रांची: सीपीआई (एम) के प्रदेश कार्यालय में रविवार को पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात (CPIM leader Brinda Karat) की अध्यक्षता में प्रदेश कमिटी की बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में संगठन को मजबूत करने को लेकर कई फैसले लिए गए. बैठक के बाद सीपीआईएम के पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड के साथ साथ कई राज्यों के राज्यपाल केंद्र सरकार या बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं.
वृंदा करात ने कहा कि मॉब लिंचिंग पर लगाम लगाने को लेकर झारखंड सरकार ने कानून बनाया. लेकिन राजभवन कानून को लेकर विलंब कर रहा है. इससे लगता है कि केंद्र सरकार की नीतियों का संरक्षण गवर्नर की ओर से दी जा रही है. उन्होंने कहा कि जिस राज्य में विपक्षी पार्टी की सरकार है, वहां केंद्र सरकार गवर्नर के माध्यम से अपनी नीतियों को लागू करवाना चाहती है.
राज्य में चल रहे भाषा विवाद पर वृंदा करात ने कहा कि झारखंड में दूसरी भाषा के रूप में उर्दू, बांग्ला और हिंदी होनी चाहिए. इसके साथ ही आबादी के आधार पर क्षेत्रीय भाषा का भी निर्धारण करना चाहिए. लेकिन हेमंत सरकार ने किसी भी दल के नेताओं के साथ बैठक नहीं की. सर्वदलीय बैठक में भाषा पर निर्णय लिया गया होता तो आज सरकार की किरकिरी झेलनी नहीं पड़ती. वृंदा करात ने हेमंत सरकार पर कई सवाल खड़े किए.
उन्होंने कहा कि गरीब, आदिवासी और पिछड़े लोगों ने उम्मीद के साथ हेमंत सरकार को चुना था. लेकिन रघुवर सरकार के समय जिस तरह राज्य के आदिवासी और गरीब समस्याओं से जूझ रहे थे, उसी तरह आज भी गरीबों और आदिवासियों की स्थिति ज्यों की त्यों है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 वर्षों में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने आदिवासियों और गरीबों के हित में कोई कार्य नहीं किया है.
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उत्तर प्रदेश चुनाव पर वृंदा करात ने कहा कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. बीजेपी के नेताओं की भाषा हिंसात्मक हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी की राष्ट्रभाषा गाली हो गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासियों और पिछड़ों के हितों में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो आने वाले समय में हमारी पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन करेगी.