ETV Bharat / bharat

Watch : तीन सौ साल पुराने मंदिर के पास मनाया जाता है चनियाडी उत्सव, पुरुष एक दूसरे पर फेंकते हैं गोबर - Chaniyadi festival in tamil nadu

तमिलनाडु में दीपावली के तीसरे दिन एक ऐसा त्योहार मनाया जाता है, जिसमें पुरुष एक दूसरे पर गोबर फेंकते हैं. इसे चनियाडी उत्सव कहा जाता है. जानिए इसे मनाये जाने के पीछे क्या है वजह. Chaniyadi festival, 300 year old temple in Erode, Bheereshwar temple.

Chaniyadi festival
पुरुष एक दूसरे पर फेंकते हैं गोबर
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 16, 2023, 4:09 PM IST

देखिए वीडियो

इरोड (तमिलनाडु): 300 साल पुराना भीरेश्वर मंदिर तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर तलावडी कुमितापुरम में स्थित है. इस मंदिर में दिवाली के तीसरे दिन प्रतिवर्ष चनियाडी उत्सव आयोजित किया जाता है. पुरुष बिना शर्ट पहने इसमें भाग लेते हैं. भक्त एक-दूसरे पर गोबर फेंककर जश्न मनाते हैं. इस साल का त्योहार 15 नवंबर को शुरू हुआ.

इसी सिलसिले में सभी ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से गोबर को एक जगह जमा कर ट्रैक्टर से भीरेश्वर मंदिर ला रहे हैं. इस बीच, कुमितापुरम तालाब से भीरेश्वर उत्सववर को गधे पर बिठाकर जुलूस के रूप में मंदिर तक लाया गया. इसके बाद गांव के बुजुर्गों ने वहां डाली गई रेत के सामने विशेष पूजा की. बाद में युवाओं ने गोबर के गोले बनाकर एक-दूसरे पर फेंककर जश्न मनाया.

वहीं, इस उत्सव में शामिल महिलाओं ने तालियां बजाकर भक्तों का उत्साह बढ़ाया. ऐसा कहा जाता है कि यह त्योहार यह सुनिश्चित करने के लिए आयोजित किया जाता है कि ग्रामीण रोग मुक्त रहें, बारिश कृषि में समृद्धि लाए और गांव समृद्ध हो, और मवेशियों को जंगली जानवरों से बचाया जाए.

इसलिए मनाया जाता है ये त्योहार : त्योहार के बारे में जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने बताया, 'सदियों पहले, इस गांव के एक किसान ने शिव लिंग को गाय के गोबर से भरे कूड़े के ढेर में फेंक दिया था. जब इस शहर से एक बैलगाड़ी उस कूड़े के ढेर के ऊपर से गुजरी तो एक स्थान पर खून बहने लगा. यह देख तुरंत लोगों ने उस स्थान को खोदा, तो उन्होंने पाया कि वहां एक शिव लिंग है. उस समय, भगवान ने स्थानीय लड़के के सपने में दर्शन दिए और उससे कहा कि दिवाली के तीसरे दिन गोबर से उसके पुनर्जीवित होने की याद में चनियाडी उत्सव मनाया जाना चाहिए.' तभी से, पूर्वजों के मार्गदर्शन के अनुसार वे इस त्योहार को मनाते हैं. मंदिर प्रशासकों का कहना है कि शिवलिंग भीरेश्वर है.

ये भी पढ़ें

तमिलनाडु के इन 7 गांव में 22 सालों से दिवाली पर नहीं फोड़ा गया एक भी पटाखा, वजह जान करेंगे वाहवाही

देखिए वीडियो

इरोड (तमिलनाडु): 300 साल पुराना भीरेश्वर मंदिर तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर तलावडी कुमितापुरम में स्थित है. इस मंदिर में दिवाली के तीसरे दिन प्रतिवर्ष चनियाडी उत्सव आयोजित किया जाता है. पुरुष बिना शर्ट पहने इसमें भाग लेते हैं. भक्त एक-दूसरे पर गोबर फेंककर जश्न मनाते हैं. इस साल का त्योहार 15 नवंबर को शुरू हुआ.

इसी सिलसिले में सभी ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से गोबर को एक जगह जमा कर ट्रैक्टर से भीरेश्वर मंदिर ला रहे हैं. इस बीच, कुमितापुरम तालाब से भीरेश्वर उत्सववर को गधे पर बिठाकर जुलूस के रूप में मंदिर तक लाया गया. इसके बाद गांव के बुजुर्गों ने वहां डाली गई रेत के सामने विशेष पूजा की. बाद में युवाओं ने गोबर के गोले बनाकर एक-दूसरे पर फेंककर जश्न मनाया.

वहीं, इस उत्सव में शामिल महिलाओं ने तालियां बजाकर भक्तों का उत्साह बढ़ाया. ऐसा कहा जाता है कि यह त्योहार यह सुनिश्चित करने के लिए आयोजित किया जाता है कि ग्रामीण रोग मुक्त रहें, बारिश कृषि में समृद्धि लाए और गांव समृद्ध हो, और मवेशियों को जंगली जानवरों से बचाया जाए.

इसलिए मनाया जाता है ये त्योहार : त्योहार के बारे में जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने बताया, 'सदियों पहले, इस गांव के एक किसान ने शिव लिंग को गाय के गोबर से भरे कूड़े के ढेर में फेंक दिया था. जब इस शहर से एक बैलगाड़ी उस कूड़े के ढेर के ऊपर से गुजरी तो एक स्थान पर खून बहने लगा. यह देख तुरंत लोगों ने उस स्थान को खोदा, तो उन्होंने पाया कि वहां एक शिव लिंग है. उस समय, भगवान ने स्थानीय लड़के के सपने में दर्शन दिए और उससे कहा कि दिवाली के तीसरे दिन गोबर से उसके पुनर्जीवित होने की याद में चनियाडी उत्सव मनाया जाना चाहिए.' तभी से, पूर्वजों के मार्गदर्शन के अनुसार वे इस त्योहार को मनाते हैं. मंदिर प्रशासकों का कहना है कि शिवलिंग भीरेश्वर है.

ये भी पढ़ें

तमिलनाडु के इन 7 गांव में 22 सालों से दिवाली पर नहीं फोड़ा गया एक भी पटाखा, वजह जान करेंगे वाहवाही

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.