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शराब की होम डिलीवरी पर HC ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब की होम डिलीवरी (home delivery of liquor) के खिलाफ याचिका पर आप सरकार से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे सार्वजनिक स्थानों पर शराब की आपूर्ति संभव है.

HC ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब
HC ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब
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Published : Sep 20, 2021, 9:27 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. आप सरकार ने दिल्ली उत्पाद शुल्क (संशोधन) नियम 2021 के माध्यम से शराब की होम डिलीवरी की इजाजत दी थी. इसी के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है.

याचिकाकर्ता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में विशेष रूप से 2010 के नियमों के संशोधित नियम 66 (6) को चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की.

संशोधित नियम 66(6) में प्रावधान है कि लाइसेंसधारी शराब की डिलीवरी तभी करेगा जब ऑर्डर मोबाइल एप या वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त होगा न कि किसी छात्रावास में डिलीवरी की जाएगी.

याचिकाकर्ता का कहना है कि होम डिलीवरी को सक्षम बनाने वाला यह नियम शराब के खिलाफ राष्ट्रीय नीति के विपरीत है. संविधान के अनुच्छेद 47 की पूर्ण अवहेलना है, जो सरकारों पर शराब की खपत को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का कर्तव्य दर्शाता है.

पढ़ें- दिल्ली : मोबाइल एप और वेबसाइट से शराब की होम डिलीवरी, आबकारी विभाग की हरी झंडी का इंतजार

वकील बालाजी श्रीनिवासन और पल्लवी सेनगुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि '2021 का यह संशोधन कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य के महत्व की सार्वजनिक नीति को कमजोर करता है. उनका कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को महत्व न देकर दिल्ली सरकार ने शराब के व्यापार को तरजीह दी है, जो संविधान के अनुच्छेद 47 को कमजोर करता है.'

पढ़ें- शराब की होम डिलीवरी को लोगों ने बताया अच्छा कदम, नंबर जारी करने की मांग

साथ ही कहा गया है कि ये संशोधन सार्वजनिक स्थानों पर शराब की आपूर्ति को संभव बनाकर पब्लिक प्लेस पर शराब के सेवन पर प्रतिबंध को कमजोर करता है. याचिका में कहा गया है, 'कानून जैसा भी है, हॉस्टल, कार्यालयों और संस्थानों में रहने वालों के लिए नियम में प्रतिबंधों को विफल करना बहुत आसान है. नियम अस्पतालों और स्कूलों में शराब की डिलीवरी को सक्षम बनाता है.'

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. आप सरकार ने दिल्ली उत्पाद शुल्क (संशोधन) नियम 2021 के माध्यम से शराब की होम डिलीवरी की इजाजत दी थी. इसी के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है.

याचिकाकर्ता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में विशेष रूप से 2010 के नियमों के संशोधित नियम 66 (6) को चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की.

संशोधित नियम 66(6) में प्रावधान है कि लाइसेंसधारी शराब की डिलीवरी तभी करेगा जब ऑर्डर मोबाइल एप या वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त होगा न कि किसी छात्रावास में डिलीवरी की जाएगी.

याचिकाकर्ता का कहना है कि होम डिलीवरी को सक्षम बनाने वाला यह नियम शराब के खिलाफ राष्ट्रीय नीति के विपरीत है. संविधान के अनुच्छेद 47 की पूर्ण अवहेलना है, जो सरकारों पर शराब की खपत को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का कर्तव्य दर्शाता है.

पढ़ें- दिल्ली : मोबाइल एप और वेबसाइट से शराब की होम डिलीवरी, आबकारी विभाग की हरी झंडी का इंतजार

वकील बालाजी श्रीनिवासन और पल्लवी सेनगुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि '2021 का यह संशोधन कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य के महत्व की सार्वजनिक नीति को कमजोर करता है. उनका कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को महत्व न देकर दिल्ली सरकार ने शराब के व्यापार को तरजीह दी है, जो संविधान के अनुच्छेद 47 को कमजोर करता है.'

पढ़ें- शराब की होम डिलीवरी को लोगों ने बताया अच्छा कदम, नंबर जारी करने की मांग

साथ ही कहा गया है कि ये संशोधन सार्वजनिक स्थानों पर शराब की आपूर्ति को संभव बनाकर पब्लिक प्लेस पर शराब के सेवन पर प्रतिबंध को कमजोर करता है. याचिका में कहा गया है, 'कानून जैसा भी है, हॉस्टल, कार्यालयों और संस्थानों में रहने वालों के लिए नियम में प्रतिबंधों को विफल करना बहुत आसान है. नियम अस्पतालों और स्कूलों में शराब की डिलीवरी को सक्षम बनाता है.'

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