नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह आम आदमी पार्टी सरकार की याचिका पर दीपावली के बाद सुनवाई करने के लिए तीन सदस्यीय पीठ गठित करेगा. यह याचिका इस विवादित मुद्दे को लेकर दायर की गई है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं का नियंत्रण किसके पास होना चाहिए. यह याचिका शीर्ष अदालत के 2019 के खंडित फैसले को लेकर दायर की गई है.
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ ने 14 फरवरी, 2019 को प्रधान न्यायाधीश से सिफारिश की थी कि उसके खंडित निर्णय के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर फैसला करने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की जाए. दोनों न्यायाधीश अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
न्यायमूर्ति भूषण ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास प्रशासनिक सेवाओं पर कोई शक्ति नहीं है. बहरहाल, न्यायमूर्ति सीकरी ने अलग फैसला दिया था. उन्होंने कहा था कि नौकरशाही के शीर्ष पदों पर अधिकारियों का तबादला या नियुक्ति केवल केंद्र सरकार कर सकती है और अन्य नौकरशाहों के संबंध में अलग-अलग राय होने पर उपराज्यपाल की राय मानी जाएगी.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा, हमें दशहरा अवकाश के बाद एक पीठ गठित करनी होगी. याचिका पर सुनवाई दीपावली अवकाश के बाद होगी.
दिल्ली सरकार की ओर से मेहरा ने कहा कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ के फैसले के बाद पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन थीं और सेवाओं समेत बाकी के विषय दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने चाहिए.
उन्होंने कहा, यह सेवाओं के मुद्दे से जुड़ा मामला है. दो न्यायाधीशों की पीठ ने भिन्न-भिन्न राय दी और यह मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष जाना है. चूंकि अभी सारा प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र के पास है तो यह यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और दिल्ली सरकार की अपनी नीति को लागू करने की क्षमता में बाधा डालता है.
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इससे पहले केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से चल रहे टकराव से जुड़े छह मामलों पर याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने सेवाओं के नियंत्रण के अलावा बाकी के पांच मुद्दों पर सर्वसम्मति से फैसला दिया था.