नई दिल्ली: ओमीक्रोन स्वरूप के नए उपस्वरूप बीएफ.7 से वैक्सीन लगवाने की वजह से बच सकते हैं. लेकिन यह वेरिएंट वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकता है. इसके लिए वर्तमान में कोविड से बचने के लिए निश्चित मानकों के व्यवहार का पालन किया जाना बहुत आवश्यक है. उक्त बातें प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society of Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले (Dr. Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि वेरिएंट बीएफ.7 को 10 से 18.6 का आरओ (मूल प्रजनन संख्या) माना जाता है, जो ओमीक्रॉन संस्करण की तुलना में बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट के खतरनाक होने की वजह से कोविड के उचित व्यवहार को तुरंत बहाल करना चाहिए.
बता दें कि पिछले कोविड वेरिएंट (ओमीक्रॉन) का औसत आरओ 5.08 है. डॉ. कोले ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से एक नई लहर है. नए वेरिएंट की वजह से वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है इसलिए, केवल वैक्सीन को दोष नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट से प्रभावित लोगों की औसत संख्या काफी कम है, जिससे इस संक्रामक वायरस के फैलने का खतरा भी कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शुरू में कोविड-19 का आरओ 1.4 और 2.4 के बीच था. लेकिन नया वेरिएंट बीएफ.7 जो कथित तौर पर पहली बार चीन में पाया गया था, इसकी वजह से पिछले कुछ दिनों में एक वैश्विक लहर बन गई है.
यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी वैक्सीन की कम प्रभावकारिता चीन, जापान और अमेरिका में इस तरह की अचानक वृद्धि का संभावित कारण हो सकती है. इस पर डॉ कोले ने स्वीकार किया कि अमेरिका और जापान में कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि इन देशों के अलावा भी कई देशों में इस वैक्सीन का प्रयोग किया गया था. रिपोर्टों का हवाला देते हुए, डॉ कोले ने कहा कि चीन में वर्तमान में 1 मिलियन कोविड संक्रमण और प्रति दिन लगभग 5,000 मौतें हो रही हैं. लंदन स्थित एक एनालिटिक्स कंपनी एयरफिनिटी के अनुसार, चीन में पहला जनवरी के मध्य में और दूसरा मार्च की शुरुआत में मामले बढ़ने की संभावना है.
इसी क्रम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के महासचिव डॉ. जयेश एम लेले ने भी कहा कि ऐसी संभावना है जहां नया वेरिएंट बीएफ.7 से वैक्सीन से बचा जा सकता है. डॉ. लेले ने कहा, कुछ मामले निश्चित रूप से सामने आ सकते हैं जहां नया वेरिएंट से वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता से बचा जा सकता है जैसा कि हमने पिछले मौकों पर देखा है. तीसरी लहर के दौरान यह पाया गया था कि कोविड-19 टीकों की दो खुराक वाले लोग फिर से संक्रमित हो गए थे. डॉ लेले ने कहा, हालांकि, यह व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है जिसके लिए हमें उचित अध्ययन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत में पाए गए मामले बहुत कम हैं. सरकार ने तत्काल कदम उठाए हैं क्योंकि उसके पास पिछले तीन वर्षों का अनुभव है. इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. भारत में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के लिए पांच टीके उपलब्ध हैं जिनमें कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पूतनिक वी, कॉर्बीवैक्स और कोवोवैक्स आदि शामिल हैं.
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