चेन्नई : यूएस नेवी शिप (यूएसएनएस) चार्ल्स ड्रू 7 अगस्त को चेन्नई के कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड में मरम्मत के लिए पहुंचा. यह पहला मौका है जब अमेरिका के किसी शिप की भारत में मरम्मत हो रही है. अमेरिकी नौसेना ने जहाज के रखरखाव के लिए कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड को एक अनुबंध दिया है. यूएसएनएस चार्ल्स ड्रू 11 दिनों तक कट्टुपल्ली शिपयार्ड में रहेगा.
रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग तमिलनाडु और पुडुचेरी नौसेना क्षेत्र रियर एडमिरल एस वेंकट रमन और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पोत पर शिपयार्ड का स्वागत किया. अमेरिका के महावाणिज्यदूत चेन्नई में दूतावास जुडिथ रेविन और नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में रक्षा अटैची रियर एडमिरल माइकल बेकर भी इस मौके पर उपस्थित थे.
रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार (Defence secretary Ajay Kumar) ने कहा कि 'यह एलएंडटी शिपयार्ड के लिए एक महान उपलब्धि है. वह न केवल अमेरिकी कमांड का विश्वास जीतने में सफल हुए हैं बल्कि अन्य प्रतिदंद्वियों के मुकाबले बेहतर प्रस्ताव देकर ऐसा मौका हासिल किया है.' रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने कहा, 'हमें वास्तव में अमेरिकी नौसेना के जहाज यूएसएनएस चार्ल्स ड्रू का भारत में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है. भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में भी भारत की पहल का विशेष महत्व है. यह गहरे जुड़ाव के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है.'
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि 'आज भारत में लगभग 2 अरब डॉलर के कारोबार के साथ छह प्रमुख शिपयार्ड हैं. हम न केवल अपनी जरूरतों के लिए जहाज बना रहे हैं बल्कि हमारा अपना डिज़ाइन हाउस है जो सभी प्रकार के अत्याधुनिक जहाज बनाने में सक्षम है. देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत भारतीय जहाज निर्माण उद्योग के विकास का उदाहरण है.'
उन्होंने कहा कि 'नए इनोवेशन इकोसिस्टम के तहत, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और हमारे कुछ स्टार्ट-अप द्वारा स्वायत्त मिशन करने में सक्षम जहाजों का निर्माण किया गया है. जहाज निर्माण उद्योग आज न केवल पारंपरिक चीजों को अंजाम दे रहा है, बल्कि इसके साथ नवीनतम तकनीकों को भी मिला रहा है.' रक्षा सचिव ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध और मजबूत हो रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग सहयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है.
पिछले चार-पांच वर्षों में भारतीय रक्षा निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है. निर्यात, जो 2015-16 में लगभग 1,500 करोड़ रुपये का था, अब 800% बढ़कर लगभग 13,000 करोड़ रुपये हो गया है. डॉ. अजय कुमार ने कहा कि 'भारतीय निर्यात के लिए एक प्रमुख गंतव्य अमेरिका है.' उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में रक्षा निर्यात में और इजाफा होगा.
रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 'मेक इन इंडिया' और 'रक्षा में आत्मनिर्भरता' को बढ़ावा देने और भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को एक नया आयाम जोड़ने के लिए यूएस नेवी शिप (यूएसएनएस) चार्ल्स ड्रू 7 अगस्त को चेन्नई के कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड में मरम्मत के लिए पहुंचा. यह वैश्विक जहाज मरम्मत बाजार में भारतीय शिपयार्ड की क्षमताओं को दर्शाता है.
पढ़ें- टैंक रोधी मिसाइलों से जुड़ी पहली परियोजना झांसी में, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन : रक्षा सचिव