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अडाणी समूह के 'चीनी जुड़ाव' पर कांग्रेस का सवाल: भारत में बंदरगाहों के परिचालन की अनुमति क्यों मिली - अडाणी समूह के चीनी जुड़ाव पर कांग्रेस का सवाल

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress general secretary Jairam Ramesh) ने सरकार पर निशाना साधते हुए अडाणी समूह के चीनी समूह से जुड़े होने के बाद भी भारत में बंदरगाह के परिचालन की क्यों अनुमति दी जा रही है. उन्होंने दावा किया कि अडाणी समूह को शंघाई स्थित कम से कम दो जहाजरानी कंपनियों का संचालन करने के लिए जाना जाता है.

Congress general secretary Jairam Ramesh
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
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Published : Apr 9, 2023, 7:42 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर निशाना साधते हुए अडाणी समूह के कथित चीनी जुड़ाव की ओर इशारा किया और पूछा कि इस समूह को अब भी भारत में बंदरगाह के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है. केंद्र पर हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress general secretary Jairam Ramesh) ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने 2022 में 'एपीएम टर्मिनल्स मैनेजमेंट' और ताइवान की 'वान हाई लाइन्स' के एक कंसोर्टियम को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि विभिन्न एजेंसी को वान हाई के निदेशक और एक चीनी कंपनी के बीच संबंध का पता चला था.

रमेश ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण कंसोर्टियम जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण में एक 'कंटेनर हैंडलिंग टर्मिनल' को संचालित करने के लिए बोली में शामिल नहीं हो सका. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एक सरकारी नीति है, जिसके तहत चीनी जुड़ाव वाली कंपनियों और संस्थाओं को भारत में बंदरगाहों और टर्मिनल के परिचालन से रोका जा सके. रमेश ने आरोप लगाया, 'यह अडाणी समूह के चीनी जुड़ाव के बारे में नए सवाल खड़े करता है. हमने अपनी शृंखला 'हम अडाणी के हैं कौन' में बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किए हैं. चीनी नागरिक चांग चुंग-लिंग की अडाणी समूह के साथ करीबी निकटता है.'

कांग्रेस नेता ने दावा किया, 'उनका (चांग का) बेटा पीएमसी प्रोजेक्ट्स का मालिक है, इस कंपनी ने अडाणी समूह के लिए बंदरगाहों, टर्मिनल, रेल लाइन, बिजली लाइन और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है. राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा अडाणी समूह और पीएमसी पर 5,500 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.' रमेश ने यह भी दावा किया कि अडाणी समूह को शंघाई स्थित कम से कम दो जहाजरानी कंपनियों का संचालन करने के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक कंपनी 'चीन के करीबी सहयोगी उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध बिक्री' में शामिल थी.

उन्होंने सवाला उठाया कि चीन से इतने करीबी संबंध होने के बावजूद अडाणी समूह को भारत में बंदरगाहों के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है? अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष अडाणी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग पर अड़ा है.

ये भी पढ़ें - संयुक्त विपक्ष को अडाणी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक लग रही है : संजय राउत

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर निशाना साधते हुए अडाणी समूह के कथित चीनी जुड़ाव की ओर इशारा किया और पूछा कि इस समूह को अब भी भारत में बंदरगाह के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है. केंद्र पर हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress general secretary Jairam Ramesh) ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने 2022 में 'एपीएम टर्मिनल्स मैनेजमेंट' और ताइवान की 'वान हाई लाइन्स' के एक कंसोर्टियम को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि विभिन्न एजेंसी को वान हाई के निदेशक और एक चीनी कंपनी के बीच संबंध का पता चला था.

रमेश ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के कारण कंसोर्टियम जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण में एक 'कंटेनर हैंडलिंग टर्मिनल' को संचालित करने के लिए बोली में शामिल नहीं हो सका. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एक सरकारी नीति है, जिसके तहत चीनी जुड़ाव वाली कंपनियों और संस्थाओं को भारत में बंदरगाहों और टर्मिनल के परिचालन से रोका जा सके. रमेश ने आरोप लगाया, 'यह अडाणी समूह के चीनी जुड़ाव के बारे में नए सवाल खड़े करता है. हमने अपनी शृंखला 'हम अडाणी के हैं कौन' में बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किए हैं. चीनी नागरिक चांग चुंग-लिंग की अडाणी समूह के साथ करीबी निकटता है.'

कांग्रेस नेता ने दावा किया, 'उनका (चांग का) बेटा पीएमसी प्रोजेक्ट्स का मालिक है, इस कंपनी ने अडाणी समूह के लिए बंदरगाहों, टर्मिनल, रेल लाइन, बिजली लाइन और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है. राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा अडाणी समूह और पीएमसी पर 5,500 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.' रमेश ने यह भी दावा किया कि अडाणी समूह को शंघाई स्थित कम से कम दो जहाजरानी कंपनियों का संचालन करने के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक कंपनी 'चीन के करीबी सहयोगी उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध बिक्री' में शामिल थी.

उन्होंने सवाला उठाया कि चीन से इतने करीबी संबंध होने के बावजूद अडाणी समूह को भारत में बंदरगाहों के परिचालन की अनुमति क्यों दी जा रही है? अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष अडाणी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग पर अड़ा है.

ये भी पढ़ें - संयुक्त विपक्ष को अडाणी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक लग रही है : संजय राउत

(पीटीआई-भाषा)

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