ETV Bharat / bharat

भारत के सामने ऊर्जा उत्पादन की चुनौती, देश को और प्रयास करने की जरूरत: वैज्ञानिक पी रामा राव

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2023, 10:05 PM IST

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रहलाद रामा राव का मानना ​​है कि देश के सामने अगले सौ वर्षों के लिए ऊर्जा उत्पादन की चुनौती है और इसके लिए देश को और अधिक प्रयास करने चाहिए. उन्होंने बिजली उत्पादन पर एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है. challenge of energy generation before India, country needs more efforts, Scientist P Rama Rao.

Scientist P Rama Rao
वैज्ञानिक पी रामा राव
देखिए वीडियो

छत्रपति संभाजीनगर : डीआरडीओ के पूर्व डायरेक्टर पद्मश्री प्रहलाद रामा राव ने एक हीट जनरेट करने वाली मशीन बनाई है. उनका कहना है कि अगर इस पर और शोध किया जाए तो अगले दो साल में इससे बिजली पैदा करना संभव हो जाएगा. पद्मश्री वैज्ञानिक प्रह्लाद रामा राव ने एक निजी संस्था के माध्यम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस पर शोध करने के बाद उन्होंने हाइड्रोजन के जरिए एक मशीन बनाई है. यह मशीन ठंडे क्षेत्रों में गर्मी उत्पन्न कर सकती है.

पी रामा राव ने दावा किया है कि बड़ी संख्या में लेने पर यह मशीन महज दस हजार रुपये में उपलब्ध होगी. एक बार डिवाइस इंस्टॉल हो जाने के बाद यह कम से कम छह महीने तक काम करती रहेगी, इसलिए अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि जहां भारतीय सैनिक ठंडे इलाकों में बंकरों में काम करते हैं, वहां गर्मी पैदा करने की जरूरत होती है. उन्होंने विश्वास जताया कि यह वहां सबसे अधिक उपयोगी होगा. उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि इस चल रहे शोध के विभिन्न चरण हैं और इसके माध्यम से ही बिजली उत्पन्न करना संभव होगा.

ये मशीन बनाई है
ये मशीन बनाई है

चार देश कर रहे शोध: उन्होंने कहा कि ऊर्जा उत्पादन में चार देश मुख्य रूप से प्रयास कर रहे हैं जिसमें जापान, चीन, अमेरिका और भारत शामिल हैं. आने वाले समय में दुनिया में सबसे बड़ी चुनौती ऊर्जा उत्पादन में होने वाली है. भारत के पास संसाधन कम हैं और अधिक प्रयास करने की जरूरत है. अमेरिका और जापान इस पर खूब शोध कर रहे हैं और पैसा खर्च कर रहे हैं; लेकिन भारत उस हिसाब से खर्च करने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरत को देखते हुए इसके लिए अधिक से अधिक शोध और प्रयास करना जरूरी है. इस शोध के आधार पर अमेरिका अंतरिक्ष मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है. लेकिन जापान का इरादा इसे आम जनता के लिए इस्तेमाल करने का है.

उन्होंने कहा कि जिस परियोजना को हम क्रियान्वित कर रहे हैं उसकी लागत लगभग 18 करोड़ होने की उम्मीद है. आज पांच शोध वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा, हालांकि, अगर और पैसा मिलता है तो 15 से 30 शोधकर्ता इस पर काम करेंगे और अगले साल के भीतर ही बिजली उत्पादन का बेहतर विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा.

'भारत को दूसरे देशों से लेनी होगी मदद' : वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि आज ऊर्जा उत्पादन के लिए जो शोध पहले पूरा करेगा, वही आगे रहेगा. इसलिए, हमें पहले शोध पूरा करना होगा और अन्य तीन देशों के संबंध में एक बेहतर विकल्प तैयार करना होगा. अमेरिका और जापान तेजी से प्रयास कर रहे हैं. अगर हम जल्द ही इस पर रिसर्च पूरा नहीं कर पाए तो भविष्य में हमें अमेरिका, जापान या चीन जैसे देशों से मदद लेनी पड़ेगी. आज हम जो भी शोध कर रहे हैं या हमने जो मशीन विकसित की है वह पूरी तरह से भारत निर्मित है. कोई भी पार्ट बाहर से नहीं लेना पड़ा.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि तो आप इन्हें सही कीमत पर और सही तरीके से प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि 'हमने सरकार से 18 करोड़ रुपये मांगे थे; लेकिन निजी संस्था होने के कारण हमें मदद नहीं मिली. फिर हम आई.आई.टी. गए. गुवाहाटी से संपर्क किया और एक नया प्रोजेक्ट पेश किया.' वैज्ञानिक पी रामा राव ने विश्वास जताया कि उस वक्त हमें एक करोड़ तीन लाख रुपये तक की मदद का वादा किया गया है और यह हमें जल्द ही मिल जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि हमें कुछ निजी लोगों से कुछ धनराशि मिल रही है और हम उसी के आधार पर काम कर रहे हैं.

