकार भी विशेषज्ञ की लाह से सख्ती से आगे बढ़ेगी.
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने वर्ष 2020 और 2021 में दोनों कोविड संकट के कुप्रबंधन के लिए केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि मार्च 2020 के दूसरे सप्ताह में केंद्र सरकार कोरोना को महामारी कहने के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन फिर अचानक इसने 4 घंटे के नोटिस पर देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी.
उसके बाद शहरों से प्रवासी मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन शुरु हो गया. उनमें से कईयों ने अपनी जान भी गंवा दी. इस सरकार के पास इस बात का कोई डाटा नहीं है कि कितने प्रवासी कामगारों ने अपनी जान गंवाई. कितने व्यवसाय बंद हुए. कितने लोगों को इस लॉकडाउन के दौरान रोजगार गंवाना पड़ा.
जैसा कि डॉ. एंथनी फाउची ने किसी सरकार का नाम लिए बिना कहा है कि जीत संभवत: समय से पहले ही घोषित कर दी गई. गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि जनवरी 2021 में ही पीएम मोदी ने दावोस में घोषणा कर दी थी कि भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीत ली है. बावजूद इसके विशेषज्ञों ने इसकी दूसरी लहर के बारे में चेतावनी दी थी.
आज हम अस्पतालों को पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं. अधिकांश राज्यों ने घोषणा की है कि उनके यहां टीकों की कमी है. फिर हम समय से पहले अपनी जीत की घोषणा कैसे कर सकते हैं? कांग्रेस नेता ने मांग की है कि केंद्र सरकार से अपनी विफलताओं को स्वीकार करे और देश भर में टीकाकरण अभियान चलाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे.
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जो यह निश्चित करेगा कि प्रत्येक नागरिक को अगले 6 महीनों में वैक्सीन की दोनों खुराक मिलेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि सभी राज्य संकट के इस दौर में केंद्र का समर्थन करने के लिए तैयार हैं लेकिन केंद्र को भी कम से कम इस देश के नागरिकों को राहत देनी होगी.