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भारत में कोविड टीके की तीसरी खुराक जरूरी है या नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय

उच्च टीकाकरण दर वाली आबादी सहित डेल्टा प्लस स्ट्रेन के संचरण क्षमता का संकेत देने वाली लैंसेट की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने Covid19 वैक्सीन की तीसरी खुराक पर जोर दिया है.

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Published : Oct 30, 2021, 6:58 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 8:46 PM IST

नई दिल्ली : इंडियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैं टीके की तीसरी खुराक के प्रशासन का पुरजोर समर्थन करता हूं. विशेष रूप से उन अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए जिन्हें पहले स्लॉट में टीका लगाया गया और जिनके सामने बड़ा जोखिम है.

बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों में सामुदायिक संचरण और वायरल लोड कैनेटीक्स पर यूके में संकलित एक लैंसेट अध्ययन से संकेत मिलता है कि पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में बिना टीकाकरण वाले मामलों के समान ही वायरल लोड होता है.

डॉ कोले ने कहा कि टीकाकरण और संक्रमण के परस्पर क्रिया पर प्रकाश के माध्यम से (द लैंसेट) अध्ययन कहता है कि टीकाकरण वाले लोग भी वायरस का प्रसार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि त्योहारों के मौसम में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है.

डॉ कोले ने कहा कि यह सोचना मूर्खता होगी कि टीकाकरण हमें संक्रमण से बचाएगा और हमने कुछ जगहों पर झुंड की प्रतिरक्षा हासिल कर ली है. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया ने कहा है कि डेल्टा और इसके वेरिएंट डेल्टा प्लस भारत में चिंता की मुख्य आवाज बने हुए हैं. हालांकि इसने कहा कि वर्तमान में बी.1.617.2 की उपस्थिति न्यूनतम है.

डॉ कोले ने कहा कि तीसरी खुराक मूल रूप से इस तथ्य के बाद दी जाती है कि एक व्यक्ति टीकाकरण के 6-7 महीनों के बाद अपनी प्रतिरक्षा खो देता है. कुछ व्यक्ति जैसे फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो प्रतिरक्षात्मक हैं, उनके लिए तीसरी डोज जरूरी है.

डॉ कोले ने कहा कि टीके की दूसरी खुराक मूल रूप से पहली खुराक को बढ़ावा देती है. तकनीकी रूप से, दूसरी खुराक बूस्टर खुराक है और उसके बाद दी जाने वाली खुराक को तीसरी खुराक या चौथी खुराक कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि जेएंडजे को छोड़कर, जो एकल खुराक वाला टीका है, अन्य सभी टीकों ने दूसरी खुराक दी है जो कि बूस्टर खुराक है. भारत में तीसरी खुराक अभी तक स्वीकृत नहीं है लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट्स ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.

वास्तव में विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के एक विषय सलाहकार समूह (एसएजीई) ने सुझाव दिया है कि मध्यम और गंभीर रूप से प्रतिरक्षित लोगों को एक अतिरिक्त खुराक की पेशकश की जानी चाहिए. क्योंकि मानक प्राथमिक टीका अनुसूची के बाद टीकाकरण के लिए पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया करने की संभावना कम होती है.

फ्रांस, जर्मनी और इस्राइल जैसे देशों ने तीसरी खुराक की अनुमति दी है. हाल ही में यूएस और यूके ने भी तीसरी खुराक को मंजूरी दी है. हालांकि भारत में इस बात पर बहस जारी है कि क्या Covid19 वैक्सीन की तीसरी खुराक की जरूरत है या नहीं.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इन इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरधर ज्ञानी ने कहा कि वर्तमान में भारत में किसी भी अध्ययन ने यह सुझाव नहीं दिया है कि हमारी आबादी को तीसरी खुराक की आवश्यकता है. पहले अध्ययन करें कि क्या हमें वास्तव में किसी अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें-कानपुर में जीका वायरस के तीन और मरीज मिलने से हड़कंप

जाने-माने वायरोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ गगनदीप कांग ने सुझाव दिया है कि इस समय बूस्टर की कोई जरूरत नहीं है. कांग ने कहा कि भारत में, हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिससे पता चलता हो कि जिस किसी को भी वैक्सीन की दो खुराक मिली है, उसे इस समय बूस्टर वैक्सीन की जरूरत है.

