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Chhattisgarh Liquor Scam: आरोपियों के खिलाफ NBW जारी करवाने के लिए ईडी को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने 2,000 करोड़ रुपये के कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करवाने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया है. supreme court, chhattisgarh liquor scam, Enforcement Directorate, money laundering cases.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 9:39 PM IST

Chhattisgarh Liquor Scam
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कथित 2,000 करोड़ रुपये के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया. शीर्ष अदालत ने ईडी के वकील से पूछा कि अदालत ने 18 जुलाई को एजेंसी को सभी तरह से अपने हाथ बंद रखने का निर्देश दिया था, फिर भी ट्रायल कोर्ट के समक्ष जाने में जल्दबाजी क्यों की गई.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ईडी के वकील से कहा कि 'एक बार जब हम कहते हैं कि आपको कोई कठोर कदम नहीं उठाना है, तो क्या यह (एनबीडब्ल्यू) हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं है? मुद्दा यह है. सही हो या गलत, हमें इसका अहसास है...' अनवर ढेबर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि 6 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनके मुवक्किल को जुलाई में अंतरिम जमानत देने के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

रोहतगी ने कहा कि ईडी ने रायपुर की निचली अदालत में 9 अक्टूबर को एक आवेदन देकर ढेबर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग की थी, जिन्होंने वकील मलक मनीष भट्ट के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था. अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि जमानत याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरूप एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है. न्यायमूर्ति कौल ने ईडी के वकील से पूछा कि 'इतनी जल्दी क्यों, मुझे समझ नहीं आता.'

पीठ ने कहा कि आवेदनों के माध्यम से इन कार्यवाहियों में उच्च न्यायालय के 6 अक्टूबर के आदेश और ट्रायल कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के 13 अक्टूबर के आदेश को भी चुनौती दी गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 'आम तौर पर, जैसा कि प्रवर्तन निदेशालय के विद्वान वकील ने आग्रह किया था, हम पार्टियों को स्वतंत्र कार्यवाही में एक उपाय के रूप में प्रस्तुत करेंगे.'

पीठ ने कहा कि 'हालांकि, जो बात हमें परेशान करती है वह यह है कि हमने प्रवर्तन निदेशालय को इस तथ्य के कारण अंतरिम सुरक्षात्मक आदेश पारित कर दिया था कि शिकायत वापस कर दी गई थी और यही 18.07.2023 के आदेश को जन्म देता है.'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कथित 2,000 करोड़ रुपये के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया. शीर्ष अदालत ने ईडी के वकील से पूछा कि अदालत ने 18 जुलाई को एजेंसी को सभी तरह से अपने हाथ बंद रखने का निर्देश दिया था, फिर भी ट्रायल कोर्ट के समक्ष जाने में जल्दबाजी क्यों की गई.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ईडी के वकील से कहा कि 'एक बार जब हम कहते हैं कि आपको कोई कठोर कदम नहीं उठाना है, तो क्या यह (एनबीडब्ल्यू) हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं है? मुद्दा यह है. सही हो या गलत, हमें इसका अहसास है...' अनवर ढेबर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि 6 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनके मुवक्किल को जुलाई में अंतरिम जमानत देने के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

रोहतगी ने कहा कि ईडी ने रायपुर की निचली अदालत में 9 अक्टूबर को एक आवेदन देकर ढेबर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग की थी, जिन्होंने वकील मलक मनीष भट्ट के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था. अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि जमानत याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरूप एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है. न्यायमूर्ति कौल ने ईडी के वकील से पूछा कि 'इतनी जल्दी क्यों, मुझे समझ नहीं आता.'

पीठ ने कहा कि आवेदनों के माध्यम से इन कार्यवाहियों में उच्च न्यायालय के 6 अक्टूबर के आदेश और ट्रायल कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के 13 अक्टूबर के आदेश को भी चुनौती दी गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 'आम तौर पर, जैसा कि प्रवर्तन निदेशालय के विद्वान वकील ने आग्रह किया था, हम पार्टियों को स्वतंत्र कार्यवाही में एक उपाय के रूप में प्रस्तुत करेंगे.'

पीठ ने कहा कि 'हालांकि, जो बात हमें परेशान करती है वह यह है कि हमने प्रवर्तन निदेशालय को इस तथ्य के कारण अंतरिम सुरक्षात्मक आदेश पारित कर दिया था कि शिकायत वापस कर दी गई थी और यही 18.07.2023 के आदेश को जन्म देता है.'

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