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कोविड-19 पाबंदियों पर छूट के खिलाफ SC का केरल सरकार को निर्देश - court seeks report from kerala government

केरल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा, वह इस पर जवाब दाखिल करेंगे. इस पर अदालत ने उनसे आज ही ऐसा करने को कहा और मंगलवार को सबसे पहले इस मामले पर सुनवाई की जायेगी.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Jul 19, 2021, 3:36 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केरल सरकार को आज (सोमवार) निर्देश दिया कि वह आगामी बकरीद के त्योहार (upcoming Bakrid festival) के मद्देनजर राज्य में तीन दिन के लिये कोविड-19 संबंधी पाबंदियों (covid19 restrictions) में छूट देने के खिलाफ दायर आवेदन पर आज ही अपना जवाब दे.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan) ने 17 जुलाई को पाबंदियों में रियायत की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि, 21 जुलाई को मनाए जाने वाले ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मद्देनजर कपड़ों, जूते-चप्पलों, आभूषणों, सजावटी सामान, घरेलू उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री करने वाली दुकानों तथा आवश्यक वस्तुओं की बिक्री से जुड़ी सभी दुकानों को ए, बी और सी इलाकों में 18,19 समेत 20 जुलाई को सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक खुले रखने की इजाजत होगी. डी श्रेणी इलाकों में ये दुकानें केवल 19 जुलाई को खोली जा सकेंगी. क्षेत्रों को संक्रमण दर के आधार पर बांटा गया है.

यह मामला न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये आया था. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस हलफनामे का भी संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि राज्य में इस साल वैश्विक महामारी के कारण कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं होगी.

पढ़ें- बॉम्बे हाई काेर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से सुप्रीम काेर्ट का इनकार

केरल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा, वह इस पर जवाब दाखिल करेंगे. इस पर अदालत ने उनसे आज ही ऐसा करने को कहा और मंगलवार को सबसे पहले इस मामले पर सुनवाई की जायेगी.

यह आवेदन उस लंबित मामले में दाखिल किया गया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की इजाजत देने संबंधी खबरों का स्वत: संज्ञान लिया था. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे का संज्ञान लिया. राज्य सरकार ने इस हलफनामे में कहा है कि महामारी के कारण इस साल कांवड़ यात्रा की इजाजत नहीं दी गई है.

पीठ ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा संबंधी मामले को बंद कर दिया और कहा कि सभी स्तरों पर अधिकारियों को ऐसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सख्त तथा त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे नागरिकों की जिंदगी सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

केरल में प्रतिबंधों में ढील के मुद्दे को उठाने वाला आवेदन दिल्ली के पी के डी नांबियार ने स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप के लिए दायर किया था. नांबियार ने राज्य के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.

पढ़ें- फेसबुक पोस्ट पर आलोचना के लिए एक दिन भी जेल में नहीं रख सकते- सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ से कहा, केरल में कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने की दर 10 प्रतिशत से अधिक है, इसके बावजूद बकरीद के लिए प्रतिबंधों में ढील दी गई. सिंह ने कहा कि केरल उन राज्यों में शामिल है, जहां संक्रमण के मामलों की सर्वाधिक संख्या है और संक्रमण दर अधिक है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लोगों के संक्रमित पाए जाने की दर क्रमश: 0.02 और 0.07 प्रतिशत है. इस पर पीठ ने कहा, कथित रूप से 0.02 प्रतिशत. सिंह ने कहा कि हर राज्य मामलों की अपनी संख्या बता रहा है और केरल के आंकड़ों के अनुसार, वहां संक्रमण दर 10.96 प्रतिशत है.

सुनवाई की शुरुआत में उत्तर प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने राज्य सरकार के हलफनामे का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि इस साल वैश्विक महामारी के कारण कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी.

(भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केरल सरकार को आज (सोमवार) निर्देश दिया कि वह आगामी बकरीद के त्योहार (upcoming Bakrid festival) के मद्देनजर राज्य में तीन दिन के लिये कोविड-19 संबंधी पाबंदियों (covid19 restrictions) में छूट देने के खिलाफ दायर आवेदन पर आज ही अपना जवाब दे.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan) ने 17 जुलाई को पाबंदियों में रियायत की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि, 21 जुलाई को मनाए जाने वाले ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मद्देनजर कपड़ों, जूते-चप्पलों, आभूषणों, सजावटी सामान, घरेलू उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री करने वाली दुकानों तथा आवश्यक वस्तुओं की बिक्री से जुड़ी सभी दुकानों को ए, बी और सी इलाकों में 18,19 समेत 20 जुलाई को सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक खुले रखने की इजाजत होगी. डी श्रेणी इलाकों में ये दुकानें केवल 19 जुलाई को खोली जा सकेंगी. क्षेत्रों को संक्रमण दर के आधार पर बांटा गया है.

यह मामला न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये आया था. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस हलफनामे का भी संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि राज्य में इस साल वैश्विक महामारी के कारण कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं होगी.

पढ़ें- बॉम्बे हाई काेर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से सुप्रीम काेर्ट का इनकार

केरल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा, वह इस पर जवाब दाखिल करेंगे. इस पर अदालत ने उनसे आज ही ऐसा करने को कहा और मंगलवार को सबसे पहले इस मामले पर सुनवाई की जायेगी.

यह आवेदन उस लंबित मामले में दाखिल किया गया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की इजाजत देने संबंधी खबरों का स्वत: संज्ञान लिया था. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे का संज्ञान लिया. राज्य सरकार ने इस हलफनामे में कहा है कि महामारी के कारण इस साल कांवड़ यात्रा की इजाजत नहीं दी गई है.

पीठ ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा संबंधी मामले को बंद कर दिया और कहा कि सभी स्तरों पर अधिकारियों को ऐसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सख्त तथा त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे नागरिकों की जिंदगी सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

केरल में प्रतिबंधों में ढील के मुद्दे को उठाने वाला आवेदन दिल्ली के पी के डी नांबियार ने स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप के लिए दायर किया था. नांबियार ने राज्य के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.

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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ से कहा, केरल में कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने की दर 10 प्रतिशत से अधिक है, इसके बावजूद बकरीद के लिए प्रतिबंधों में ढील दी गई. सिंह ने कहा कि केरल उन राज्यों में शामिल है, जहां संक्रमण के मामलों की सर्वाधिक संख्या है और संक्रमण दर अधिक है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लोगों के संक्रमित पाए जाने की दर क्रमश: 0.02 और 0.07 प्रतिशत है. इस पर पीठ ने कहा, कथित रूप से 0.02 प्रतिशत. सिंह ने कहा कि हर राज्य मामलों की अपनी संख्या बता रहा है और केरल के आंकड़ों के अनुसार, वहां संक्रमण दर 10.96 प्रतिशत है.

सुनवाई की शुरुआत में उत्तर प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने राज्य सरकार के हलफनामे का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि इस साल वैश्विक महामारी के कारण कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी.

(भाषा)

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