ETV Bharat / bharat

गैर-बीजेपी खेमे में मतभेद, ममता के विचार बदलने के लिए काफी समय : मार्गरेट अल्वा - vice president election

उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने गैर-बीजेपी खेमे में उपजे मतभेदों को 'परिवार की खटपट' करार देते हुए शनिवार को कहा कि विपक्षी दलों का रुख स्पष्ट है. देश में एक पार्टी का शासन नहीं होना चाहिए.

मार्गरेट अल्वा  उपराष्ट्रपति चुनाव  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  टीएमसी  उपराष्ट्रपति पद के लिए मार्गरेट अल्वा की उम्मीदवारी  राजनीतिक खबरें  भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव  political news  vice president election in india  TMC  Margaret Alva  vice president election  National Democratic Alliance
मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन टीएमसी उपराष्ट्रपति पद के लिए मार्गरेट अल्वा की उम्मीदवारी राजनीतिक खबरें भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव political news vice president election in india TMC Margaret Alva vice president election National Democratic Alliance
author img

By

Published : Jul 23, 2022, 11:02 PM IST

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने गैर-बीजेपी खेमे में उपजे मतभेदों को परिवार की खटपट करार देते हुए शनिवार को कहा कि विपक्षी दलों का रुख स्पष्ट है कि देश में एक पार्टी का शासन नहीं होना चाहिए. वे मतभेदों को दूर करने और 2024 की चुनौती के लिए एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि विपक्ष का यह भी स्पष्ट रुख है कि संविधान एवं लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करने की जरूरत है. उपराष्ट्रपति चुनाव में अल्वा के सामने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व राज्यपाल 80 वर्षीय अल्वा ने कहा कि आज के लोकतंत्र की यह त्रासदी है कि जनता द्वारा दिया गया जनादेश कायम नहीं रह पाता. धनबल, बाहुबल और धमकियों से निर्वाचन की रूपरेखा बदल जाती है. संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर अल्वा ने कहा कि यह सब हो रहा है. क्योंकि आसन एक ऐसा समाधान निकालने में असमर्थ है, जहां विपक्ष की आवाज भी सुनी जाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कैसे चल सकता है, जब सरकार का यह नारा प्रतीत होता हो, मेरे अनुसार चलो, अन्यथा कोई रास्ता नहीं है.

यह भी पढ़ें: देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक कोविंद का सफर लोकतंत्र की प्रेरक उपलब्धि : ओम बिरला

अल्वा ने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले से हैरान हैं कि पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेगी. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट करने के अभियान का नेतृत्व करती आ रही हैं. अल्वा ने कहा, ममता कभी भी बीजेपी की जीत में मदद नहीं कर सकतीं. अपना विचार बदलने के लिए ममता के पास पर्याप्त समय है. उन्होंने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और उनका समर्थन मांगा. वंशवादी राजनीति पर अल्वा ने कहा कि नेताओं के बच्चों के राजनीति में आने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन उन्हें चुनाव और लोगों का विश्वास जीतना होगा. कांग्रेस की पूर्व महासचिव अल्वा ने 2008 के कर्नाटक चुनाव में अपने पुत्र को पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद सवाल खड़ा किया था.

उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी धनखड़ की पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भूमिका को लेकर अल्वा ने कहा, राजभवन में रहने वाले व्यक्ति को लक्ष्मण रेखा का सम्मान करना चाहिए. संवैधानिक पद पर रहते हुए किसी पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में काम करना अनैतिक और असंवैधानिक है. विपक्षी खेमे में मतभेद को तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए उन्होंने कहा, विपक्षी दल अपने मतभेद दूर करने और आम चुनावों के लिए साथ मिलकर काम करने का प्रयास कर रहे हैं. मुझे लगता है कि वो इस बात को महसूस करते हैं कि 2024 की चुनौती का सामना करने के लिए साझा मंच की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: मैं देशवासियों का सदैव आभारी रहूंगा : कोविंद

उन्होंने कहा, उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं, लेकिन विपक्षी दलों की मंशा स्पष्ट है, वे चिंतित हैं और वे संदेश देना चाहते हैं. संविधान की रक्षा करनी है और लोकतांत्रिक संस्थाओं का संरक्षण करना है. हमें एक पार्टी का शासन नहीं चाहिए. विपक्षी दलों में मतभेदों के बारे में उन्होंने कहा, यह परिवार में खटपट की तरह है, जिसका हल निकल जाएगा.

