देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी UCC (Uniform Civil Code) कानून बनाने की तैयारी तेज हो गई है. समान नागरिक संहिता के लिए गठित की गई कमेटी अपनी रिपोर्ट यानी ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक-दो दिन में सौंप सकती है. धामी सरकार जल्द ही इसे मंजूर करने पर विचार कर रही है. उम्मीद की जा रही है कि दीपावली के बाद धामी सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता बिल को पेश कर कानून बना सकती है. यदि ऐसा होता है तो उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू होगा.
दरअसल, उत्तराखंड की धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक कमेठी का गठन किया था. इस कमेठी के लंबे विचार-विमर्श और आम लोगों की राय लेने के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपने की तैयारी है.
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इस ड्राफ्ट में शादी, तलाक, उत्तराधिकारी और गोद लेने जैसे मामलों को लेकर सुझाव दिए गए हैं. सूत्रों की मानें तो Uniform Civil Code के ड्राफ्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक तलाक अब केवल कोर्ट से ही मान्य होगा. वहीं माता-पिता की संपत्ति में अब पुत्री को भी पूरा अधिकार दिया गया है. विवाहित पुत्री भी अपना अधिकार ले सकती है. वहीं, लिव इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का प्रस्ताव भी होगा.
वहीं, इस बिल में बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगाने का सुझाव है. इसके साथ ही सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक और गोद लेने जैसे मामलों में एक ही कानून लागू करने की बात रखी गई है. यदि सब कुछ सही रहा तो माना जा रहा है कि दीपावली के बाद धामी सरकार उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर Uniform Civil Code और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण बिल पास करा सकती है.
चुनावी दावों में था यूसीसी का वादा: साल 2022 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का सबसे बड़ा वादा किया गया था. सरकार बनते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति बनाने पर मंजूरी दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई इस पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष चुनी गईं. इस समिति ने UCC का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 2.33 लाख लोगों, कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनों, संस्थानों और आदिवासी समूहों से भी राय ली. समिति ने सुझावों के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया था. इस समिति को अबतक तीन विस्तार मिले हैं. पहला विस्तार नवंबर 2022 में छह महीने का, फिर मई 2023 में दूसरा विस्तार चार महीने का मिला था, तीसरे विस्तार में समिति का कार्यकाल दिसंबर 2023 तक बढ़ाया गया था.