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MP में 2000 की नोटबंदी, व्यापारियों को मौका और किसानों से धोखा! देखें Etv Bharat की खास पड़ताल

एमपी के कई इलाकों में 2000 के नोट बंद होने की खबर की वजह से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है, असल में मंडी में बेची जा रही फसल पर व्यापारी अब नगद भुगतान नहीं कर रहे हैं. RTGS से पेमेंट में दस दिन तक किसानों का पेमेंट अटक जाता है.

Demonetization of 2000 created trouble
2000 की नोटबंदी बनी मुसीबत
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Published : May 26, 2023, 10:12 AM IST

Updated : May 26, 2023, 11:51 AM IST

2000 के नोटबंद होने का किसानों पर असर

जबलपुर। 2000 के नोट को जल्द ही चलन से बाहर करने की खबर ने किसानों के सामने समस्या खड़ी कर दी है, नोटबंदी की आड़ लेकर व्यापारी किसानों को उनकी फसल का नगद भुगतान नहीं कर रहे हैं. दरअसल व्यापारी अक्सर ऐसे मौके खोजते रहते हैं, जिससे उन्हें किसान को नगद पेमेंट ना करने का मौका मिल जाए जो इस बार फिर नोटबंदी ने उन्हें दे दिया है.जबलपुर में इस समय कृषि उपज मंडियों में जायद की फसल उड़द और मूंग बिकने के लिए आ रही है. इस साल उड़द और मूंग का उत्पादन बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन मंडी में आवक ठीक-ठाक है. किसानों को बेमौसम बारिश की वजह से कई जगह नुकसान भी उठाना पड़ा है, इसलिए किसानों को पैसे की बहुत जरूरत है. किसी को खाद बीज का पैसा देना है, तो किसी को किराए की जमीन का पैसा चुकाना है. इसी वजह से किसान उड़द और मूंग को मंडी में लाकर बेच रहे हैं, किसान को उम्मीद होती है कि कृषि उपज मंडी में उनका माल नगद में बिकेगा, लेकिन यहां व्यापारी 2000 के नोट बंद होने की दुहाई देते हुए किसानों का पेमेंट रोक रहे हैं.

पाटन के एक किसान ने किया स्टिंग ऑपरेशन: पाटन मंडी में एक व्यापारी की दुकान पर किसान ने स्टिंग ऑपरेशन कर इस समस्या को उजागर किया है, जिसमें व्यापारी और किसान के बीच की बातचीत स्पष्ट सुनाई दे रही है. जिसमें किसान व्यापारी से अपने पैसे के लिए मिन्नत कर रहा है और व्यापारी किसान को दिलासा दे रहे हैं कि एक-दो दिन में पेमेंट हो जाएगी. दरअसल किसान ने 4 दिन पहले यहां उड़द की फसल बेची थी, जिसका भुगतान 1 लाख 70 हजार के लगभग था. व्यापारी ने मात्र 50 हजार नगद दिया. किसान ने जब पूरा पेमेंट मांगा तो व्यापारी ने किसान को समझाया कि 2000 के नोट बंद हो गए हैं, इसलिए नगदी रुपए की समस्या है और बाकी पैसे का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से एक-दो दिन में हो जाएगा.

जिस किसान ने यह माल बेचा है, वह पाटन मंडी से 30 किलोमीटर दूर गांव से 3 दिनों से लगातार व्यापारी की दुकान के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है. यह हांडी के एक चावल जैसा है दूर-दराज इलाकों में व्यापारी किसानों को मनमाने तरीके से पैसों का भुगतान कर रहे हैं, किसान अपने ही माल के पैसे लेने के लिए कई बार चक्कर काटते रहते हैं और व्यापारी किसान के पैसे पर ही पूरा व्यापार कर लेता है.

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नियम क्या कहता है: बहुत से किसानों को इस बात की जानकारी नहीं है की मंडी अधिनियम की धारा 37 (ख) के तहत यह नियम है कि व्यापारी को हर हाल में खरीदी हुई फसल का 24 घंटे के भीतर पूरा भुगतान करना है, इसमें लगभग ₹200000 तक नगद और बाकी पैसा 24 घंटे के भीतर किसान के खाते में ट्रांसफर करना है. यदि कोई व्यापारी ऐसा नहीं करता तो 5 दिनों तक लगातार उसे 1% की दर से ब्याज देना होगा और 5 दिनों में भी यदि पेमेंट किसान के खाते में नहीं पहुंचती है, तो व्यापारी का लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है. लेकिन किसान को अपनी इस समस्या की शिकायत मंडी सचिव को करनी होगी. पाटन के मंडी सचिव का कहना है कि "मेरे पास कोई लिखित शिकायत नहीं है, इसलिए मैं कार्रवाई नहीं कर सकता."

किसान को फिर लेना पड़ेगा कर्ज: पाटन इलाके के कांग्रेस नेता दुर्गेश पटेल का आरोप है कि "पहले ही किसान महंगे डीजल, महंगी खाद और अपनी खेती की बढ़ी हुई लागत की वजह से परेशान हैं, दूसरी ओर बेमौसम बारिश की वजह से उसकी फसल कम निकली है. ऐसे हालत में यदि उसी समय पर भुगतान नहीं होगा तो किसान को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना होगा, जिससे उसका संकट बढ़ जाएगा."

ऐसे मिलेगा भुगतान: जबलपुर शहर की कृषि उपज मंडी में यह समस्या नहीं है, क्योंकि यहां प्रशासन तेजी से काम करता है. लेकिन दूर-दराज इलाकों में जहां उत्पादन ज्यादा है, वहां व्यापारी मनमाने ढंग से कानून चला रहे हैं और वहां सरकारी तंत्र कमजोर पड़ जाता है और लोग भी नियम कानून की पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से परेशान होते रहते हैं. यदि मंडी अधिनियम की धारा 37( खा) की जानकारी हर किसान को हो तो किसानों को उनका भुगतान समय पर मिलता रहेगा.

