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'इसरो के मिशन पर भी लॉकडाउन का संकट', जानें पूरा मामला

कोविड-19 महामारी के चलते भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का काम भी प्रभावित हुआ है. लेकिन फिरभी इसराे इसके गगनयान (Gaganyaan) परियोजना के तहत पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर में मूर्त रूप देने के लिए लगातार काम कर रहा है.

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Published : Jun 28, 2021, 5:26 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (Indian Space Agency) के अधिकारियों ने कहा कि महामारी की पहली और दूसरी लहर की वजह से उपकरणों की आपूर्ति पर असर होने से 'गगनयान' कार्यक्रम गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. मिशन के लिए विभिन्न उपकरणों का विनिर्माण विभिन्न उद्योगों द्वारा किया गया है.

लॉकडाउन की वजह से मिशन प्रभावित

महामारी के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार लागू हुए लॉकडाउन (लॉकडाउन) की वजह से इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई है. मानव को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो द्वारा दो मानवरहित उड़ान अंतरिक्ष में भेजी जानी हैं जिससे कि मिशन की क्षमता को परखा जा सके. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि डिजाइन, विश्लेषण और दस्तावेजीकरण संबंधी कार्य इसरो द्वारा किए जाते हैं, जबकि गगनयान के लिए उपकरण देश में स्थित सैकड़ों उद्योगों द्वारा बनाए जा रहे हैं और उन्हीं के द्वारा आपूर्ति की जा रही है. गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यान के माध्यम से मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और फिर उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करने का है.

चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Union Minister of State for Space Jitendra Singh) ने इस साल फरवरी में कहा था कि पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2021 में भेजे जाने की योजना है. इसके बाद दूसरा मानवरहित मिशन भेजा जाएगा और फिर मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन (manned space mission) को अंजाम दिया जाएगा. इस मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस में पहले ही कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 15 अगस्त 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी. शुरू में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले अंजाम दिए जाने की योजना थी.

इसरो अध्यक्ष ने कहा, हम ज्यादा समय नहीं गंवाएंगे
इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि हमारा अधिकतर उद्योग (कार्यक्रम के लिए उपकरणों की आपूर्ति करने वाला) कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बंद रहा. इससे बहुत असर पड़ा. अब हमें लगता है कि कुछ विलंब होगा. अंतरिक्ष एजेंसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इसरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए अतिरिक्त घंटे, अतिरिक्त कार्य कर जी-जान से जुटा है. सूत्रों ने कहा कि इसरो कुछ गतिविधियों और उपकरणों की आपूर्ति में फ्रांस, रूस और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की भी मदद ले रहा है. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने इस महीने के शुरू में कहा था, इसलिए हम ज्यादा समय नहीं गंवाएंगे. भारत में उद्योग के बंद रहने से उपकरणों की आपूर्ति पर असर हुआ. लेकिन हम अब भी भारत सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि अभी वह नहीं कह सकते कि क्या इसरो अगले साल अगस्त तक मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने में सक्षम होगा.

इसे भी पढ़ें : ISRO, NOAA के नेतृत्व वाली परियोजना का संरा ने किया समर्थन
सिवन ने कहा था कि मेरे लिए अभी यह कहना जल्दबाजी होगा. लेकिन हम उस समय तक मिशन को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (Indian Space Agency) के अधिकारियों ने कहा कि महामारी की पहली और दूसरी लहर की वजह से उपकरणों की आपूर्ति पर असर होने से 'गगनयान' कार्यक्रम गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. मिशन के लिए विभिन्न उपकरणों का विनिर्माण विभिन्न उद्योगों द्वारा किया गया है.

लॉकडाउन की वजह से मिशन प्रभावित

महामारी के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार लागू हुए लॉकडाउन (लॉकडाउन) की वजह से इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई है. मानव को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो द्वारा दो मानवरहित उड़ान अंतरिक्ष में भेजी जानी हैं जिससे कि मिशन की क्षमता को परखा जा सके. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि डिजाइन, विश्लेषण और दस्तावेजीकरण संबंधी कार्य इसरो द्वारा किए जाते हैं, जबकि गगनयान के लिए उपकरण देश में स्थित सैकड़ों उद्योगों द्वारा बनाए जा रहे हैं और उन्हीं के द्वारा आपूर्ति की जा रही है. गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यान के माध्यम से मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और फिर उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करने का है.

चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Union Minister of State for Space Jitendra Singh) ने इस साल फरवरी में कहा था कि पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2021 में भेजे जाने की योजना है. इसके बाद दूसरा मानवरहित मिशन भेजा जाएगा और फिर मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन (manned space mission) को अंजाम दिया जाएगा. इस मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस में पहले ही कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 15 अगस्त 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी. शुरू में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले अंजाम दिए जाने की योजना थी.

इसरो अध्यक्ष ने कहा, हम ज्यादा समय नहीं गंवाएंगे
इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि हमारा अधिकतर उद्योग (कार्यक्रम के लिए उपकरणों की आपूर्ति करने वाला) कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बंद रहा. इससे बहुत असर पड़ा. अब हमें लगता है कि कुछ विलंब होगा. अंतरिक्ष एजेंसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इसरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए अतिरिक्त घंटे, अतिरिक्त कार्य कर जी-जान से जुटा है. सूत्रों ने कहा कि इसरो कुछ गतिविधियों और उपकरणों की आपूर्ति में फ्रांस, रूस और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की भी मदद ले रहा है. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने इस महीने के शुरू में कहा था, इसलिए हम ज्यादा समय नहीं गंवाएंगे. भारत में उद्योग के बंद रहने से उपकरणों की आपूर्ति पर असर हुआ. लेकिन हम अब भी भारत सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि अभी वह नहीं कह सकते कि क्या इसरो अगले साल अगस्त तक मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने में सक्षम होगा.

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सिवन ने कहा था कि मेरे लिए अभी यह कहना जल्दबाजी होगा. लेकिन हम उस समय तक मिशन को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)

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