हैदराबाद : कोरोना के खिलाफ डीआरडीओ की 2डीजी दवा के बाद सीएसआईआर ने एक नई दवा पर काम शुरू किया है. इसका नाम निक्लोसामाइड (niclosamide) है. इसका क्लीनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है. लक्साई लाइफ साइंसेज (laxai life sciences) लैब पार्टनर है.
अभी तक इस दवा का उपयोग टेपवर्म संक्रमण के खिलाफ होता रहा है. इसका इस्तेमाल बच्चे और व्यस्क दोनों करते रहे हैं.
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने कहा कि यह एक जेनेरिक दवा है. यह सस्ती है. इसे हमारी आबादी के लिए आसानी से उपलब्ध करवाया जा सकता है.
डीजी-सीएसआईआर के सलाहकार डॉ राम विश्वकर्मा ने बताया कि इसका इस्तेमाल कोरोना के मरीजों के लिए किया जा सकता है. हालांकि, उनकी ओर से बताया गया है कि इस पर ट्रायल जारी है.
उन्होंने कहा कि कोविड के रोगियों के फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. इन फेफड़ों में सिनसाइटिया या फ्यूज्ड कोशिकाएं देखी गईं हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-सीओवी-2 (SARS-COV-2) के स्पाइक प्रोटीन की फ्यूजोजेनिक गतिविधि के परिमाणस्वरूप इसका निर्माण होता है. इसलिए ऐसी स्थिति में अगर निक्लोसामाइड का प्रयोग किया गया, तो यह उसे रोकने में कारगर साबित हो रहा है. वैसे, इसकी पूरी तरह से पुष्टि हो सके, इसके लिए ट्रायल शुरू कर दिया गया है.
निक्लोसामाइड दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस को शरीर में प्रवेश करने से भी रोक सकती है.
डॉ श्रीवारी चंद्रशेखर, निदेशक सीएसआईआर-आईआईसीटी हैदराबाद (Hyderabad) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईसीटी में विकसित उन्नत तकनीक के आधार पर लक्साई लाइफ साइंसेज द्वारा सक्रिय फार्मास्युटिकल संघटक (एपीआई) बनाया जा रहा है और लैब इस महत्वपूर्ण नैदानिक परीक्षण में भागीदार है जो लागत प्रभावी चिकित्सीय प्रदान कर सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2004 में भी एक प्रकोप के दौरान निक्लोसामाइड दवा का प्रयोग सार्स के खिलाफ किया गया था. यह काफी सफल रहा था.
आपको बता दें कि डीआरडीओ (DRDO) ने कोरोना के खिलाफ 2डीजी (2DG) दवा को कारगर माना है. रेड्डी लैब इसका उत्पादन कर रहा है. बाजार में इसकी कीमत लगभग एक हजार रूपये रखी गई है.
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