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दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई - दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट नई आबकारी नीति में सरकार की अधिगृहित कंपनी या सोसायटी को शराब के खुदरा व्यापार का लाइसेंस नहीं देने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा.

हाई कोर्ट
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Published : Aug 27, 2021, 9:26 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट नई आबकारी नीति में सरकार की अधिगृहित कंपनी या सोसायटी को शराब के खुदरा व्यापार का लाइसेंस नहीं देने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

पिछले 29 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका दिल्ली कंज्युमर कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर कर्मचारी यूनियन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील सत्या सभरवाल ने कहा कि नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से दिल्ली कंज्युमर कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर लिमिटेड में काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार पर असर पड़ेगा.

ये कंपनी दिल्ली में 75 शराब स्टोर का संचालन करती है. नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं मिलेगा जिससे ये कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. इससे करीब 350 परिवारों पर असर पड़ेगा.

याचिका में कहा गया है कि इस कंपनी में दिल्ली सरकार का बड़ा शेयर है. नई आबकारी नीति के प्रावधान की वजह से इस कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा. ये प्रावधान रोजगार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. कोरोना संकट के दौरान रोजगार का संकट नहीं होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- यूनिटेक: न्यायालय ने तिहाड़ के अधिकारियों को 'बेशर्म' बताते हुए पुलिस आयुक्त को जांच का आदेश दिया

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने कहा कि ये याचिका कर्मचारियों की आड़ में कंपनी ने दायर की है. इन्हें कई याचिकाओं को दायर करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है.

नई आबकारी नीति के कई प्रावधानों को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं. पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने नई आबकारी नीति में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिकाओं में दिल्ली सरकार की ओर से पिछले 28 जून को जारी ई-टेंडर नोटिस को वापस लेने की भी मांग की गई है. दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश की गई है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट नई आबकारी नीति में सरकार की अधिगृहित कंपनी या सोसायटी को शराब के खुदरा व्यापार का लाइसेंस नहीं देने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

पिछले 29 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका दिल्ली कंज्युमर कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर कर्मचारी यूनियन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील सत्या सभरवाल ने कहा कि नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से दिल्ली कंज्युमर कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर लिमिटेड में काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार पर असर पड़ेगा.

ये कंपनी दिल्ली में 75 शराब स्टोर का संचालन करती है. नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं मिलेगा जिससे ये कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. इससे करीब 350 परिवारों पर असर पड़ेगा.

याचिका में कहा गया है कि इस कंपनी में दिल्ली सरकार का बड़ा शेयर है. नई आबकारी नीति के प्रावधान की वजह से इस कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा. ये प्रावधान रोजगार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. कोरोना संकट के दौरान रोजगार का संकट नहीं होना चाहिए.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने कहा कि ये याचिका कर्मचारियों की आड़ में कंपनी ने दायर की है. इन्हें कई याचिकाओं को दायर करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है.

नई आबकारी नीति के कई प्रावधानों को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं. पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने नई आबकारी नीति में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिकाओं में दिल्ली सरकार की ओर से पिछले 28 जून को जारी ई-टेंडर नोटिस को वापस लेने की भी मांग की गई है. दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश की गई है.

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