रायपुर: टीएस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनते ही छत्तीसगढ़ की सियासत में अचानक से हलचल मच गई. पार्टी में एकजुटता दिखाने और चुनाव में सामूहिक नेतृत्व के साथ जाने के लिए इसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. इस फैसले से हैरान बीजेपी भी अचानक से अटैकिंग मोड पर आ गई. 60 दिन के लिए बाबा को डिप्टी सीएम बनाए जाने की बात करते हुए कांग्रेस में नेतृत्व संकट भी पर मुखर है. वहीं विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के सीएम फेस को लेकर पूर्व सीएम रमन सिंह ने बड़ा बयान दिया है.
भूपेश बघेल पर कांग्रेस को भरोसा नहीं- रमन सिंह: टीएस सिंहदेव के बहाने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भूपेश सरकार और कांग्रेस पर हमला बोला है. विधानसभा चुनाव 2023 में संभावित हार के डर से टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने की बात कही तो वहीं कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल के नेतृत्व को नकारने का भी दावा किया है. भाजपा से सीएम फेस को लेकर सवाल पूछने वाले भूपेश बघेल से ही अब प्रश्न किए जा रहे हैं.
भूपेश बघेल से नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ने जा रही है. भूपेश के नेतृत्व को नकार दिया गया है, चेहरे को नकार दिया गया है. अब कहा जा रहा है कि सामूहिक नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का चुनाव लड़ा जाएगा. इसका मतलब है कि भूपेश बघेल का चेहरा सामने नहीं होगा. भूपेश जो बार बार छत्तीसगढ़ में बीजेपी से पूछते थे कि कौन सा चेहरा है डाक्टर रमन बताओ, आज भूपेश से प्रश्न हो रहा है. कांग्रेस के पास चेहरा ही नहीं है. पहले 'भूपेश है तो भरोसा है' बोलते थे, अब भूपेश है तो भ्रष्टाचार है, ये कांग्रेस ने भी मान लिया है. -डाॅ रमन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
सामूहिक नेतृत्व के साथ उतरेंगे लेकिन फेस बघेल होंगे-टीएस सिंहदेव: डिप्टी सीएम का पद मिलने के बाद टीएस सिंहदेव में भी खासा उत्साह नजर आया. राजधानी रायपुर पहुंचते ही बाबा ने साफ किया कि पार्टी सामूहिक लीडरशिप में विधानसभा चुनाव 2023 में उतरेगी. हालांकि टीएस सिंहदेव ने सीएम भूपेश बघेल को ही छत्तीसगढ़ में सीएम फेस बताया.
अमूमन यही होता है कि जो मुख्यमंत्री होते हैं, पीसीसी प्रेसीडेंट होते हैं, ये ही आगे रहते हैं. इन्हीं का चेहरा आगे रहता है. कांग्रेस में सामूहिक लीडरशिप की परंपरा रही है. पिछले चुनाव में हमने यही किया था. मिलकर हम लोगों ने चुनाव लड़ा था. कोई एक आदमी चुनाव नहीं लड़ा सकता, कोई एक आदमी नहीं जिता सकता. पिछली बार भी सामूहिक लीडरशिप थी. आज हमको एक मुख्यमंत्री भी मिले हुए हैं, जो पहले प्रदेश अध्यक्ष के रूप में थे. प्रदेश अध्यक्ष ने नाते भी वो आगे थे, एक चेहरा थे. आज भी एक चेहरा हैं मुख्यमंत्री के रूप में. -टीएस सिंहदेव, डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
सामूहिक नेतृत्व की बात पर सफल हुए हैं टीएस सिंहदेव: दिल्ली में अपने दिए गए बयान में टीएस सिंहदेव में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात की थी. 2018 का चुनाव इसी पैटर्न पर लड़ा गया था. हर जगह कांग्रेस के बड़े नेताओं की तस्वीर नजर आती थी, चाहे जय वीरू के जोड़ी हो या चरणदास महंत या कोई अन्य. ये लोग सामूहिक नेतृत्व में 2018 में लड़े थे और अब 2023 में भी यही बात हो रही है. उप मुख्यमंत्री बनने के बाद टीएस सिंहदेव का आत्मविश्वास बढ़ा है. उनका उद्देश्य भी यही था कि जब चुनाव में जाएं तो सामूहिक नेतृत्व की बात हो. केवल एक सीएम के चेहरे या सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में चुनाव में न जाएं. इस पर कांग्रेस के कई बड़े नेता टीएस सिंहदेव के साथ थे. टीएस सिंहदेव सामूहिक नेतृत्व की बात करते थे, जिसमें वो सफल भी हुए हैं.
जब शीर्ष नेतृत्व किसी पर काम करता है तो वो उबके गुण दोष के आधार पर काम करता है. उन्हें लगा कि बाबा को जो न्याय मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला है. कुल मिलाकर ये विंडो ड्रेसिंग की गई है, एडजेस्टमेंट किया गया है. आपदा प्रबंधन के काम हुए हैं. ये केवल छत्तीसगढ़ में नहीं है. राजस्थान में भी है. सचिन पायलट और गहलोत जी के बीच सामंजस्य बिठाते हैं. मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सामंजस्य है. यही बात कर्नाटक में भी है. मूल शक्ति का केंद्र वो किसी एक व्यक्ति के हाथ में देना ही नहीं चाहते. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ये विचारधारा है और काम करने का उनका अपना एक ढ़ंग है. -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में उतरने के फैसले से भले ही भाजपा सीएम बघेल के दरकिनार करने का दावा करे, लेकिन हकीकत तो यही है कि इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी. रही बात सीएम फेस की तो वर्तमान मुख्यमंत्री का भी चेहरा कांग्रेस के पास है. हालांकि चुनाव जीतने के बाद सीएम बघेल ही बनेंगे यह जरूरी भी नहीं है, क्योंकि इस पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को ही करना है.