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असहमति को दबाने में किसी कानून का नहीं करना चाहिए दुरुपयोग: जस्टिस चंद्रचूड़

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Published : Jul 13, 2021, 1:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि अमेरिका स्वतंत्रता, बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सदैव आगे रहता है. वहीं, भारत के बारे में उन्होंने कहा कि हमारा देश का लोकतंत्र सबसे पुराना है और यह बहुसंस्कृति और बहुलवादी आदर्थों का प्रतिनिधित्व भी करता है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने दिया बयान
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने दिया बयान

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने देश में राजद्रोह समेत कई कानूनों के दुरुपयोग पर अहम टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की असहमति या उत्पीड़न को दबाने के लिए किसी भी कानून का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी भारत और अमेरिका के संयुक्त ग्रीष्मकालीन सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि हमारे देश की सभी कोर्टों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नागरिकों को आजादी से वंचित करने के खिलाफ खुलकर सामने आएं. उन्होंने कहा कि एक भी दिन के लिए किसी की भी स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने फैसलों को लेकर हमेशा सचेत और सजग रहना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि अमेरिका स्वतंत्रता, बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सदैव आगे रहता है. वहीं, भारत के बारे में उन्होंने कहा कि हमारा देश का लोकतंत्र सबसे पुराना है और यह बहुसंस्कृति और बहुलवादी आदर्थों का प्रतिनिधित्व भी करता है.

पढ़ें: लक्ष्मी पुरी और हरदीप पुरी के खिलाफ 24 घंटे के अंदर ट्वीट्स हटाने के आदेश

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध से बाहर करने का उनका फैसला लॉरेंस बनाम टेक्सास में यूएस सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने देश में राजद्रोह समेत कई कानूनों के दुरुपयोग पर अहम टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की असहमति या उत्पीड़न को दबाने के लिए किसी भी कानून का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी भारत और अमेरिका के संयुक्त ग्रीष्मकालीन सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि हमारे देश की सभी कोर्टों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नागरिकों को आजादी से वंचित करने के खिलाफ खुलकर सामने आएं. उन्होंने कहा कि एक भी दिन के लिए किसी की भी स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने फैसलों को लेकर हमेशा सचेत और सजग रहना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि अमेरिका स्वतंत्रता, बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सदैव आगे रहता है. वहीं, भारत के बारे में उन्होंने कहा कि हमारा देश का लोकतंत्र सबसे पुराना है और यह बहुसंस्कृति और बहुलवादी आदर्थों का प्रतिनिधित्व भी करता है.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध से बाहर करने का उनका फैसला लॉरेंस बनाम टेक्सास में यूएस सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए था.

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