नई दिल्ली : इंडियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैं टीके की तीसरी खुराक के प्रशासन का पुरजोर समर्थन करता हूं. विशेष रूप से उन अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए जिन्हें पहले स्लॉट में टीका लगाया गया और जिनके सामने बड़ा जोखिम है.

बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों में सामुदायिक संचरण और वायरल लोड कैनेटीक्स पर यूके में संकलित एक लैंसेट अध्ययन से संकेत मिलता है कि पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में बिना टीकाकरण वाले मामलों के समान ही वायरल लोड होता है.

डॉ कोले ने कहा कि टीकाकरण और संक्रमण के परस्पर क्रिया पर प्रकाश के माध्यम से (द लैंसेट) अध्ययन कहता है कि टीकाकरण वाले लोग भी वायरस का प्रसार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि त्योहारों के मौसम में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है.

डॉ कोले ने कहा कि यह सोचना मूर्खता होगी कि टीकाकरण हमें संक्रमण से बचाएगा और हमने कुछ जगहों पर झुंड की प्रतिरक्षा हासिल कर ली है. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया ने कहा है कि डेल्टा और इसके वेरिएंट डेल्टा प्लस भारत में चिंता की मुख्य आवाज बने हुए हैं. हालांकि इसने कहा कि वर्तमान में बी.1.617.2 की उपस्थिति न्यूनतम है.

डॉ कोले ने कहा कि तीसरी खुराक मूल रूप से इस तथ्य के बाद दी जाती है कि एक व्यक्ति टीकाकरण के 6-7 महीनों के बाद अपनी प्रतिरक्षा खो देता है. कुछ व्यक्ति जैसे फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो प्रतिरक्षात्मक हैं, उनके लिए तीसरी डोज जरूरी है.

डॉ कोले ने कहा कि टीके की दूसरी खुराक मूल रूप से पहली खुराक को बढ़ावा देती है. तकनीकी रूप से, दूसरी खुराक बूस्टर खुराक है और उसके बाद दी जाने वाली खुराक को तीसरी खुराक या चौथी खुराक कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि जेएंडजे को छोड़कर, जो एकल खुराक वाला टीका है, अन्य सभी टीकों ने दूसरी खुराक दी है जो कि बूस्टर खुराक है. भारत में तीसरी खुराक अभी तक स्वीकृत नहीं है लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट्स ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.

वास्तव में विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के एक विषय सलाहकार समूह (एसएजीई) ने सुझाव दिया है कि मध्यम और गंभीर रूप से प्रतिरक्षित लोगों को एक अतिरिक्त खुराक की पेशकश की जानी चाहिए. क्योंकि मानक प्राथमिक टीका अनुसूची के बाद टीकाकरण के लिए पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया करने की संभावना कम होती है.

फ्रांस, जर्मनी और इस्राइल जैसे देशों ने तीसरी खुराक की अनुमति दी है. हाल ही में यूएस और यूके ने भी तीसरी खुराक को मंजूरी दी है. हालांकि भारत में इस बात पर बहस जारी है कि क्या Covid19 वैक्सीन की तीसरी खुराक की जरूरत है या नहीं.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इन इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरधर ज्ञानी ने कहा कि वर्तमान में भारत में किसी भी अध्ययन ने यह सुझाव नहीं दिया है कि हमारी आबादी को तीसरी खुराक की आवश्यकता है. पहले अध्ययन करें कि क्या हमें वास्तव में किसी अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता है.

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जाने-माने वायरोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ गगनदीप कांग ने सुझाव दिया है कि इस समय बूस्टर की कोई जरूरत नहीं है. कांग ने कहा कि भारत में, हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिससे पता चलता हो कि जिस किसी को भी वैक्सीन की दो खुराक मिली है, उसे इस समय बूस्टर वैक्सीन की जरूरत है.

Last Updated : Oct 30, 2021, 8:46 PM IST
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