ममता बनर्जी के संदर्भ अल्वा ने कहा, वह बहुत हद तक हमारी हिस्सा हैं, और उनकी बुनियादी विचारधारा कांग्रेस की है. मैं उन्हें हमेशा अपने में से एक मानती हूं. मेरा मानना है कि हम बैठकर किसी भी मतभेद को दूर सकते हैं. अल्वा ने दावा किया कि धनखड़ ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते जो कड़ा राजनीतिक रुख अपनाया, उसका उन्हें इनाम दिया जा रहा है.

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने गैर-बीजेपी खेमे में उपजे मतभेदों को परिवार की खटपट करार देते हुए शनिवार को कहा कि विपक्षी दलों का रुख स्पष्ट है कि देश में एक पार्टी का शासन नहीं होना चाहिए. वे मतभेदों को दूर करने और 2024 की चुनौती के लिए एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि विपक्ष का यह भी स्पष्ट रुख है कि संविधान एवं लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करने की जरूरत है. उपराष्ट्रपति चुनाव में अल्वा के सामने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व राज्यपाल 80 वर्षीय अल्वा ने कहा कि आज के लोकतंत्र की यह त्रासदी है कि जनता द्वारा दिया गया जनादेश कायम नहीं रह पाता. धनबल, बाहुबल और धमकियों से निर्वाचन की रूपरेखा बदल जाती है. संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर अल्वा ने कहा कि यह सब हो रहा है. क्योंकि आसन एक ऐसा समाधान निकालने में असमर्थ है, जहां विपक्ष की आवाज भी सुनी जाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कैसे चल सकता है, जब सरकार का यह नारा प्रतीत होता हो, मेरे अनुसार चलो, अन्यथा कोई रास्ता नहीं है.

यह भी पढ़ें: देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक कोविंद का सफर लोकतंत्र की प्रेरक उपलब्धि : ओम बिरला

अल्वा ने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले से हैरान हैं कि पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेगी. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट करने के अभियान का नेतृत्व करती आ रही हैं. अल्वा ने कहा, ममता कभी भी बीजेपी की जीत में मदद नहीं कर सकतीं. अपना विचार बदलने के लिए ममता के पास पर्याप्त समय है. उन्होंने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और उनका समर्थन मांगा. वंशवादी राजनीति पर अल्वा ने कहा कि नेताओं के बच्चों के राजनीति में आने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन उन्हें चुनाव और लोगों का विश्वास जीतना होगा. कांग्रेस की पूर्व महासचिव अल्वा ने 2008 के कर्नाटक चुनाव में अपने पुत्र को पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद सवाल खड़ा किया था.

उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी धनखड़ की पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भूमिका को लेकर अल्वा ने कहा, राजभवन में रहने वाले व्यक्ति को लक्ष्मण रेखा का सम्मान करना चाहिए. संवैधानिक पद पर रहते हुए किसी पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में काम करना अनैतिक और असंवैधानिक है. विपक्षी खेमे में मतभेद को तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए उन्होंने कहा, विपक्षी दल अपने मतभेद दूर करने और आम चुनावों के लिए साथ मिलकर काम करने का प्रयास कर रहे हैं. मुझे लगता है कि वो इस बात को महसूस करते हैं कि 2024 की चुनौती का सामना करने के लिए साझा मंच की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: मैं देशवासियों का सदैव आभारी रहूंगा : कोविंद

उन्होंने कहा, उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं, लेकिन विपक्षी दलों की मंशा स्पष्ट है, वे चिंतित हैं और वे संदेश देना चाहते हैं. संविधान की रक्षा करनी है और लोकतांत्रिक संस्थाओं का संरक्षण करना है. हमें एक पार्टी का शासन नहीं चाहिए. विपक्षी दलों में मतभेदों के बारे में उन्होंने कहा, यह परिवार में खटपट की तरह है, जिसका हल निकल जाएगा.

ममता बनर्जी के संदर्भ अल्वा ने कहा, वह बहुत हद तक हमारी हिस्सा हैं, और उनकी बुनियादी विचारधारा कांग्रेस की है. मैं उन्हें हमेशा अपने में से एक मानती हूं. मेरा मानना है कि हम बैठकर किसी भी मतभेद को दूर सकते हैं. अल्वा ने दावा किया कि धनखड़ ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते जो कड़ा राजनीतिक रुख अपनाया, उसका उन्हें इनाम दिया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.