2015 में मिला था पद्मश्री : प्रह्लाद राम राव को 2015 में भारत सरकार द्वारा चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान के लिए मान्यता प्राप्त है. उन्होंने ऐसे संगठन का दायित्व निभाया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम के साथ 27 साल तक काम किया है. इसके साथ ही उन्होंने और भी नए शोध किए हैं.

ये भी पढ़ें

बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सभी राज्यों को सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने की जरूरत: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री

देखिए वीडियो

छत्रपति संभाजीनगर : डीआरडीओ के पूर्व डायरेक्टर पद्मश्री प्रहलाद रामा राव ने एक हीट जनरेट करने वाली मशीन बनाई है. उनका कहना है कि अगर इस पर और शोध किया जाए तो अगले दो साल में इससे बिजली पैदा करना संभव हो जाएगा. पद्मश्री वैज्ञानिक प्रह्लाद रामा राव ने एक निजी संस्था के माध्यम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस पर शोध करने के बाद उन्होंने हाइड्रोजन के जरिए एक मशीन बनाई है. यह मशीन ठंडे क्षेत्रों में गर्मी उत्पन्न कर सकती है.

पी रामा राव ने दावा किया है कि बड़ी संख्या में लेने पर यह मशीन महज दस हजार रुपये में उपलब्ध होगी. एक बार डिवाइस इंस्टॉल हो जाने के बाद यह कम से कम छह महीने तक काम करती रहेगी, इसलिए अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि जहां भारतीय सैनिक ठंडे इलाकों में बंकरों में काम करते हैं, वहां गर्मी पैदा करने की जरूरत होती है. उन्होंने विश्वास जताया कि यह वहां सबसे अधिक उपयोगी होगा. उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि इस चल रहे शोध के विभिन्न चरण हैं और इसके माध्यम से ही बिजली उत्पन्न करना संभव होगा.

ये मशीन बनाई है
ये मशीन बनाई है

चार देश कर रहे शोध: उन्होंने कहा कि ऊर्जा उत्पादन में चार देश मुख्य रूप से प्रयास कर रहे हैं जिसमें जापान, चीन, अमेरिका और भारत शामिल हैं. आने वाले समय में दुनिया में सबसे बड़ी चुनौती ऊर्जा उत्पादन में होने वाली है. भारत के पास संसाधन कम हैं और अधिक प्रयास करने की जरूरत है. अमेरिका और जापान इस पर खूब शोध कर रहे हैं और पैसा खर्च कर रहे हैं; लेकिन भारत उस हिसाब से खर्च करने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरत को देखते हुए इसके लिए अधिक से अधिक शोध और प्रयास करना जरूरी है. इस शोध के आधार पर अमेरिका अंतरिक्ष मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है. लेकिन जापान का इरादा इसे आम जनता के लिए इस्तेमाल करने का है.

उन्होंने कहा कि जिस परियोजना को हम क्रियान्वित कर रहे हैं उसकी लागत लगभग 18 करोड़ होने की उम्मीद है. आज पांच शोध वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा, हालांकि, अगर और पैसा मिलता है तो 15 से 30 शोधकर्ता इस पर काम करेंगे और अगले साल के भीतर ही बिजली उत्पादन का बेहतर विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा.

'भारत को दूसरे देशों से लेनी होगी मदद' : वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि आज ऊर्जा उत्पादन के लिए जो शोध पहले पूरा करेगा, वही आगे रहेगा. इसलिए, हमें पहले शोध पूरा करना होगा और अन्य तीन देशों के संबंध में एक बेहतर विकल्प तैयार करना होगा. अमेरिका और जापान तेजी से प्रयास कर रहे हैं. अगर हम जल्द ही इस पर रिसर्च पूरा नहीं कर पाए तो भविष्य में हमें अमेरिका, जापान या चीन जैसे देशों से मदद लेनी पड़ेगी. आज हम जो भी शोध कर रहे हैं या हमने जो मशीन विकसित की है वह पूरी तरह से भारत निर्मित है. कोई भी पार्ट बाहर से नहीं लेना पड़ा.

वैज्ञानिक पी रामा राव ने कहा कि तो आप इन्हें सही कीमत पर और सही तरीके से प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि 'हमने सरकार से 18 करोड़ रुपये मांगे थे; लेकिन निजी संस्था होने के कारण हमें मदद नहीं मिली. फिर हम आई.आई.टी. गए. गुवाहाटी से संपर्क किया और एक नया प्रोजेक्ट पेश किया.' वैज्ञानिक पी रामा राव ने विश्वास जताया कि उस वक्त हमें एक करोड़ तीन लाख रुपये तक की मदद का वादा किया गया है और यह हमें जल्द ही मिल जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि हमें कुछ निजी लोगों से कुछ धनराशि मिल रही है और हम उसी के आधार पर काम कर रहे हैं.

2015 में मिला था पद्मश्री : प्रह्लाद राम राव को 2015 में भारत सरकार द्वारा चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान के लिए मान्यता प्राप्त है. उन्होंने ऐसे संगठन का दायित्व निभाया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम के साथ 27 साल तक काम किया है. इसके साथ ही उन्होंने और भी नए शोध किए हैं.

ये भी पढ़ें

बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सभी राज्यों को सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने की जरूरत: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.