नई दिल्ली : चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के लिए 13 जुलाई को दोपहर ढाई बजे का समय निर्धारित किया गया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरने और वहां गतिविधियां करने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 के बाद का यह एक अभियान है. अधिकारियों के अनुसार, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान मार्क-3 के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इसके लिए 13 जुलाई को दोपहर ढाई बजे का समय निर्धारित किया गया है. प्रणोदक मॉड्यूल 'लैंडर' और 'रोवर' को 100 किलोमीटर तक चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा. इसमें, चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ध्रुवीय मापन का अध्ययन करने के लिए एक 'स्पेक्ट्रो-पोलरमेट्री' पेलोड भी जोड़ा गया है.
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#WATCH | ISRO chief S Somnath says, "Currently the Chandrayaan 3 spacecraft is fully integrated. We have completed the testing...Currently, the window of opportunity for launch is between 12-19th July...We will announce the exact date after all the tests are completed..." pic.twitter.com/FVT8uHkJVU
— ANI (@ANI) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) June 28, 2023#WATCH | ISRO chief S Somnath says, "Currently the Chandrayaan 3 spacecraft is fully integrated. We have completed the testing...Currently, the window of opportunity for launch is between 12-19th July...We will announce the exact date after all the tests are completed..." pic.twitter.com/FVT8uHkJVU
— ANI (@ANI) June 28, 2023
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO chairman S Somanath) ने कहा कि यदि परीक्षण योजना के अनुसार हुए तो इसरो के चंद्र मिशन का तीसरा संस्करण चंद्रयान-3 12 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा. एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान यूआर राव सैटेलाइट सेंटर से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च पैड पर पहले ही पहुंच चुका है. उन्होंने कहा कि अंतिम तैयारी चल रही है जो इस महीने के अंत तक पूरी हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि आगामी प्रक्षेपण के दौरान किसी भी समस्या से बचने के लिए चंद्रयान-3 में इसके हार्डवेयर, संरचना, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर में सुधार किए गए हैं. इसमें अधिक ईंधन के साथ ही लैंडिंग पैरों को मजबूत किया गया है. इसके अलावा अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए बड़े सौर पैनल लगाए गए हैं और एक अतिरिक्त सेंसर भी जोड़ा गया है.
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(इनपुट-एजेंसी)