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कोरोना वायरस का सबसे बड़ा लक्षण ऑक्सीजन स्तर में कमी - कोरोना वायरस

कोरोना वायरस के कॉमन लक्षणों को लेकर लगभग सभी लोग जागरूक हैं, लेकिन इसमें कई ऐसे छिपे हुए लक्षण भी हैं जो लोग नोटिस नहीं कर पाते हैं. ऐसा ही एक सबसे बड़ा लक्ष्ण ऑक्सीजन की कमी. चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर से जानें कैसे करें ऑक्सीजन के लेवल की पहचान.

low oxygen level is a sign of corona virus
कोरोना वायरस का सबसे बड़ा लक्षण ऑक्सीजन स्तर में कमी
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Published : Apr 25, 2021, 9:35 AM IST

चंडीगढ़: कोरोना वायरस की तबाही ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया है. मरीजों की बढ़ती तकलीफ के बीच अस्पतालों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की कमी चिंता के बड़े विषय हैं. कोरोना की दूसरी लहर में सांस से जुड़ी तकलीफ ज्यादा देखने को मिल रही हैं.

कोरोना वायरस का सबसे बड़ा लक्षण ऑक्सीजन स्तर में कमी

ये भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी देने की जरूरत नहीं है. इसलिए ऑक्सीजन सैचुरेशन (फेफड़े और तमाम अंगों तक जाने वाले खून के ऑक्सीजेनेटेड हिमोग्लोबिन का लेवल, जो पर्सेंटेज में पता लगता है.) के साथ-साथ ये समझना भी जरूरी है कि एक मरीज को किन हालातों में अस्पताल की तरफ रुख करना चाहिए.

डॉक्टर्स का कहना है कि हमें अपने शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बार-बार चेक करना चाहिए, अगर ऑक्सीजन का स्तर 3 से 4 अंक कम हो तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. डॉक्टर जीडी पुरी ने कहा कि हमारे शरीर के खून में ऑक्सीजन का प्रेशर 100 मिलीलीटर मरकरी होता है. जब हम किसी भी व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक करते हैं, तब ऑक्सीजन की सिचुएशन 95 से कम नहीं होनी चाहिए. अगर लेवल 95 से कम है तो ये खतरे की घंटी है.

ये भी पढ़ें- घर में आइसोलेट कोरोना मरीज कैसे रखें खुद का ख्याल? क्या खाएं और किन चीजों का करें परहेज

कई बार कोरोना के मरीजों में शुरू के दिनों में ऑक्सीजन का स्तर कम नहीं होता, ऐसे वक्त में उन्हें पता नहीं चलता कि उनकी फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचा है. इसलिए कोरोना मरीज चार से पांच मिनट पैदल चले और फिर उस दिन का स्तर चेक करें. अगर उसमें तीन से चार अंकों की गिरावट आती है, तो वे तुरंत अस्पताल जाएं. नॉर्मल इंसान भी ऑक्सीमीटर के जरिए शरीर में ऑक्सीजन के लेवल का पता लगा सकते हैं.

प्रोन पोजीशन से करें ऑक्सीजन की पूर्ति

जीडी पुरी ने कहा कि कोरोना के मरीजों ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के लिए अस्पताल में उन्हें पेट के बल लेटाया जाता है. ऐसा करने से उनके फेफड़े सही स्थिति में होते हैं और ज्यादा ऑक्सीजन ले पाते हैं. कई मरीजों को दाएं या बाएं करवट भी लेटाया जाता है. हर मरीज को अलग-अलग पोजीशन में ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है. ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए आम लोग भी ऐसा कर सकते हैं कि कुछ देर के लिए पेट के बल लेट जाएं. इस पोजीशन को प्रोन पोजीशन कहा जाता है.

डॉक्टर पुरी ने कहा कि कोरोना मरीजों को ज्यादा देर तक पेट के बल लेटाया जाता है ताकि उनके शरीर मे लगातार ऑक्सीजन का स्तर बना रहे. लेकिन उनके लिए भी ये सलाह दी कि वे खाना खाने के तुरंत बाद इस पोजीशन में ना लेटें. कम से कम 1 घंटे का इंतजार करें. उसके बाद इस पोजीशन में लेट सकते हैं. इसके अलावा गहरी सांस लेना सबके लिए बेहद जरूरी है. गहरी सांस लेने से शरीर में न केवल ऑक्सीजन जाती है बल्कि फेफड़े भी खुलते हैं, जिससे फेफड़े ज्यादा हवा ले पाते हैं.

