नई दिल्ली : डेनमार्क अब यूरोपीय यूनियन की कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी में शामिल हो जाएगा. भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेड्डी स्वाने ने इस संबंध में कराए गए जनमत संग्रह का स्वागत किया है. इस जनमत संग्रह में डेनमार्क के 67 फीसदी लोगों ने यूरोपीय यूनियन की कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी में शामिल होने पर मुहर लगाई है. फ्रेड्डी स्वाने ने कहा है कि वह यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पृष्ठभूमि में एक और अधिक मजबूत यूरोप देखते हैं.
यूक्रेन पर रूसी हमले के 100 से अधिक दिन बीत चुके हैं. इस हमले के कारण दुनिया भर में महंगाई बढ़ गई है और खाद्य और तेल की कीमतें आसमान छू रही है. ऐसे हालात में रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नए सिरे से यूरोप के सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं. कुछ दिन पहले डेनमार्क में लोगों ने भी कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी के समर्थन में भारी मतदान किया था. यह डेनमार्क के पहले के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव था. फ्रेडी स्वेन ने कहा कि प्रफेशनल और पर्सनल तौर पर यह एक महान फैसला है. हालांकि हमने 1993 में इस समझौते को वापस ले लिया, लेकिन सौभाग्य से डेनमार्क के नागरिकों ने इस बार यूरोपीय यूनियन के कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी में होने के पक्ष में भारी मतदान किया. इस निर्णय को यूरोप की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जहां रूस ने यूक्रेन में युद्ध शुरू कर दिया है. यह एक असाधारण निर्णय है क्योंकि लगभग 67 फीसदी लोगों ने इस जनमत संग्रह के पक्ष में मतदान किया.
फ्रेड्डी स्वाने ने बताया कि 1 जुलाई, 2022 को डेनमार्क यूरोपीय संघ की कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएगा. रूस से एनर्जी सप्लाई में कटौती के सवाल पर उन्होंने बताया कि कोपेनहेगन अपनी ऊर्जा मांग को मेनटेन रखने की योजना पर काम कर रहा है. यह रूस पर निर्भर है कि वह जो कुछ भी करना चाहता है वह करें. डेनमार्क ने यूक्रेन में रूस की आक्रामण के जवाब में प्रतिबंध लगाए हैं. हमने रूस से अपनी ऊर्जा निर्भरता को कम करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण निर्णय ले लिए हैं और हम उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं. हम तेल और गैस आपूर्ति के लिए क्रेमलिन पर निर्भर नहीं हैं.
फ़िनलैंड और स्वीडन ने नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया है और डेनमार्क में यूरोपीय यूनियन की कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी में शामिल होने के पक्ष में मतदान हुआ है. इसके अलावा डेनमार्क और जर्मनी ने रक्षा खर्च बढ़ाने का वादा किया है. डेनमार्क के राजदूत फ्रेड्डी स्वाने ने कहा कि अब उनका देश भी यूरोपीय यूनियन के कॉमन डिफेंस एंड सिक्युरिटी पॉलिसी का स्तंभ बनेगा. उनके मित्र देश स्वीडन और फिनलैंड ने भी अपने विचार रखे हैं. यूरोप में सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद पहला युद्ध हो रहा है और यह बदलाव यूरोप में हो रही प्रतिक्रिया है. हम इन फैसलों का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब एक और अधिक मजबूत यूरोप देखता हूं जो सभी हितों की पूर्ति करता है चाहे वह सुरक्षा, रक्षा, वाणिज्यिक, व्यापार और अन्य से जुड़ा है. यूक्रेन-रूस युद्ध के खत्म होने पर उन्होंने कहा कि कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि यह कब रुकेगा.फ्रेड्डी स्वाने ने जोर दिया कि डेनमार्क और यूरोपीय संघ रूस के सैन्य आक्रमण का विरोध करना जारी रखेंगे.