नई दिल्ली: दिल्ली कारागार विभाग ने कोर्ट से लाल किले पर हुए हमले के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की है. अधिकारियों ने सोमवार को जानकारी दी कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक ने उसे मौत की सजा देने के अपने फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में आरिफ की उस याचिका को खारिज कर दिया था.
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस महीने की शुरुआत में एक अदालत को लिखा है और आगे की प्रक्रिया शुरू की है. आरिफ ने राष्ट्रपति से अपना कार्यकाल कम करने की अपील नहीं की है. यह मामला 27 फरवरी के लिए सूचीबद्ध है.
बता दें, 22 दिसंबर 2000 की रात को लाल किले पर एक आतंकी हमला हुआ था. इसमें लाल किले में कुछ घुसपैठियों ने प्रवेश किया. उस समय किले के अंदर भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स की यूनिट 7 तैनात थी और घुसपैठियों ने उन पर गोलियां चला दीं. इस हमले में सेना के तीन जवान अब्दुल्ला ठाकुर, राइफलमैन उमा शंकर और नाइक अशोक कुमार शहीद हो गए. घुसपैठिए बाद में किले की पिछली ओर की सीमा को लांघ कर भाग निकले.
इस घटना के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ और उसकी पत्नी रहमाना यूसुफ फारूकी को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया. पुलिस ने 20 फरवरी 2001 को अशफाक और 21 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की.
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दिल्ली की एक में निचली अदालत ने अक्टूबर 2005 में आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी, जिसकी पुष्टि सितंबर 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने की थी. इसके बाद आरिफ ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2011 में आरिफ को दी गई मौत की सजा की पुष्टि की.
(PTI)
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