रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कांग्रेस पार्टी में दिनों दिन कद बढ़ता जा रहा है. यही कारण है कि बघेल को पिछले दिनों असम विधानसभा चुनाव (assam assambl y election) की कमान सौंपी गई थी. हालांकि वे वहां जीत हासिल नहीं कर पाए, लेकिन वहां कांग्रेस पहले की अपेक्षा काफी मजबूत स्थिति में रही.
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान भी बघेल को सौंपी जा सकती है. भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की कमान सौंपे जाने की सुगबुगाहट उनके प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद तेज हो गई है. इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की बागडोर कांग्रेस बघेल को सौंप सकती है. बघेल को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान सौंपे जाने के पीछे कई वजह बताई जा रही है.
ओबीसी कार्ड भी खेलना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस को लगता है कि भूपेश बघेल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं. उनके छत्तीसगढ़ के अनुभव का लाभ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा साथ ही कांग्रेस भूपेश बघेल के चेहरे से OBC कार्ड भी खेलना चाहती है क्योंकि उत्तर प्रदेश में एक बड़ी आबादी OBC की है. जिनका कहीं ना कहीं सरकार बनने में बहुत बड़ा योगदान रहा है. गौरतलब है कि यूपी में यादव को छोड़कर अन्य ओबीसी वर्ग के वोटर बीजेपी के वोटर माने जाते हैं. नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी से 7 नए मंत्री बनाए थे, जिनमें से 3 ओबीसी समुदाय से हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लोध बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि एनडीए की पार्टनर अपना दल की अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं. ऐसे में भूपेश बघेल के लिए ओबीसी वोटरों को साधने की चुनौती होगी.
गांधी परिवार के करीबी भूपेश प्रियंका गांधी के खास सिपाहसलार
भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद देखा जा रहा है कि उनकी हाईकमान सहित गांधी परिवार से नजदीकियां बढ़ गई है. आए दिन उनकी मुलाकात राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से होती है. राष्ट्रीय कांग्रेस में भूपेश बघेल की एक अहम भूमिका है. हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की बागडोर बघेल के हाथ में दिए जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. कयास लगाया जा रहा है कि पार्टी उन्हें जल्द यूपी चुनाव की कमान सौंप सकती है.
अपने सलाहकार को पहले ही यूपी का प्रभारी सचिव बना चुके हैं बघेल
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी को पहले ही उत्तर प्रदेश का प्रभारी सचिव बनाया जा चुका है. वह बूथ स्तर पर मैनेजमेंट में जुट गए हैं. इतना ही नहीं हाल ही में छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षकों के एक दल ने यूपी के पूर्वांचल इलाके के कई विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया है.
भूपेश बघेल ने खुद उत्तर प्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी लेने की जाहिर की है इच्छा
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ देश के लिए रोल मॉडल बन चुका है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस जन घोषणा पत्र में जो वादे किए थे आज सरकार बनते ही भूपेश बघेल ने उसे पूरा किया है. इससे उन्होंने जनता का विश्वास अर्जित किया है. कोरोना काल के बावजूद किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता दी जा रही है. युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. आदिवासियों को जमीन का पट्टा दिया जा रहा है. समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा वनोपज खरीदा जा रहा है. इससे बघेल सरकार की विश्वसनीयता बड़ी है. यही वजह है कि पार्टी उत्तर प्रदेश सहित जहां भी चुनाव होंगे वहां भूपेश बघेल का उपयोग करेगी. मुख्यमंत्री ने खुद भी उत्तर प्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी लेने की इच्छा जाहिर की है और उन्हें उत्तर प्रदेश की कमान मिल सकती हैं.
उत्तर प्रदेश में ओबीसी को साधने में कामयाब रहेंगे बघेल
कांग्रेस द्वारा भूपेश बघेल के नाम पर उत्तर प्रदेश में ओबीसी कार्ड खेलने के सवाल पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण से सारे एंगल को टटोला जाता है. उत्तर प्रदेश में काफी संख्या में ओबीसी हैं और ऐसे में वहां की राजनीतिक दल ओबीसी वोटर के सहारे राजनीति करते हैं. अब बघेल तो ओबीसी के बड़े चेहरे के रूप में उभर कर सामने आए हैं स्वभाविक है कि वहां पर कांग्रेस ओबीसी को साधने में में कामयाब रहेगी.
राष्ट्रीय स्तर पर पैठ जमा रहे हैं बघेल
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जब मुख्यमंत्री बनता है तो वह अपनी पार्टी के लिए राष्ट्रीय चेहरा हो ही जाता है, इसे नकारा नहीं जा सकता है. भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बनने के बाद और जिस प्रकार से उन्होंने यहां पर योजना का क्रियान्वयन किया उनकी गोधन न्याय योजना का आज देश के 8 राज्यों ने अध्ययन किया, उसमें भाजपा शासित राज्य भी शामिल थी. इनकी योजनाओं की तारीफ हो रही है, इस वजह से वह राष्ट्रीय परिपेक्ष में राष्ट्रीय नेतृत्व के रूप में सामने आए हैं.
बहरहाल देखना होगा कि आगामी आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान बघेल को चुनाव की कमान सौंपती है या नहीं और यदि बघेल को उत्तर प्रदेश चुनाव की कमान सौंपी जाती है तो वे कितने सफल साबित होते हैं.
वैसे ही नहीं कहे जाते हैं राजनीति के सूरमा
भूपेश बघेल ने अपनी राजनीति पारी यूथ कांग्रेस से शुरू की थी. 1993 में वह पहली बार मध्यप्रदेश के पाटन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. इस सीट से वह पांच बार चुने गए. 1998 में वह मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार में राज्यमंत्री बने. 2000 में जब छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ तो वह अजीत जोगी की सरकार में भी मंत्री बने. 2008 में वह अपनी परंपरागत पाटन सीट से चुनाव हार गए. 2009 में उन्होंने रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी बने, मगर सफलता नहीं मिली. 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दोबारा अपनी पाटन सीट पर कब्जा किया. इसके साथ ही उनका कद बढ़ता गया. भूपेश बघेल 2014 से 2019 तक छत्तीसगढ़ स्टेट कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इस दौरान उन्हें बड़ी कामयाबी तब मिली, जब उन्होंने 2018 में भाजपा की रमन सिंह सरकार को 15 साल के अंतराल के बाद चुनाव में सत्ता से बेदखल किया और मुख्यमंत्री बने.