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SC ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट: केजरीवाल सरकार ने जरूरत से 4 गुना ज्यादा मांगी ऑक्सीजन

दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने असल जरूरत से 4 गुना ज्यादा तक ऑक्सीजन की डिमांड की.

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Published : Jun 25, 2021, 10:15 AM IST

Updated : Jun 25, 2021, 11:10 AM IST

चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन मांगी
चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन मांगी

नई दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस दौरान अपनी असल जरूरत से 4 गुना ज्यादा तक ऑक्सीजन की डिमांड (Oxygen Demand) की जिसके चलते अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ा. यहां तक कि कई जगहों पर खपत के आंकड़ों को लेकर भी कमेटी ने चूक की बात कही है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी ने एक्यूरेट ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट (Accurate Oxygen Requirement) के लिए एक फार्मूला तैयार किया था और उसे करीब 260 अस्पतालों में भेजा था. इस फार्मूले के तहत करीब 183 अस्पताल, जिसमें तमाम बड़े अस्पताल शामिल हैं का डाटा एनालाइज किया गया.

इस डाटा के मुताबिक लिक्विफाइड मेडिकल ऑक्सीजन (Liquefied Medical Oxygen) की खपत के मामले में इन 183 अस्पतालों का आंकड़ा 1140 मीट्रिक टन दिया गया था पर असल में अस्पतालों से मिली जानकारी में यह महज 209 मीट्रिक टन है.

इसी आंकड़े को लेकर कहा गया है कि यदि यहां केंद्र सरकार द्वारा सुझाया गया फार्मूला अपनाया जाए तो असल जरूरत 289 मीट्रिक टन की होगी जबकि अगर दिल्ली सरकार वाला फार्मूला अपनाया जाए तो यह 391 मीट्रिक तक पहुंचेगी. दोनों ही फार्मूले के बावजूद असल डिमांड जरूरत से बहुत अधिक है.

नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत

कमेटी की रिपोर्ट में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत के फार्मूले को भी बातों का आधार बनाया गया है. इसमें बताया गया है कि कई अस्पतालों ने कम बेड होने के बावजूद अपनी खपत जरूरत से कहीं अधिक दिखाई है. दोनों ही सरकारों के फार्मूले के बावजूद यह खपत जरूरत से कहीं अधिक है.

एम्स डायरेक्टर गुलेरिया के नेतृत्व वाली कमेटी

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर मची खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिट कमेटी से दिल्ली में ऑक्सीजन की असल खपत और जरूरत की जांच के हिसाब से उसके बेहतर इस्तेमाल के विकल्प सुझाने के लिए कहा था.

पढ़ें- अभी अमेरिका की ही कस्टडी में रहेगा मुंबई हमले में वांछित तहव्वुर राणा

इस कमेटी का नेतृत्व एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया कर रहे थे जबकि इसमें दिल्ली सरकार के बड़े अधिकारियों से लेकर कई अस्पतालों के डॉक्टर और एक्सपर्ट भी शामिल थे.

ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी (Oxygen Audit Committee) की रिपोर्ट की महत्वपूर्ण बातें...

SC की ऑडिट टीम की आई रिपोर्ट

  • ऑक्सीजन किल्लत को लेकर घिरी दिल्ली सरकार
  • दिल्ली ने जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन मांगा
  • 300 MT की जरूरत 1200 MT की मांग
  • दिल्ली ने जरूरत से ज्यादा कई गुना ऑक्सीजन मांगी
  • दिल्ली की मांग के चलते 12 राज्यों को दिक्कत हुई
  • राज्यों की ऑक्सीजन दिल्ली भेजी गई

नई दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस दौरान अपनी असल जरूरत से 4 गुना ज्यादा तक ऑक्सीजन की डिमांड (Oxygen Demand) की जिसके चलते अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ा. यहां तक कि कई जगहों पर खपत के आंकड़ों को लेकर भी कमेटी ने चूक की बात कही है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी ने एक्यूरेट ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट (Accurate Oxygen Requirement) के लिए एक फार्मूला तैयार किया था और उसे करीब 260 अस्पतालों में भेजा था. इस फार्मूले के तहत करीब 183 अस्पताल, जिसमें तमाम बड़े अस्पताल शामिल हैं का डाटा एनालाइज किया गया.

इस डाटा के मुताबिक लिक्विफाइड मेडिकल ऑक्सीजन (Liquefied Medical Oxygen) की खपत के मामले में इन 183 अस्पतालों का आंकड़ा 1140 मीट्रिक टन दिया गया था पर असल में अस्पतालों से मिली जानकारी में यह महज 209 मीट्रिक टन है.

इसी आंकड़े को लेकर कहा गया है कि यदि यहां केंद्र सरकार द्वारा सुझाया गया फार्मूला अपनाया जाए तो असल जरूरत 289 मीट्रिक टन की होगी जबकि अगर दिल्ली सरकार वाला फार्मूला अपनाया जाए तो यह 391 मीट्रिक तक पहुंचेगी. दोनों ही फार्मूले के बावजूद असल डिमांड जरूरत से बहुत अधिक है.

नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत

कमेटी की रिपोर्ट में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत के फार्मूले को भी बातों का आधार बनाया गया है. इसमें बताया गया है कि कई अस्पतालों ने कम बेड होने के बावजूद अपनी खपत जरूरत से कहीं अधिक दिखाई है. दोनों ही सरकारों के फार्मूले के बावजूद यह खपत जरूरत से कहीं अधिक है.

एम्स डायरेक्टर गुलेरिया के नेतृत्व वाली कमेटी

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर मची खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिट कमेटी से दिल्ली में ऑक्सीजन की असल खपत और जरूरत की जांच के हिसाब से उसके बेहतर इस्तेमाल के विकल्प सुझाने के लिए कहा था.

पढ़ें- अभी अमेरिका की ही कस्टडी में रहेगा मुंबई हमले में वांछित तहव्वुर राणा

इस कमेटी का नेतृत्व एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया कर रहे थे जबकि इसमें दिल्ली सरकार के बड़े अधिकारियों से लेकर कई अस्पतालों के डॉक्टर और एक्सपर्ट भी शामिल थे.

ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी (Oxygen Audit Committee) की रिपोर्ट की महत्वपूर्ण बातें...

SC की ऑडिट टीम की आई रिपोर्ट

  • ऑक्सीजन किल्लत को लेकर घिरी दिल्ली सरकार
  • दिल्ली ने जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन मांगा
  • 300 MT की जरूरत 1200 MT की मांग
  • दिल्ली ने जरूरत से ज्यादा कई गुना ऑक्सीजन मांगी
  • दिल्ली की मांग के चलते 12 राज्यों को दिक्कत हुई
  • राज्यों की ऑक्सीजन दिल्ली भेजी गई
Last Updated : Jun 25, 2021, 11:10 AM IST
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