2000 के नोटबंद होने का किसानों पर असर

जबलपुर। 2000 के नोट को जल्द ही चलन से बाहर करने की खबर ने किसानों के सामने समस्या खड़ी कर दी है, नोटबंदी की आड़ लेकर व्यापारी किसानों को उनकी फसल का नगद भुगतान नहीं कर रहे हैं. दरअसल व्यापारी अक्सर ऐसे मौके खोजते रहते हैं, जिससे उन्हें किसान को नगद पेमेंट ना करने का मौका मिल जाए जो इस बार फिर नोटबंदी ने उन्हें दे दिया है.जबलपुर में इस समय कृषि उपज मंडियों में जायद की फसल उड़द और मूंग बिकने के लिए आ रही है. इस साल उड़द और मूंग का उत्पादन बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन मंडी में आवक ठीक-ठाक है. किसानों को बेमौसम बारिश की वजह से कई जगह नुकसान भी उठाना पड़ा है, इसलिए किसानों को पैसे की बहुत जरूरत है. किसी को खाद बीज का पैसा देना है, तो किसी को किराए की जमीन का पैसा चुकाना है. इसी वजह से किसान उड़द और मूंग को मंडी में लाकर बेच रहे हैं, किसान को उम्मीद होती है कि कृषि उपज मंडी में उनका माल नगद में बिकेगा, लेकिन यहां व्यापारी 2000 के नोट बंद होने की दुहाई देते हुए किसानों का पेमेंट रोक रहे हैं.

पाटन के एक किसान ने किया स्टिंग ऑपरेशन: पाटन मंडी में एक व्यापारी की दुकान पर किसान ने स्टिंग ऑपरेशन कर इस समस्या को उजागर किया है, जिसमें व्यापारी और किसान के बीच की बातचीत स्पष्ट सुनाई दे रही है. जिसमें किसान व्यापारी से अपने पैसे के लिए मिन्नत कर रहा है और व्यापारी किसान को दिलासा दे रहे हैं कि एक-दो दिन में पेमेंट हो जाएगी. दरअसल किसान ने 4 दिन पहले यहां उड़द की फसल बेची थी, जिसका भुगतान 1 लाख 70 हजार के लगभग था. व्यापारी ने मात्र 50 हजार नगद दिया. किसान ने जब पूरा पेमेंट मांगा तो व्यापारी ने किसान को समझाया कि 2000 के नोट बंद हो गए हैं, इसलिए नगदी रुपए की समस्या है और बाकी पैसे का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से एक-दो दिन में हो जाएगा.

जिस किसान ने यह माल बेचा है, वह पाटन मंडी से 30 किलोमीटर दूर गांव से 3 दिनों से लगातार व्यापारी की दुकान के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है. यह हांडी के एक चावल जैसा है दूर-दराज इलाकों में व्यापारी किसानों को मनमाने तरीके से पैसों का भुगतान कर रहे हैं, किसान अपने ही माल के पैसे लेने के लिए कई बार चक्कर काटते रहते हैं और व्यापारी किसान के पैसे पर ही पूरा व्यापार कर लेता है.

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नियम क्या कहता है: बहुत से किसानों को इस बात की जानकारी नहीं है की मंडी अधिनियम की धारा 37 (ख) के तहत यह नियम है कि व्यापारी को हर हाल में खरीदी हुई फसल का 24 घंटे के भीतर पूरा भुगतान करना है, इसमें लगभग ₹200000 तक नगद और बाकी पैसा 24 घंटे के भीतर किसान के खाते में ट्रांसफर करना है. यदि कोई व्यापारी ऐसा नहीं करता तो 5 दिनों तक लगातार उसे 1% की दर से ब्याज देना होगा और 5 दिनों में भी यदि पेमेंट किसान के खाते में नहीं पहुंचती है, तो व्यापारी का लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है. लेकिन किसान को अपनी इस समस्या की शिकायत मंडी सचिव को करनी होगी. पाटन के मंडी सचिव का कहना है कि "मेरे पास कोई लिखित शिकायत नहीं है, इसलिए मैं कार्रवाई नहीं कर सकता."

किसान को फिर लेना पड़ेगा कर्ज: पाटन इलाके के कांग्रेस नेता दुर्गेश पटेल का आरोप है कि "पहले ही किसान महंगे डीजल, महंगी खाद और अपनी खेती की बढ़ी हुई लागत की वजह से परेशान हैं, दूसरी ओर बेमौसम बारिश की वजह से उसकी फसल कम निकली है. ऐसे हालत में यदि उसी समय पर भुगतान नहीं होगा तो किसान को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना होगा, जिससे उसका संकट बढ़ जाएगा."

ऐसे मिलेगा भुगतान: जबलपुर शहर की कृषि उपज मंडी में यह समस्या नहीं है, क्योंकि यहां प्रशासन तेजी से काम करता है. लेकिन दूर-दराज इलाकों में जहां उत्पादन ज्यादा है, वहां व्यापारी मनमाने ढंग से कानून चला रहे हैं और वहां सरकारी तंत्र कमजोर पड़ जाता है और लोग भी नियम कानून की पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से परेशान होते रहते हैं. यदि मंडी अधिनियम की धारा 37( खा) की जानकारी हर किसान को हो तो किसानों को उनका भुगतान समय पर मिलता रहेगा.

Last Updated : May 26, 2023, 11:51 AM IST
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