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मेडिकल कॉलेज की लापरवाही, दो बार मृत घोषित कोरोना मरीज मिला जीवित - कोरोना वायरस

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शासन-प्रशासन हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं. इस बीच मध्य प्रदेश के विदिशा में मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां कोरोना मरीज को दो बार मृत घोषित कर दिया गया, जबकि मरीज जीवित है.

मेडिकल कॉलेज की लापरवाही
मेडिकल कॉलेज की लापरवाही
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Published : Apr 15, 2021, 11:08 AM IST

Updated : Apr 15, 2021, 12:58 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश के विदिशा में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही तब सामने आई, जब एक मरीज को दो बार मृत घोषित कर दिया गया. साथ ही किसी अन्य मरीज का शव परिजनों को दिखाने की कोशिश की गई. परिजनों ने जब शव देखा तो वह हैरान रह गए, क्योंकि यह शव किसी और व्यक्ति का था. मामला सुल्तनिया के रहने वाले कोरोना पॉजिटिव गौरेलाल कौरी का है.

दरअसल, गौरेलाल की कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आई थी, जिसके बाद इलाज के लिए उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान एक दिन पहले जहां रात के समय मरीज की हालत गंभीर बताई. फिर इसके बाद 13 अप्रैल की देर रात गौरेलाल को मरा हुआ बताया.

गौरेलाल की मौत की खबर लगते ही हड़बड़ाहट में जब परिजन अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि उनके मरीज की सांसे चल रही हैं. परिजनों ने डाॅक्टरों से मरीज के अच्छे इलाज की मांग की, लेकिन 14 अप्रैल बुधवार की सुबह साढ़े 8 बजे डाॅक्टर का एक बार फिर फोन आया. इस बार भी डाॅक्टर ने मरीज की मौत की खबर परिजनों को सुनाई.

शव देखा तो कोई और निकला
मरीज के बेटे ने जब शव देखने की जिद की तो पता चला कि यह किसी और का शव था. जांच पड़ताल की गई तो उनके मरीज की हालत गंभीर थी और वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती थे. गौरेलाल के बेटे कैलाश ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने हमें काफी देर तक गफलत में डाले रखा, जब डेड बॉडी को देखा तब जाकर सच सामने आया. अभी उनके पिता की हालत गंभीर है, और वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. कैलाश ने बताया कि इस मामले की शिकायत भी की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो सका. कैलाश ने बताया कि उनके पिता गौरेलाल भोपाल में रेलवे डाक विभाग में पोस्टमेन हैं.

मेडिकल कॉलेज के डीन का बयान
मेडिकल कॉलेज के डीन सुनील नंदेश्वर का कहना है कि मरीज वेंटिलेटर पर ही थे. उनके हृदय की गति रुक गई थी, तो इस समय किसी नर्स ने बता दिया कि उनकी मृत्यु हो गई, परंतु हृदय की गति रुकती है तो उसके बाद में डॉक्टर उनको हृदय को दोनों हाथों से दबाकर हृदय को दोबारा चालू करने की कोशिश करता है. जिसमें एक से दो घंटे करीब लग जाते हैं.

यह भी पढ़ें- कोविड-19 : देशभर में 24 घंटे में दो लाख से अधिक नए केस, 1,038 मौतें

डीन ने कहा, हमारे यहां के डॉक्टरों ने उनको दोबारा रिवाइज किया और दोबारा रिवाइज करने के बाद धड़कने वापस आई और उनको फिर हमने वेंटिलेटर पर रखा था. इस कारण से यह थोड़ा सा कन्फ्यूजन हो गया. हमने उनके परिजनों को बता दिया है, मरीज वेंटिलेटर पर है.

भोपाल : मध्य प्रदेश के विदिशा में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही तब सामने आई, जब एक मरीज को दो बार मृत घोषित कर दिया गया. साथ ही किसी अन्य मरीज का शव परिजनों को दिखाने की कोशिश की गई. परिजनों ने जब शव देखा तो वह हैरान रह गए, क्योंकि यह शव किसी और व्यक्ति का था. मामला सुल्तनिया के रहने वाले कोरोना पॉजिटिव गौरेलाल कौरी का है.

दरअसल, गौरेलाल की कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आई थी, जिसके बाद इलाज के लिए उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान एक दिन पहले जहां रात के समय मरीज की हालत गंभीर बताई. फिर इसके बाद 13 अप्रैल की देर रात गौरेलाल को मरा हुआ बताया.

गौरेलाल की मौत की खबर लगते ही हड़बड़ाहट में जब परिजन अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि उनके मरीज की सांसे चल रही हैं. परिजनों ने डाॅक्टरों से मरीज के अच्छे इलाज की मांग की, लेकिन 14 अप्रैल बुधवार की सुबह साढ़े 8 बजे डाॅक्टर का एक बार फिर फोन आया. इस बार भी डाॅक्टर ने मरीज की मौत की खबर परिजनों को सुनाई.

शव देखा तो कोई और निकला
मरीज के बेटे ने जब शव देखने की जिद की तो पता चला कि यह किसी और का शव था. जांच पड़ताल की गई तो उनके मरीज की हालत गंभीर थी और वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती थे. गौरेलाल के बेटे कैलाश ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने हमें काफी देर तक गफलत में डाले रखा, जब डेड बॉडी को देखा तब जाकर सच सामने आया. अभी उनके पिता की हालत गंभीर है, और वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. कैलाश ने बताया कि इस मामले की शिकायत भी की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो सका. कैलाश ने बताया कि उनके पिता गौरेलाल भोपाल में रेलवे डाक विभाग में पोस्टमेन हैं.

मेडिकल कॉलेज के डीन का बयान
मेडिकल कॉलेज के डीन सुनील नंदेश्वर का कहना है कि मरीज वेंटिलेटर पर ही थे. उनके हृदय की गति रुक गई थी, तो इस समय किसी नर्स ने बता दिया कि उनकी मृत्यु हो गई, परंतु हृदय की गति रुकती है तो उसके बाद में डॉक्टर उनको हृदय को दोनों हाथों से दबाकर हृदय को दोबारा चालू करने की कोशिश करता है. जिसमें एक से दो घंटे करीब लग जाते हैं.

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डीन ने कहा, हमारे यहां के डॉक्टरों ने उनको दोबारा रिवाइज किया और दोबारा रिवाइज करने के बाद धड़कने वापस आई और उनको फिर हमने वेंटिलेटर पर रखा था. इस कारण से यह थोड़ा सा कन्फ्यूजन हो गया. हमने उनके परिजनों को बता दिया है, मरीज वेंटिलेटर पर है.

Last Updated : Apr 15, 2021, 12:58 PM IST
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