इसे भी पढ़े: स्टील प्लांट मालिक बना मसीहा, इंडस्ट्री को बंदकर डोनेट कर रहा ऑक्सीजन सिलेंडर

शरीर में ऑक्सीजन के बनाए रखने के लिए घरों में ताजा हवा का बंदोबस्त होना बेहद जरूरी है. खिड़कियां खुले रखें ताकि ताजा हवा आ सके. इसके अलावा लोग योगासन भी कर सकते हैं. उससे भी काफी फायदा मिलेगा. डॉक्टर पुरी ने कहा कि आजकल सब लोग ऑक्सीमीटर के जरिए अपने शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक कर रहे हैं. अगर उनका स्तर 95 तक आ रहा है, तब वे ये ना समझे कि उनके फेफड़े स्वस्थ हैं. वो कम से कम पांच मिनट चलें. अगर स्तर में फिर भी गिरावट बनी रहती है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं.

चंडीगढ़: कोरोना वायरस की तबाही ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया है. मरीजों की बढ़ती तकलीफ के बीच अस्पतालों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की कमी चिंता के बड़े विषय हैं. कोरोना की दूसरी लहर में सांस से जुड़ी तकलीफ ज्यादा देखने को मिल रही हैं.

कोरोना वायरस का सबसे बड़ा लक्षण ऑक्सीजन स्तर में कमी

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चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी देने की जरूरत नहीं है. इसलिए ऑक्सीजन सैचुरेशन (फेफड़े और तमाम अंगों तक जाने वाले खून के ऑक्सीजेनेटेड हिमोग्लोबिन का लेवल, जो पर्सेंटेज में पता लगता है.) के साथ-साथ ये समझना भी जरूरी है कि एक मरीज को किन हालातों में अस्पताल की तरफ रुख करना चाहिए.

डॉक्टर्स का कहना है कि हमें अपने शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बार-बार चेक करना चाहिए, अगर ऑक्सीजन का स्तर 3 से 4 अंक कम हो तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. डॉक्टर जीडी पुरी ने कहा कि हमारे शरीर के खून में ऑक्सीजन का प्रेशर 100 मिलीलीटर मरकरी होता है. जब हम किसी भी व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक करते हैं, तब ऑक्सीजन की सिचुएशन 95 से कम नहीं होनी चाहिए. अगर लेवल 95 से कम है तो ये खतरे की घंटी है.

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कई बार कोरोना के मरीजों में शुरू के दिनों में ऑक्सीजन का स्तर कम नहीं होता, ऐसे वक्त में उन्हें पता नहीं चलता कि उनकी फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचा है. इसलिए कोरोना मरीज चार से पांच मिनट पैदल चले और फिर उस दिन का स्तर चेक करें. अगर उसमें तीन से चार अंकों की गिरावट आती है, तो वे तुरंत अस्पताल जाएं. नॉर्मल इंसान भी ऑक्सीमीटर के जरिए शरीर में ऑक्सीजन के लेवल का पता लगा सकते हैं.

प्रोन पोजीशन से करें ऑक्सीजन की पूर्ति

जीडी पुरी ने कहा कि कोरोना के मरीजों ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के लिए अस्पताल में उन्हें पेट के बल लेटाया जाता है. ऐसा करने से उनके फेफड़े सही स्थिति में होते हैं और ज्यादा ऑक्सीजन ले पाते हैं. कई मरीजों को दाएं या बाएं करवट भी लेटाया जाता है. हर मरीज को अलग-अलग पोजीशन में ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है. ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए आम लोग भी ऐसा कर सकते हैं कि कुछ देर के लिए पेट के बल लेट जाएं. इस पोजीशन को प्रोन पोजीशन कहा जाता है.

डॉक्टर पुरी ने कहा कि कोरोना मरीजों को ज्यादा देर तक पेट के बल लेटाया जाता है ताकि उनके शरीर मे लगातार ऑक्सीजन का स्तर बना रहे. लेकिन उनके लिए भी ये सलाह दी कि वे खाना खाने के तुरंत बाद इस पोजीशन में ना लेटें. कम से कम 1 घंटे का इंतजार करें. उसके बाद इस पोजीशन में लेट सकते हैं. इसके अलावा गहरी सांस लेना सबके लिए बेहद जरूरी है. गहरी सांस लेने से शरीर में न केवल ऑक्सीजन जाती है बल्कि फेफड़े भी खुलते हैं, जिससे फेफड़े ज्यादा हवा ले पाते हैं.

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शरीर में ऑक्सीजन के बनाए रखने के लिए घरों में ताजा हवा का बंदोबस्त होना बेहद जरूरी है. खिड़कियां खुले रखें ताकि ताजा हवा आ सके. इसके अलावा लोग योगासन भी कर सकते हैं. उससे भी काफी फायदा मिलेगा. डॉक्टर पुरी ने कहा कि आजकल सब लोग ऑक्सीमीटर के जरिए अपने शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक कर रहे हैं. अगर उनका स्तर 95 तक आ रहा है, तब वे ये ना समझे कि उनके फेफड़े स्वस्थ हैं. वो कम से कम पांच मिनट चलें. अगर स्तर में फिर भी गिरावट बनी रहती है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं.

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