अमरावती: आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कृष्णा जिले के विजयवाड़ा शहर में गायत्री नगर के मूल निवासी बोनपुडी दुर्गाप्रसाद के साइबर ठगी (Cyber Fraud ) के शिकार हो गए. ठगों ने उनका सिम कार्ड स्वैप कर सिम कार्ड से जुड़े तीन बैंक खातों से 19 लाख रुपए उड़ा लिए. दुर्गाप्रसाद रेलवे ठेकेदार हैं. उन्हें उनके साथ हुई ठगी का पता तब चला जब एक दिन अचानक उनके मोबाइल में लगे सिम ने काम करना बंद कर दिया.
वह बीएसएनएल का सिम कार्ड इस्तेमाल कर रहे थे. जब वह इसकी शिकायत लेकर चुट्टुगुंटा केंद्र स्थित बीएसएनएल कार्यालय गए और शिकायत दर्ज कराई तो उन्हें पता चला कि हाल ही में एक उनके नाम से दूसरा सिम जारी किया गया है. जांच में पता चला कि एक अज्ञात व्यक्ति बीएसएनएल कार्यालय (BSNL Office) में आया और उसी नंबर वाली दूसरी सिम देने को कहा. अपराधी दुर्गा प्रसाद के आधार कार्ड (Aadhar Card) की जेरोक्स कॉपी लेकर आया था. आधार कार्ड की जेरोक्स कॉपी के आधार पर बीएसएनएल कार्यालय ने बिना कोई और सबूत मांगे नया सिम कार्ड जारी कर दिया.
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नया सिम जारी होते ही पुराना सिम ब्लॉक हो गया और तब इसकी जानकारी दुर्गाप्रसाद को हुई. इस बीच ठगों ने नए सिम कार्ड के सक्रिय होने के अगले दिन सिम कार्ड से जुड़े तीन बैंक खातों से 19 लाख रुपये किश्तों में निकाल लिए. पीड़ित दुर्गा प्रसाद ने साइबर क्राइम पुलिस के पास मामले की शिकायत दर्ज कराई है. हालांकि बोनपुडी दुर्गाप्रसाद के मामले में ठगों ने पीड़ित के आधार कार्ड की जेरोक्स कॉपी का इस्तेमाल किया. लेकिन हाल के दिनों में ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जहां साइबर ठगों ने सर्विस प्रोवाइडर एग्जिक्युटिव बन कर लोगों से बात की. ऐसे ठगों की कोशिश रहती है कि वह यूजर से उनका 20 डिजिट वाला यूनिक नंबर जान लें. फिर यूजर से वन प्रेस करने को कहा जाता है. जिससे सिम स्वैपिंग प्रकिया पूरी होती है. गौर करने वाली बात है कि यह यूनिक नंबर आपके सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है. आपके नंबर पर सिग्नल आने बंद हो जाते हैं. वहीं स्कैमर के सिम कार्ड वाले फोन में पूरे सिग्नल आ जाते हैं. पूरी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है. ज्यादातर केस में स्कैमर के पास आपकी बैंकिंग जानकारियां होती है. ओटीपी जो आपके मोबाइल नंबर पर आता है उसे सिम स्वैपिंग के कारण मिल जाती है. और हैकर आपके खाते से पैसे निकालने में सफल हो जाता है.
क्या हैं सिम स्वैपिंग के संकेत
1. कुछ घंटों तक आपका फोन गायब रहा हो
2. टेलिफोन बिल में अनजान कॉल दिख रहे हों
3. आप कॉल पर बात न कर रहे हों, तब भी आपका फोन बिजी जा रहा हो
4. लगातार नेटवर्क डिस्कनेक्ट या क्रॉस कनेक्शन की दिक्कत आ रही हो
5. आपका सिम अचानक ब्लॉक हो गया हो
सिम स्वैपिंग या क्लोनिंग बचने के तरीके- क्या करें और क्या न करें
1. अगर आपको किसी टेलिकॉम कंपनी से कोई कॉल आए और आपसे सिम कार्ड नंबर पूछा जाए. इस तरह की निजी और संवेदनशील जानकारी कभी साझा न करें.
2. याद रखें कि किसी भी कंपनी का कोई भी अधिकारी निजी और गोपनीय जानकारी कभी नहीं पूछता है.
3. स्कैमर्स आम तौर पर 20 डिजिट वाले सिम कार्ड नंबर के बारे में पूछते हैं. अगर कोई फोन पर आपसे इस बारे में जानकारी लेना चाह रहा है, तो समझ जाइए कि यह खतरे की घंटी है.
4. स्कैमर्स सिम कार्ड नंबर पता करने के बाद 1 नंबर प्रेस करने को कहते हैं ताकि ऑथेंटिकेशन पूरा हो सके. इसी कॉल को वे टेलिकॉम सर्वर से कनेक्ट करके स्वैपिंग प्रोसेस पूरा करते हैं. अगर ऐसा हो, तो कभी भी 1 नंबर प्रेस न करें और इसकी शिकायत करें.